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लॉकडाउन में चाय उद्योग पर मंदी, पर बढ़ी डिमांड

एक रिपोर्ट के अनुसार असम में लगभग 70 हज़ार से अधिक मज़दूर 100 से अधिक चाय बाग़ानों में काम करते हैं. लॉकडाउन के शुरू होने के बाद से ही चाय उद्योग पर संकट आ गया. लेकिन अब भारतीय बाजारों में चाय की मांग बढ़ने से हरी पत्ती की प्लकिंग शुरू कर दी गई है.

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Published : Aug 12, 2020, 7:17 PM IST

गुवाहाटीः कोरोना और लॉकडाउन के कारण हर उद्योग पर गहरा असर पड़ा है. असम में चाय उद्योग को करोड़ों का नुकसान हुआ है. यहां प्रोडक्शन में काफी गिरावट दर्ज की गई है. सोशल डिस्टेंसिंग के चलते चाय के बागानों में कम लोगों के काम करने की वजह से चाय उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है. वहीं उद्योगों को इस मुश्किल घड़ी में एक उम्मीद की किरण दिखाई दी है. इस समय भारतीय बाजारों में चाय की डिमांड बड़ गई है.

कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के दौरान 200 साल पुराने असम चाय उद्योग को बहुत नुकसान हुआ है. चाय बागानों को कई दिनों तक हरी पत्ती की प्लकिंग बंद करनी पड़ी.

असम कंपनी इंडिया लिमिटेड के निदेशक संजय जैन बताते हैं कि अन्य कारक भी हैं, जिनके कारण उद्योग पर मंदी आई. बारिश और बाढ़ की मौजूदा स्थिति ने उद्योग पर भी असर डाला, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ.

जुटलिबरी चाय की निर्देशक नालीन खेमानी ने भी माना कि उद्योग पर कोरोना वायरस के साथ, बारिश और बाढ़ ने भी प्रभाव डाला है.

हालांकि, निराशा के बीच चाय उद्योग के लिए एक अच्छी खबर आई है. सिल्वरलाइनिंग ने चाय बागान और उद्योग से जुड़े लोगों में उत्साह का संचार किया है. उद्योग के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि असम चाय पर छाई मंदी इस चरण में खत्म हो जाएगी. बागवानों को यह भी लगता है कि उत्पादन में कमी है, फिर भी कीमत में कुछ वृद्धि हुई है, जो उत्पादन के नुकसान की भरपाई करेगा.

पढ़ेंः लॉकडाउन-अनलॉक : देश में बढ़ रही महिलाओं की तस्करी

भारत के कुल चाय उत्पादन में असम का योगदान लगभग 52 प्रतिशत है. असम में हर साल 630 से 700 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है. जिसे मुख्य रूप से नीलामी के माध्यम से बेचा जाता है. चाय को विभिन्न ब्रांडों जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर, टाटा, बागबकरी आदि के तहत बाजार में जोड़ा गया है.

गुवाहाटीः कोरोना और लॉकडाउन के कारण हर उद्योग पर गहरा असर पड़ा है. असम में चाय उद्योग को करोड़ों का नुकसान हुआ है. यहां प्रोडक्शन में काफी गिरावट दर्ज की गई है. सोशल डिस्टेंसिंग के चलते चाय के बागानों में कम लोगों के काम करने की वजह से चाय उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है. वहीं उद्योगों को इस मुश्किल घड़ी में एक उम्मीद की किरण दिखाई दी है. इस समय भारतीय बाजारों में चाय की डिमांड बड़ गई है.

कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के दौरान 200 साल पुराने असम चाय उद्योग को बहुत नुकसान हुआ है. चाय बागानों को कई दिनों तक हरी पत्ती की प्लकिंग बंद करनी पड़ी.

असम कंपनी इंडिया लिमिटेड के निदेशक संजय जैन बताते हैं कि अन्य कारक भी हैं, जिनके कारण उद्योग पर मंदी आई. बारिश और बाढ़ की मौजूदा स्थिति ने उद्योग पर भी असर डाला, जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ.

जुटलिबरी चाय की निर्देशक नालीन खेमानी ने भी माना कि उद्योग पर कोरोना वायरस के साथ, बारिश और बाढ़ ने भी प्रभाव डाला है.

हालांकि, निराशा के बीच चाय उद्योग के लिए एक अच्छी खबर आई है. सिल्वरलाइनिंग ने चाय बागान और उद्योग से जुड़े लोगों में उत्साह का संचार किया है. उद्योग के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि असम चाय पर छाई मंदी इस चरण में खत्म हो जाएगी. बागवानों को यह भी लगता है कि उत्पादन में कमी है, फिर भी कीमत में कुछ वृद्धि हुई है, जो उत्पादन के नुकसान की भरपाई करेगा.

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भारत के कुल चाय उत्पादन में असम का योगदान लगभग 52 प्रतिशत है. असम में हर साल 630 से 700 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है. जिसे मुख्य रूप से नीलामी के माध्यम से बेचा जाता है. चाय को विभिन्न ब्रांडों जैसे हिंदुस्तान यूनिलीवर, टाटा, बागबकरी आदि के तहत बाजार में जोड़ा गया है.

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