नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान पुलिस द्वारा बर्बरता किए जाने के खिलाफ सोमवार को यहां जंतर मंतर पर सभी वामपंथी दलों ने धरना-प्रदर्शन किया.
वामपंथी दलों ने इसी क्रम में मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आगामी आठ जनवरी को देशव्यापी बंद का भी आह्वान किया है.
जंतर- मंतर पर हुए धरना-प्रदर्शन में ठंड की वजह से प्रदर्शनकारियों की संख्या कम जरूर थी, लेकिन इसके बावजूद सभी चार प्रमुख वामपंथी दलों के नेता अपनी आवाज बुलंद करने पहुंचे थे.
ईटीवी भारत ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव अतुल अंजान से बातचीत की, जिन्होंने मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि अब तो एनडीए के घटक दल भी नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ अलग खड़े हो गए हैं.
अतुल अंजान ने कहा कि मोदी सरकार एनडीए की बैठक नहीं बुला पा रही है. देशव्यापी विरोध से सरकार अंदर से हिली हुई है, फिर भी देश की आवाज को सुनना नहीं चाहती.
सीपीआई नेता ने आरएसएस और ओवैसी पर भी निशाना साधा और कहा कि देश की जनता को इनकी विभाजित करने वाली नीतियां समझ में नहीं आती है.
अंजान ने कहा कि देश की जीडीपी घटकर 4:30 प्रतिशत रह गई है और खुद भाजपा के नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने भी कहा कि वर्तमान में जीडीपी 4:30 प्रतिशत से भी ज्यादा कम है.
उन्होंने कहा कि देश में किसानों की हालत बुरी है, अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है आयात-निर्यात घटता जा रहा है और व्यापारियों का भी बुरा हाल है. ऐसे में इन मुद्दों पर ध्यान देने की बजाय मोदी और शाह की जोड़ी देश को धर्म के आधार पर विभाजित करने में जुटी हुई है.
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वामदलों की तरफ से अतुल अंजान ने सभी विपक्षी पार्टियों से आह्वान किया कि वे 8 जनवरी को वामपंथी दलों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के समर्थन में खड़ी हों.
वस्तुतः नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सभी वाम दलों ने लगातार एकजुटता दिखाई है और इनके विरोध प्रदर्शनों का दौर भी लगातार जारी है. ऐसे में इन्हें भरोसा है कि 8 जनवरी को आहूत भारत बंद में इन्हें जनता और अन्य विपक्षी पार्टियों का भी व्यापक सहयोग मिलेगा और ये मोदी सरकर को झुकने पर मजबूर कर देंगे.