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भारत-चीन तनाव : स्थानीय लोग चाहते हैं गतिरोध का निपटारा

भारत और चीनी सेना के बीच बढ़ते तनाव को लेकर स्थानीय लोगों का मानना है कि वह पहले से ही कोरोना की मार झेल रहे हैं, ऐसे में दोनों देशों के बीच कोई भी संघर्ष होता है, तो यह सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है. हालांकि दोनों देशों के विदेश मंत्री इस बात सहमत हो गए हैं कि उनके सैनिकों को सीमा से दूर रहना चाहिए और सीमा पर मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है.

भारत-चीन तनाव
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Published : Sep 11, 2020, 5:02 PM IST

लद्दाख : भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि वह किसी भी स्थिति में युद्ध नहीं चाहते. इस संबंध में लेह निवासी मोहम्मद अमीन गलवान ने शुक्रवार को कहा, 'पहले से ही महामारी चल रही है और अब अगर युद्ध हुआ, तो यह सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.' वहीं एक स्थानीय नेता नवांग स्टैम्प्टन ने कहा 'हम लद्दाख के लोग और दुनिया चाहती है कि इस क्षेत्र में कोई युद्ध न हो.'

इससे पहले भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और चीन के वांग यी ने गुरुवार रात मुलाकात की और शुक्रवार को एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि सीमा पर मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है.

पिछले हफ्ते से दो एशियाई दिग्गजों ने एक-दूसरे के क्षेत्र में सैनिकों को भेजने और 45 साल में पहली बार चेतावनी के फायर करने का आरोप लगाया और सैन्य संघर्ष की चेतावनी दी.

विदेश मंत्रियों ने मई के बाद से गतिरोध के बाद क्षेत्र में तैनात किए गए हजारों सैनिकों के विघटन के लिए कोई समय निर्धारित नहीं किया था, लेकिन सहमति व्यक्त की है कि दोनों पक्ष मौजूदा व्यवस्थाओं का पालन करेंगे और संघर्ष से बचेंगे.

पढ़ें - तनाव घटाने पर भारत-चीन राजी, पांच सूत्रीय फॉर्मूले पर बनी सहमति

बता दें कि 3,500 किलोमीटर (2,175 मील) लंबी सीमा, जो पश्चिमी लद्दाख में भारत के पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश को चीन और भारतीय क्षेत्रों को अलग करती है, उस पर चीन पूरी तरह से दावा करता है.

उल्लेखनीय है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के क्षेत्र में पार करने सहित उत्तेजक व्यवहार का आरोप लगाते हैं और दोनों ने अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

लद्दाख : भारत और चीन के बीच चल रहे गतिरोध को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि वह किसी भी स्थिति में युद्ध नहीं चाहते. इस संबंध में लेह निवासी मोहम्मद अमीन गलवान ने शुक्रवार को कहा, 'पहले से ही महामारी चल रही है और अब अगर युद्ध हुआ, तो यह सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.' वहीं एक स्थानीय नेता नवांग स्टैम्प्टन ने कहा 'हम लद्दाख के लोग और दुनिया चाहती है कि इस क्षेत्र में कोई युद्ध न हो.'

इससे पहले भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और चीन के वांग यी ने गुरुवार रात मुलाकात की और शुक्रवार को एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि सीमा पर मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है.

पिछले हफ्ते से दो एशियाई दिग्गजों ने एक-दूसरे के क्षेत्र में सैनिकों को भेजने और 45 साल में पहली बार चेतावनी के फायर करने का आरोप लगाया और सैन्य संघर्ष की चेतावनी दी.

विदेश मंत्रियों ने मई के बाद से गतिरोध के बाद क्षेत्र में तैनात किए गए हजारों सैनिकों के विघटन के लिए कोई समय निर्धारित नहीं किया था, लेकिन सहमति व्यक्त की है कि दोनों पक्ष मौजूदा व्यवस्थाओं का पालन करेंगे और संघर्ष से बचेंगे.

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बता दें कि 3,500 किलोमीटर (2,175 मील) लंबी सीमा, जो पश्चिमी लद्दाख में भारत के पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश को चीन और भारतीय क्षेत्रों को अलग करती है, उस पर चीन पूरी तरह से दावा करता है.

उल्लेखनीय है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के क्षेत्र में पार करने सहित उत्तेजक व्यवहार का आरोप लगाते हैं और दोनों ने अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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