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सेना प्रमुख ने कहा- चीन के अधिकतर दावे बकवास, हर चुनौती से निपटने को तैयार

भारत-चीन तनाव को कम करने के लिए बातचीत की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए भारतीय सेना के प्रमुख जनरल नरवणे ने चीन द्वारा किए गए कई दावों पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि चीन के कई दावों में कोई दम नहीं है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

सेना प्रमुख जनरल नरवणे
सेना प्रमुख जनरल नरवणे
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Published : Jan 12, 2021, 10:32 PM IST

Updated : Jan 13, 2021, 6:18 AM IST

नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने उम्मीद जताई है की बातचीत और 'परस्पर व समान सुरक्षा' के आधार पर लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध सुलझ जाएगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि चीन व पाकिस्तान के बीच संभावित कपटपूर्ण गठजोड़ से भारत को होने वाले खतरे की अनदेखी नहीं की जा सकती.

इस दौरान नरवणे ने बताया कि चीनी सेना की उपलब्धियों और वैज्ञानिक सफलता के दावे पूरी तरह से झूठे हैं. उनके बहुत सारे दावे बकवास हैं. मैंने इस पर कई मीडिया रिपोर्ट पढ़ी हैं. (उदाहरण के लिए) पूर्वी लद्दाख में माइक्रोवेव हथियारों का उपयोग. किसी को ऐसे बेकार के दावे नहीं करने चाहिए.

सेना दिवस समारोह से पहले सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि बांग्लादेश में पनडुब्बियों सहित अन्य देशों को दिए गए सैन्य उपकरणों को पानी के रास्ते ले जाया जा रहा है.

प्रेसा वार्ता के दौरान ईटीवी भारत ने उनसे पूछा कि क्या हाइब्रिड, साइबर और स्पेस वॉरफेयर तकनीकों के साथ पारंपरिक युद्ध तकनीकों को एकीकृत करने का चीनी प्रयास तत्काल भविष्य में भारत और चीन के बीच मौजूदा सैन्य संतुलन में कोई विषमता पैदा करेगा? तो उन्होंने कहा कि संयोग से मंगलवार को राज्य-नियंत्रित चीनी मीडिया ने घोषणा की कि पीएलए पश्चिमी थियेटर कमान ने रिमोट सेंसिंग इमेज और संयुक्त सीटू एकीकरण से सटीक रूप से 3 डी भौगोलिक जानकारी के आधार पर पश्चिमी सीमा क्षेत्र के 20,000 किलोमीटर के पैनोरमिक, उच्च-परिशुद्धता जियो मैपिंग को पूरा किया है.

जनरल नरवणे ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि भारतीय सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी दुस्साहस से निपटने के लिये पूरी तरह तैयार हैं और 'राष्ट्रीय लक्ष्यों व उद्देश्यों' को हासिल करने के लिये जब तक जरूरी होगा, डटे रहेंगे.

थल सेना प्रमुख 15 जनवरी को सेना दिवस से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बारे में सेना प्रमुख ने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर सैनिकों के 'पुन:संतुलन' की जरूरत महसूस की गयी और उसके अनुरूप चीन सीमा पर पर्याप्त ध्यान देने के लिए कदम उठाए गए.

सेना प्रमुख ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत और चीन परस्पर और समान सुरक्षा के प्रयासों के आधार पर सैनिकों की वापसी और तनाव कम करने के लिए एक समझौते पर पहुंच पाएंगे.

उन्होंने कहा, 'मुझे भरोसा है कि बातचीत और चर्चा के जरिए हम परस्पर व समान सुरक्षा पर आधारित समाधान हासिल करेंगे और यह वार्ता से होगा. मैं सकारात्मक स्थिति को लेकर आशान्वित हूं. लेकिन, जैसा मैंने कहा, हम किसी भी दुस्साहसिक चुनौती से निपटने के लिये तैयार हैं.'

सेना प्रमुख ने कहा, 'हम जब तक अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों और उद्देश्यों को नहीं प्राप्त कर लेते तब तक पकड़ बनाकर रखने के लिए तैयार हैं.'

सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सैनिक न सिर्फ लद्दाख के क्षेत्र में, बल्कि एलएसी से लगे सभी क्षेत्रों में उच्च स्तर की सतर्कता बरत रहे हैं.

जनरल नरवणे ने कहा, 'हमारी संचालनात्मक तैयारी बेहद उच्च स्तर की है और हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ा हुआ है. पिछले साल जो कुछ भी हुआ उसने हमारे लिए पुनर्गठन और अपनी क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत पर प्रकाश डाला.'

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह वैसी ही है जैसी पहले थी और यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.

इसी मुद्दे पर एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि जो पहले था अब भी वैसा ही है. भारत और चीन के बीच पिछले साल पांच मई से पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध बना हुआ है.

समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर जनरल नरवणे ने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों की भारत के प्रति कपटपूर्ण सोच जमीनी स्तर पर नजर आ रही है.

सेना प्रमुख ने कहा, 'पाकिस्तान और चीन मिलकर गंभीर खतरा बने हुए हैं और उनकी कपटपूर्ण सोच से होने वाले खतरे को अनदेखा नहीं किया जा सकता. जब हम अपनी रणनीतिक योजनाएं बनाते हैं, तो यह भी हमारी गणना व आकलन का अहम हिस्सा होता है.'

पढ़ें - लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध के बीच कायम है ह्यूमन इंटेलिजेंस का दबदबा

उन्होंने कहा कि भारत को 'दो मोर्चों' पर खतरे के परिदृश्य से निपटने के लिए तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य और असैन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है.

चीन द्वारा पिछले साल मई में सैनिकों को भेजे जाने के सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि यह नया नहीं है, क्योंकि वो क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए आए थे और भारत उन पर नजर रख रहा था. उन्होंने हालांकि यह जोड़ा को चीनी सेना को 'पहले आने का फायदा' मिला.

भारतीय सेना द्वारा पिछले साल अगस्त में पैंगोंग झील से लगे कुछ ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्जा किए जाने के परोक्ष संदर्भ में उन्होंने कहा, 'अगस्त में हमें पहले कदम उठाने का फायदा मिला, क्योंकि वो नहीं जानते थे कि हम उन्हें चौंका देंगे.'

जनरल नरवणे ने यह भी कहा कि चीन ने पीछे के इलाकों से कुछ सैनिकों को प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वापस भेजा है और बताया कि अग्रिम मोर्चे पर सैनिकों की तैनाती में कोई कमी नहीं की गई है.

जनरल नरवणे ने कहा कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद का इस्तेमाल राजकीय नीति के औजार के रूप में करता आ रहा है और भारत इस समस्या का प्रभावी तरीके से मुकाबला करता रहेगा.

सेना प्रमुख ने कहा कि हम सीमापार से हो रहे आतंकवाद का जवाब अपने पसंदीदा वक्त पर देने का अधिकार रखते हैं.

नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने उम्मीद जताई है की बातचीत और 'परस्पर व समान सुरक्षा' के आधार पर लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध सुलझ जाएगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि चीन व पाकिस्तान के बीच संभावित कपटपूर्ण गठजोड़ से भारत को होने वाले खतरे की अनदेखी नहीं की जा सकती.

इस दौरान नरवणे ने बताया कि चीनी सेना की उपलब्धियों और वैज्ञानिक सफलता के दावे पूरी तरह से झूठे हैं. उनके बहुत सारे दावे बकवास हैं. मैंने इस पर कई मीडिया रिपोर्ट पढ़ी हैं. (उदाहरण के लिए) पूर्वी लद्दाख में माइक्रोवेव हथियारों का उपयोग. किसी को ऐसे बेकार के दावे नहीं करने चाहिए.

सेना दिवस समारोह से पहले सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि बांग्लादेश में पनडुब्बियों सहित अन्य देशों को दिए गए सैन्य उपकरणों को पानी के रास्ते ले जाया जा रहा है.

प्रेसा वार्ता के दौरान ईटीवी भारत ने उनसे पूछा कि क्या हाइब्रिड, साइबर और स्पेस वॉरफेयर तकनीकों के साथ पारंपरिक युद्ध तकनीकों को एकीकृत करने का चीनी प्रयास तत्काल भविष्य में भारत और चीन के बीच मौजूदा सैन्य संतुलन में कोई विषमता पैदा करेगा? तो उन्होंने कहा कि संयोग से मंगलवार को राज्य-नियंत्रित चीनी मीडिया ने घोषणा की कि पीएलए पश्चिमी थियेटर कमान ने रिमोट सेंसिंग इमेज और संयुक्त सीटू एकीकरण से सटीक रूप से 3 डी भौगोलिक जानकारी के आधार पर पश्चिमी सीमा क्षेत्र के 20,000 किलोमीटर के पैनोरमिक, उच्च-परिशुद्धता जियो मैपिंग को पूरा किया है.

जनरल नरवणे ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि भारतीय सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी दुस्साहस से निपटने के लिये पूरी तरह तैयार हैं और 'राष्ट्रीय लक्ष्यों व उद्देश्यों' को हासिल करने के लिये जब तक जरूरी होगा, डटे रहेंगे.

थल सेना प्रमुख 15 जनवरी को सेना दिवस से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बारे में सेना प्रमुख ने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर सैनिकों के 'पुन:संतुलन' की जरूरत महसूस की गयी और उसके अनुरूप चीन सीमा पर पर्याप्त ध्यान देने के लिए कदम उठाए गए.

सेना प्रमुख ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत और चीन परस्पर और समान सुरक्षा के प्रयासों के आधार पर सैनिकों की वापसी और तनाव कम करने के लिए एक समझौते पर पहुंच पाएंगे.

उन्होंने कहा, 'मुझे भरोसा है कि बातचीत और चर्चा के जरिए हम परस्पर व समान सुरक्षा पर आधारित समाधान हासिल करेंगे और यह वार्ता से होगा. मैं सकारात्मक स्थिति को लेकर आशान्वित हूं. लेकिन, जैसा मैंने कहा, हम किसी भी दुस्साहसिक चुनौती से निपटने के लिये तैयार हैं.'

सेना प्रमुख ने कहा, 'हम जब तक अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों और उद्देश्यों को नहीं प्राप्त कर लेते तब तक पकड़ बनाकर रखने के लिए तैयार हैं.'

सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सैनिक न सिर्फ लद्दाख के क्षेत्र में, बल्कि एलएसी से लगे सभी क्षेत्रों में उच्च स्तर की सतर्कता बरत रहे हैं.

जनरल नरवणे ने कहा, 'हमारी संचालनात्मक तैयारी बेहद उच्च स्तर की है और हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ा हुआ है. पिछले साल जो कुछ भी हुआ उसने हमारे लिए पुनर्गठन और अपनी क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत पर प्रकाश डाला.'

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक स्थिति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह वैसी ही है जैसी पहले थी और यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है.

इसी मुद्दे पर एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि जो पहले था अब भी वैसा ही है. भारत और चीन के बीच पिछले साल पांच मई से पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध बना हुआ है.

समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर जनरल नरवणे ने कहा कि चीन और पाकिस्तान दोनों की भारत के प्रति कपटपूर्ण सोच जमीनी स्तर पर नजर आ रही है.

सेना प्रमुख ने कहा, 'पाकिस्तान और चीन मिलकर गंभीर खतरा बने हुए हैं और उनकी कपटपूर्ण सोच से होने वाले खतरे को अनदेखा नहीं किया जा सकता. जब हम अपनी रणनीतिक योजनाएं बनाते हैं, तो यह भी हमारी गणना व आकलन का अहम हिस्सा होता है.'

पढ़ें - लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध के बीच कायम है ह्यूमन इंटेलिजेंस का दबदबा

उन्होंने कहा कि भारत को 'दो मोर्चों' पर खतरे के परिदृश्य से निपटने के लिए तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य और असैन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है.

चीन द्वारा पिछले साल मई में सैनिकों को भेजे जाने के सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि यह नया नहीं है, क्योंकि वो क्षेत्र में प्रशिक्षण के लिए आए थे और भारत उन पर नजर रख रहा था. उन्होंने हालांकि यह जोड़ा को चीनी सेना को 'पहले आने का फायदा' मिला.

भारतीय सेना द्वारा पिछले साल अगस्त में पैंगोंग झील से लगे कुछ ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्जा किए जाने के परोक्ष संदर्भ में उन्होंने कहा, 'अगस्त में हमें पहले कदम उठाने का फायदा मिला, क्योंकि वो नहीं जानते थे कि हम उन्हें चौंका देंगे.'

जनरल नरवणे ने यह भी कहा कि चीन ने पीछे के इलाकों से कुछ सैनिकों को प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वापस भेजा है और बताया कि अग्रिम मोर्चे पर सैनिकों की तैनाती में कोई कमी नहीं की गई है.

जनरल नरवणे ने कहा कि पाकिस्तान लगातार आतंकवाद का इस्तेमाल राजकीय नीति के औजार के रूप में करता आ रहा है और भारत इस समस्या का प्रभावी तरीके से मुकाबला करता रहेगा.

सेना प्रमुख ने कहा कि हम सीमापार से हो रहे आतंकवाद का जवाब अपने पसंदीदा वक्त पर देने का अधिकार रखते हैं.

Last Updated : Jan 13, 2021, 6:18 AM IST
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