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सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर कानून संभव नहीं : विजयन - सबरीमला मंदिर पर विजयन ने कहा

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से संबंधित उच्चतम न्यायालय का फैसला मौलिक अधिकारों से जुड़ा है. उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए कोई कानून लाना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है. जानें उन्होंने और क्या कुछ कहा.....

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन.
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Published : Nov 4, 2019, 4:49 PM IST

तिरुवनंतपुरम : केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि सबरीमला के अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए कोई कानून लाना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है.

बता दें कि विजयन ने विधानसभा में विपक्षी यूडीएफ के एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि शीर्ष अदालत का 28 सितम्बर, 2018 का फैसला जल्लीकट्टू या बैलगाड़ी दौड़ से संबंधित फैसले जैसा नहीं है.

उन्होंने कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से संबंधित उच्चतम न्यायालय का फैसला मौलिक अधिकारों से जुड़ा फैसला है. राज्य सरकार शीर्ष अदालत का फैसला लागू करने के लिए बाध्य है.

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल सितम्बर में सबरीमला के अयप्पा मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं द्वारा पूजा करने पर लगी रोक हटा ली थी, इसके साथ ही सभी उम्र की महिलाओं के इस मंदिर में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हो गया था.

पढे़ं : बीजेपी सांसद ने तोड़ा ऑड ईवन का नियम, कटा चालान

शीर्ष अदालत के 28 सितम्बर, 2018 के इस फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर की गई है और उस पर इसी माह आदेश आने की संभावना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि रजस्वला आयुवर्ग की महिलाओं को (मंदिर में) प्रवेश करने से रोकना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और संविधान के विरुद्ध होगा.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कानूनी राय ली है और उसके हिसाब से इस फैसले को दरगुजर करने के लिए कोई कानून लाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि जो लोग सबरीमला मंदिर में प्रवेश पर कानून लाने की बात करते हैं, वे श्रद्धालुओं को ठग रहे हैं.

माकपानीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार पिछले वार्षिक तीर्थाटन सत्र के दौरान रजस्वला आयुवर्ग की दो महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर आलोचना से घिर गई थी.

तिरुवनंतपुरम : केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि सबरीमला के अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले को पलटने के लिए कोई कानून लाना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है.

बता दें कि विजयन ने विधानसभा में विपक्षी यूडीएफ के एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि शीर्ष अदालत का 28 सितम्बर, 2018 का फैसला जल्लीकट्टू या बैलगाड़ी दौड़ से संबंधित फैसले जैसा नहीं है.

उन्होंने कहा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश से संबंधित उच्चतम न्यायालय का फैसला मौलिक अधिकारों से जुड़ा फैसला है. राज्य सरकार शीर्ष अदालत का फैसला लागू करने के लिए बाध्य है.

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल सितम्बर में सबरीमला के अयप्पा मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं द्वारा पूजा करने पर लगी रोक हटा ली थी, इसके साथ ही सभी उम्र की महिलाओं के इस मंदिर में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हो गया था.

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शीर्ष अदालत के 28 सितम्बर, 2018 के इस फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर की गई है और उस पर इसी माह आदेश आने की संभावना है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि रजस्वला आयुवर्ग की महिलाओं को (मंदिर में) प्रवेश करने से रोकना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और संविधान के विरुद्ध होगा.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कानूनी राय ली है और उसके हिसाब से इस फैसले को दरगुजर करने के लिए कोई कानून लाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि जो लोग सबरीमला मंदिर में प्रवेश पर कानून लाने की बात करते हैं, वे श्रद्धालुओं को ठग रहे हैं.

माकपानीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार पिछले वार्षिक तीर्थाटन सत्र के दौरान रजस्वला आयुवर्ग की दो महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर आलोचना से घिर गई थी.

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.THIRUVAI MDS7
KL-SABARIMALA
Legislation on Sabarimala women entry not possible: Ker CM
         Thiruvananthapuram, Nov 4 (PTI) Kerala Chief Minister
Pinarayi Vijayan on Monday said it was not possible for the
state to bring in any legislation to circumvent the Supreme
Court verdict permitting women of all age groups into the
Sabarimala Lord Ayyappa temple.
         The apex court verdict of September 28 last year was
not similar to that of the ruling related to Jallikattu or
bullock cart race, he told the state assembly in response to
a question by the opposition UDF.
         "The Supreme Court verdict regarding the Sabarimala
women entry is the one related to that of the fundamental
rights. The state government is bound to implement the apex
court order," Vijayan said.
         The Supreme Court had in September last year paved the
way for entry of women of all ages into the Ayyappa temple at
Sabarimala, lifting the ban on women in the age group of 10 to
50 from worshipping at the shrine.
         A review petition has been filed against the September
28, 2018 verdict and the top court is expected to deliver its
order on it later this month.
         Barring women in menstrual age would amount to the
violation of their fundamental rights and would go against the
Constitution, the chief minister said.
         As per legal opinion received by the state government,
it was not possible to bring in any legislation to get around
the verdict, he said.
         Those who talk about bringing in legislation on
Sabarimala women entry were "cheating" devotees, he said.
         The Left veteran also reiterated his government had
not forced any woman to climb Sabarimala and it was up to the
women to decide whether they want to go to the Lord Ayyappa
temple or not.
         The CPI(M)-led LDF government, led by Vijayan, had
faced severe criticism over the entry of two women in the
menstruating age group, into the Sabarimala shrine during the
last annual pilgrimage season.
         The portals of the shrine would be opened for the
three-month long annual pilgrimage season this year on
November 16. PTI LGK UD
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SS
11041457
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