नई दिल्लीः रेलवे मील में छिपकली मिलने के दिलचस्प मामले की सच्चाई आखिरकार सामने आ ही गई है. शिकायतकर्ता बुजुर्ग सुरेंद्र पाल ने मुफ्त में रेलवे का भोजन पाने के लिये अपने ही खाने को दूषित किया था.
इस संबंध में DCM (विभागीय वाणिज्यिक प्रबंधक) ने पाया कि मामले से संबंधित दो तरह की घटनाएं एक जैसी हैं. उन्होंने सुरेंद्र पाल की चाल में फंसे रेलवे उपमंडल को सतर्क किया.
वरिष्ठ विभागीय अधिकारी बसंत कुमार ने बताया कि, एक ही व्यक्ति ने 14 जुलाई को पहले जबलपुर स्टेशन पर अपने समोसे में छिपकली मिलने का दावा किया और फिर उसी ने गुंटकल स्टेशन पर अपनी बिरयानी में भी छिपकली मिलने की शिकायत की.
उन्होंने कहा कि मुझे शक हुआ और मैंने उस आदमी की तस्वीर शेयर की और वरिष्ठ DCM को अलर्ट किया.
कुमार ने कहा कि वे 70 साल के रहे होंगे और मुफ्त में भोजन पाने के लिये उन्होंने ऐसा किया.
वरिष्ठ अधिकारियों ने गुंटकल स्टेशन पर सुरेन्द्र से पूछताछ की तो उन्होंने सच्चाई उगल दी.
यहां तक कि सुरेन्द्र ने एक वीडियो भी रिकॉर्ड की, जिसमें उन्होंने बताया कि, इस चाल के लिये उसने 'मानसिक रोग दूर करने वाली मछली' का इस्तेमाल किया.
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वीडियो में वह रेलवे अधिकारियों से उलझता दिख रहे हैं.
वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, 'मैंने कुछ गलत नहीं किया. मैं बूढ़ा आदमी हूं, मानसिक रूप से अस्थिर हूं. मुझे ब्लड कैंसर है. कृपया मुझे जाने दो. पंजाब में एक आयुर्वेदिक दवा है. मैंने हड्डी रोगों और मानसिक बीमारियों को दूर करने की एक मछली का इस्तेमाल किया.
सुरेन्द्र ने यह दावा भी किया कि उनके पिता वरिष्ठ डीसीएम थे.
अधिकारियों ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सुरेन्द्र मानसिक रूप से अस्थिर हैं या नहीं, जैसा कि उन्होंने दावा किया है.
उन्होंने कहा कि साथ ही यह भी अस्पष्ट है कि उन्हें ब्लड कैंसर है या नहीं.