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पोत पुनर्चक्रण विधेयक लोकसभा में ध्वनिमत से पारित

लोकसभा में पोत पुनर्चक्रण विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गया है. कुछ विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक पर सवाल जरूर उठाए गए, लेकिन सरकार ने उनकी चिंताओं को निर्मूल करार देते हुए कहा कि इस विधेयक से पर्यावरण को फायदा होगा, साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.

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ओम बिरला, लोकसभा स्पीकर
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Published : Dec 3, 2019, 8:19 PM IST

Updated : Dec 4, 2019, 12:01 AM IST

नई दिल्ली : लोकसभा ने मंगलवार को ‘पोत पुनर्चक्रण विधेयक-2019’ को मंजूरी दे दी. सरकार ने विधेयक पर कुछ विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को निर्मूल करार देते हुए कहा कि यह विधेयक श्रमिक केंद्रित, पर्यावरण केंद्रित है, जिसमें रोजगार एवं उद्योग में वृद्धि पर खास ध्यान रखा गया है.

निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पोत परिवहन मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि मौजूदा समय में दुनिया के पोत रिसाइकलिंग उद्योग में भारत की 30 फीसदी हिस्सेदारी है और इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद इसमें और बढ़ोतरी होगी.

पोत पुनर्चक्रण विधेयक लोकसभा में ध्वनिमत से पारित.

पोत परिवहन मंत्री ने कहा कि हांगकांग संधि का अनुमोदन करने और अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) के मानकों के आधार पर कानून बनाने से पोत उद्योग को बहुत लाभ होगा.

कुछ सदस्यों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए मांडविया ने कहा, 'यह संधि देश और उद्योग के हित में है, इसलिए हमने इसे लागू किया. मोदी सरकार किसी संधि को लागू करने के लिए किसी के दवाब में नहीं आती. आरसीईपी देश के हित में नहीं था, तो हमने स्वीकार नहीं किया.'

उन्होंने गुजरात के अलंग का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 131 प्लाट हैं, जिनमें 72 प्लाट हांगकांग संधि के अनुरूप हैं.

पढ़ें- राज्यसभा में पेश किया गया एसपीजी संशोधन बिल

मंत्री ने कहा कि जहाज पुनर्चक्रण के संदर्भ में नार्वे, जापान जैसे देशों ने अपने जहाज भेजने की बात कही है.

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में जहाज तोड़ने का उद्योग कचरा पैदा करने वाला नहीं बल्कि धन पैदा करने वाला उद्योग है. इन जहाजों से इस्पात के अलावा मोटर, इंजन, फर्नीचर आदि प्राप्त होते हैं.

मांडविया ने कहा कि इसमें स्वास्थ्य एवं श्रमिक सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है. इसमें ऐसा प्रावधान है कि उद्योग को जहाज से जुड़ी सामग्री की जानकारी तैयार करनी होती है, जिसमें यह भी बताना होगा है कि घातक सामग्री क्या-क्या हैं. इसके अलावा अधिकार सम्पन्न प्राधिकारी इसकी जांच करते हैं.

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.

नई दिल्ली : लोकसभा ने मंगलवार को ‘पोत पुनर्चक्रण विधेयक-2019’ को मंजूरी दे दी. सरकार ने विधेयक पर कुछ विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को निर्मूल करार देते हुए कहा कि यह विधेयक श्रमिक केंद्रित, पर्यावरण केंद्रित है, जिसमें रोजगार एवं उद्योग में वृद्धि पर खास ध्यान रखा गया है.

निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पोत परिवहन मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि मौजूदा समय में दुनिया के पोत रिसाइकलिंग उद्योग में भारत की 30 फीसदी हिस्सेदारी है और इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद इसमें और बढ़ोतरी होगी.

पोत पुनर्चक्रण विधेयक लोकसभा में ध्वनिमत से पारित.

पोत परिवहन मंत्री ने कहा कि हांगकांग संधि का अनुमोदन करने और अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) के मानकों के आधार पर कानून बनाने से पोत उद्योग को बहुत लाभ होगा.

कुछ सदस्यों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए मांडविया ने कहा, 'यह संधि देश और उद्योग के हित में है, इसलिए हमने इसे लागू किया. मोदी सरकार किसी संधि को लागू करने के लिए किसी के दवाब में नहीं आती. आरसीईपी देश के हित में नहीं था, तो हमने स्वीकार नहीं किया.'

उन्होंने गुजरात के अलंग का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 131 प्लाट हैं, जिनमें 72 प्लाट हांगकांग संधि के अनुरूप हैं.

पढ़ें- राज्यसभा में पेश किया गया एसपीजी संशोधन बिल

मंत्री ने कहा कि जहाज पुनर्चक्रण के संदर्भ में नार्वे, जापान जैसे देशों ने अपने जहाज भेजने की बात कही है.

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में जहाज तोड़ने का उद्योग कचरा पैदा करने वाला नहीं बल्कि धन पैदा करने वाला उद्योग है. इन जहाजों से इस्पात के अलावा मोटर, इंजन, फर्नीचर आदि प्राप्त होते हैं.

मांडविया ने कहा कि इसमें स्वास्थ्य एवं श्रमिक सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है. इसमें ऐसा प्रावधान है कि उद्योग को जहाज से जुड़ी सामग्री की जानकारी तैयार करनी होती है, जिसमें यह भी बताना होगा है कि घातक सामग्री क्या-क्या हैं. इसके अलावा अधिकार सम्पन्न प्राधिकारी इसकी जांच करते हैं.

मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 18:41 HRS IST




             
  • लोकसभा ने पोत पुनर्चक्रण विधेयक को मंजूरी दी



नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) लोकसभा ने मंगलवार को ‘पोत पुनर्चक्रण विधेयक-2019’ को मंजूरी दे दी। सरकार ने विधेयक पर कुछ विपक्षी सदस्यों की चिंताओं को निर्मूल बताते हुए कहा कि यह विधेयक श्रमिक केंद्रित, पर्यावरण केंद्रित है जिसमें रोजगार एवं उद्योग में वृद्धि पर खास ध्यान रखा गया है। निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पोत परिवहन मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि मौजूदा समय में दुनिया के पोत रिसाइकलिंग उद्योग में भारत की 30 फीसदी हिस्सेदारी है और इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद इसमें और बढ़ोतरी होगी।



मंत्री ने कहा कि हांगकांग संधि का अनुमोदन करने और अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) के मानकों के आधार पर कानून बनाने से पोत उद्योग को बहुत लाभ होगा।



कुछ सदस्यों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए मांडविया ने कहा कि यह संधि देश और उद्योग के हित में है, इसलिये इसे लागू कर रहे हैं। मोदी सरकार किसी संधि को लागू करने के लिये किसी के दवाब में नहीं आती है। आरसीईपी देश के हित में नहीं था, तो हमने स्वीकार नहीं किया।



उन्होंने गुजरात के अलंग का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 131 प्लाट हैं जिनमें से 72 प्लाट हांगकांग संधि के अनुरूप हैं।



मंत्री ने कहा कि जहाज पुनर्चक्रण के संदर्भ में नार्वे, जापान जैसे देशों ने अपना जहाज भेजने की बात कही है।



उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में जहाज तोड़ने का उद्योग कचरा पैदा करने वाला नहीं बल्कि धन पैदा करने वाला उद्योग है। इन जहाजों से इस्पात के अलावा मोटर, इंजन, फर्नीचर आदि प्राप्त होते हैं।



मांडविया ने कहा कि इसमें स्वास्थ्य एवं श्रमिक सुरक्षा का खास ध्यान रखा गया है। इसमें ऐसा प्रावधान है कि उद्योग को जहाज से जुड़ी सामग्री की जानकारी तैयार करनी होती है जिसमें यह भी बताना होगा है कि घातक सामग्री क्या-क्या हैं। इसके अलावा अधिकार सम्पन्न प्राधिकारी इसकी जांच करते हैं।



मंत्री के जवाब के बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।


Conclusion:
Last Updated : Dec 4, 2019, 12:01 AM IST
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