ETV Bharat / bharat

लालू को 'कटघरे' में खड़ा करने वाले नेता के बारे में जानिए सबकुछ

भाजपा विधायक ललन पासवान कभी लालू यादव को अपना आदर्श मानते थे, लेकिन आज उन्हें ही कटघरे में खड़ा कर दिया. आइए विस्तार से जानते हैं कौन हैं ललन पासवान और क्या है इनका बैकग्राउंड. बिहार ब्यूरो चीफ अमित भेलारी की एक रिपोर्ट.

ललन पासवान
ललन पासवान
author img

By

Published : Nov 26, 2020, 8:12 PM IST

हैदराबाद : ललन पासवान ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है. जब से उन्होंने लालू यादव से की गई बातचीत का एक ऑडियो वायरल किया है, हर कोई उनके बारे में जानना चाहता है. कौन हैं ललन पासवान और कहां से आते हैं वह.

47 साल के पासवान भागलपुर जिले के इशिपुर बरहट गांव से आते हैं. भाजपा की टिकट पर पीरपैंती से वह पहली बार विधायक बने हैं. ईटीवी भारत ने उनसे विशेष बातचीत की. उनके बारे में कई नई जानकारियां मिलीं. पासवान पेशे से इंजीनियर हैं. उन्होंने 1996 में मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से बीटेक की डिग्री प्राप्त की. भागलपुर से स्कूली शिक्षा ली.

लालू यादव की राजनीति से थे प्रभावित

पासवान ने बताया कि पढ़ाई के समय से ही वह लालू यादव की राजनीति से प्रभावित थे. वह उन्हें अपना आदर्श मानते थे, क्योंकि उन्होंने पिछड़ों के लिए आवाज उठाई थी. जिस तरीके से सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाया, वह उन्हें अच्छा लगता था. हालांकि, पासवान ने बताया कि वह लालू से राजनीतिक रूप से कभी नहीं जुड़े.

वह आगे बताते हैं कि उनके मन में लालू के प्रति जो इज्जत थी, वह जल्द ही कम होने लगी. क्योंकि वह प्रजातंत्र के रास्ते से इतर जा रहे थे. पासवान ने बताया कि जब वह इंजीनियरिंग का अध्ययन कर रहे थे, उस समय लालू ने प्रमोशन में आरक्षण का विरोध किया था. यह देखते ही उनके मन में लालू के प्रति मोह टूट गया. उन्होंने कहा कि राबड़ी की सरकार संभवतः पहली सरकार थी, जिसने इसके खिलाफ कदम उठाया था.

उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी की सरकार द्वारा उठाए गए कदम से बहुत सारे लोगों का डिमोशन हो गया, जिन्हें प्रमोशन मिल चुका था. सीनियर एग्जक्यूटिव इंजीनियर को एग्जक्यूटिव बना दिया गया. इंस्पेक्टर को डिप्टी बना दिया गया. पहली बार मैंने लालू का असली चेहरा देखा. मुझे लगा कि वह अनुसूचित जाति/जनजाति और दलितों के खिलाफ हैं. इस घटना के बाद उनके प्रति मेरे मन में कोई इज्जत नहीं रह गई थी.

जाते रहे हैं शाखा

पासवान ने कहा कि शुरुआती दिनों में वह किसी की मदद से लालू से मिले थे. उस समय पीरपैंती से शोभा कांत मंडल विधायक थे. वह राजद से आते थे. उन्होंने ही मुझे लालू से मिलने में मदद की थी. उस समय वह लालू को जन्मदिन की बधाई देने गए थे. एकाध और मौके पर मैंने लालू से मुलाकात की होगी.

पासवान ने 2000 में राजनीति की शुरुआत की. 2008 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली. बीआर अंबेडकर से वह काफी प्रभावित रहे हैं. कुछ समय के लिए वह बीएएमसीईएफ (बैकवर्ड, एसटी, एससी, ओबीसी) और अल्पसंख्यक समुदाय एम्पलॉय फेडरेशन के सदस्य भी बने. आरएसएस के प्रतिबद्ध सदस्य नहीं रहे, लेकिन अक्सर शाखा जाते रहे हैं.

वह छह भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर हैं. उनसे बड़ी एक बहन हैं. 2019 में उनके पिता शिवथ पासवान का निधन हो गया. पिता पीडब्लूडी में हेड क्लर्क थे. मां कुलेश्वरी देवी अभी स्वस्थ हैं.

राम विलास पासवान के खिलाफ लड़ा था चुनाव

2015 में उन्होंने राजद के राम विलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था. लेकिन वह हार गए. हालांकि, उन्हें 75 हजार वोट मिला था. इस बार उन्होंने 27 हजार से जीत हासिल की. उनके खिलाफ एक बार फिर से राजद के राम विलास पासवान ही उम्मीदवार थे. ललन पासवान को कुल 97 हजार वोट हासिल हुआ था.

ललन पासवान ने सुशील मोदी की तारीफ की. उन्होंने कहा कि वह नए नेताओं को बढ़ावा देते हैं. सुशील मोदी ने ही सबसे पहले अपने ट्विटर अकाउंट से लालू के ऑडियो की खबर सार्वजनिक की.

2005 में उनकी शादी गुंजन कुमारी से हुई. उनकी एक बेटी है. उसका नाम गरिमा है. वह छठी क्लास में पढ़ती है.

पासवान से जब पूछा गया कि लालू ने एनडीए के इतने सारे विधायकों में आपको ही क्यों चुना. इस पर उन्होंने कहा कि हो सकता है उन्होंने दूसरों को भी कॉल किया हो. लेकिन सार्वजनिक तौर पर सच बोलने का साहस हर कोई नहीं कर सकता है.

पासवान ने कहा कि हो सकता है लालू को लगा होगा कि पासवान गरीब परिवार से आते हैं. इसलिए उन्हें तोड़ना आसान है. जब मैंने नामांकन दाखिल किया था, तब मेरे बैंक अकाउंट में मात्र 928 रुपये थे. बिहार चुनाव में मैं सबसे गरीब उम्मीदवार था. लेकिन पार्टी ने मुझपर विश्वास किया. मुझे टिकट दिया. जिस पार्टी ने मुझे इज्जत दी, उसका विश्वास तोड़ने के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता हूं. पार्टी मेरी मां की तरह है.

पासवान ने कहा कि मुझे लालू पर सचमुच बहुत दया आती है कि उन्होंने अपने बेटे के लिए इस तरह के अनैतिक कदम उठाए.

हैदराबाद : ललन पासवान ने बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया है. जब से उन्होंने लालू यादव से की गई बातचीत का एक ऑडियो वायरल किया है, हर कोई उनके बारे में जानना चाहता है. कौन हैं ललन पासवान और कहां से आते हैं वह.

47 साल के पासवान भागलपुर जिले के इशिपुर बरहट गांव से आते हैं. भाजपा की टिकट पर पीरपैंती से वह पहली बार विधायक बने हैं. ईटीवी भारत ने उनसे विशेष बातचीत की. उनके बारे में कई नई जानकारियां मिलीं. पासवान पेशे से इंजीनियर हैं. उन्होंने 1996 में मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से बीटेक की डिग्री प्राप्त की. भागलपुर से स्कूली शिक्षा ली.

लालू यादव की राजनीति से थे प्रभावित

पासवान ने बताया कि पढ़ाई के समय से ही वह लालू यादव की राजनीति से प्रभावित थे. वह उन्हें अपना आदर्श मानते थे, क्योंकि उन्होंने पिछड़ों के लिए आवाज उठाई थी. जिस तरीके से सामाजिक न्याय का मुद्दा उठाया, वह उन्हें अच्छा लगता था. हालांकि, पासवान ने बताया कि वह लालू से राजनीतिक रूप से कभी नहीं जुड़े.

वह आगे बताते हैं कि उनके मन में लालू के प्रति जो इज्जत थी, वह जल्द ही कम होने लगी. क्योंकि वह प्रजातंत्र के रास्ते से इतर जा रहे थे. पासवान ने बताया कि जब वह इंजीनियरिंग का अध्ययन कर रहे थे, उस समय लालू ने प्रमोशन में आरक्षण का विरोध किया था. यह देखते ही उनके मन में लालू के प्रति मोह टूट गया. उन्होंने कहा कि राबड़ी की सरकार संभवतः पहली सरकार थी, जिसने इसके खिलाफ कदम उठाया था.

उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी की सरकार द्वारा उठाए गए कदम से बहुत सारे लोगों का डिमोशन हो गया, जिन्हें प्रमोशन मिल चुका था. सीनियर एग्जक्यूटिव इंजीनियर को एग्जक्यूटिव बना दिया गया. इंस्पेक्टर को डिप्टी बना दिया गया. पहली बार मैंने लालू का असली चेहरा देखा. मुझे लगा कि वह अनुसूचित जाति/जनजाति और दलितों के खिलाफ हैं. इस घटना के बाद उनके प्रति मेरे मन में कोई इज्जत नहीं रह गई थी.

जाते रहे हैं शाखा

पासवान ने कहा कि शुरुआती दिनों में वह किसी की मदद से लालू से मिले थे. उस समय पीरपैंती से शोभा कांत मंडल विधायक थे. वह राजद से आते थे. उन्होंने ही मुझे लालू से मिलने में मदद की थी. उस समय वह लालू को जन्मदिन की बधाई देने गए थे. एकाध और मौके पर मैंने लालू से मुलाकात की होगी.

पासवान ने 2000 में राजनीति की शुरुआत की. 2008 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली. बीआर अंबेडकर से वह काफी प्रभावित रहे हैं. कुछ समय के लिए वह बीएएमसीईएफ (बैकवर्ड, एसटी, एससी, ओबीसी) और अल्पसंख्यक समुदाय एम्पलॉय फेडरेशन के सदस्य भी बने. आरएसएस के प्रतिबद्ध सदस्य नहीं रहे, लेकिन अक्सर शाखा जाते रहे हैं.

वह छह भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर हैं. उनसे बड़ी एक बहन हैं. 2019 में उनके पिता शिवथ पासवान का निधन हो गया. पिता पीडब्लूडी में हेड क्लर्क थे. मां कुलेश्वरी देवी अभी स्वस्थ हैं.

राम विलास पासवान के खिलाफ लड़ा था चुनाव

2015 में उन्होंने राजद के राम विलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा था. लेकिन वह हार गए. हालांकि, उन्हें 75 हजार वोट मिला था. इस बार उन्होंने 27 हजार से जीत हासिल की. उनके खिलाफ एक बार फिर से राजद के राम विलास पासवान ही उम्मीदवार थे. ललन पासवान को कुल 97 हजार वोट हासिल हुआ था.

ललन पासवान ने सुशील मोदी की तारीफ की. उन्होंने कहा कि वह नए नेताओं को बढ़ावा देते हैं. सुशील मोदी ने ही सबसे पहले अपने ट्विटर अकाउंट से लालू के ऑडियो की खबर सार्वजनिक की.

2005 में उनकी शादी गुंजन कुमारी से हुई. उनकी एक बेटी है. उसका नाम गरिमा है. वह छठी क्लास में पढ़ती है.

पासवान से जब पूछा गया कि लालू ने एनडीए के इतने सारे विधायकों में आपको ही क्यों चुना. इस पर उन्होंने कहा कि हो सकता है उन्होंने दूसरों को भी कॉल किया हो. लेकिन सार्वजनिक तौर पर सच बोलने का साहस हर कोई नहीं कर सकता है.

पासवान ने कहा कि हो सकता है लालू को लगा होगा कि पासवान गरीब परिवार से आते हैं. इसलिए उन्हें तोड़ना आसान है. जब मैंने नामांकन दाखिल किया था, तब मेरे बैंक अकाउंट में मात्र 928 रुपये थे. बिहार चुनाव में मैं सबसे गरीब उम्मीदवार था. लेकिन पार्टी ने मुझपर विश्वास किया. मुझे टिकट दिया. जिस पार्टी ने मुझे इज्जत दी, उसका विश्वास तोड़ने के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता हूं. पार्टी मेरी मां की तरह है.

पासवान ने कहा कि मुझे लालू पर सचमुच बहुत दया आती है कि उन्होंने अपने बेटे के लिए इस तरह के अनैतिक कदम उठाए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.