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कोरोना से लड़ाई : लॉकडाउन की अवधि में विस्तार ही एकमात्र विकल्प

देश में कोरोना वायरस से निबटने के लिए सरकार जद्दोजहद में जुटी हुई है. पीएम मोदी के आह्वान रविवार को देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया, जो काफी हद तक सफल रहा. वहीं भारतीय अधिकारियों ने संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए तमाम प्रतिबंधों की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया है.

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Published : Mar 22, 2020, 10:43 PM IST

भारतीय अधिकारियों ने कोरोना वायरस के संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी कोरोना रिसोर्स सेंटर के अनुसार, दुनियाभर में संक्रमण से पुष्ट किए गए कुल मामलों की संख्या 3.1 लाख से ऊपर पहुंच गई है और इनमें 13,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देशभर में एक दिन के लिए जनता कर्फ्यू लगाया गया. वहीं भारतीय रेलवे ने राज्य सरकारों के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुख्य सचिव की एक बैठक के बाद महीने के अंत तक पैसेंजर, उप नगरीय और मेट्रो ट्रेनों को निलंबित रखने की घोषणा की.

केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा कि उप नगरीय रेल सेवाओं सहित 31 मार्च 2020 तक सभी ट्रेन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं. हालांकि मालगाड़ियों को छूट दी गई है.

भारत की विशाल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली से कोरोना वायरस के फैलने का सबसे बड़ा खतरा है. रेल मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध नवीनतम जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय वाहक प्रतिदिन 21,000 यात्री और मालगाड़ियों का परिचालन करता है और 2.3 करोड़ (23 मिलियन) यात्रियों को दैनिक आधार पर स्थानांतरित करता है.

अधिकारियों के पास इस विशाल परिवहन नेटवर्क को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि वे देश को कोविड-19 संक्रमण के तीसरे चरण की ओर खिसकने नहीं देना चाहते थे.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कोविड-19 को फैलने से कैसे रोका जाए.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कोरोना से बुरी तरह प्रभावित कुछ देशों का उल्लेख किया था, जहां संक्रमण के सामने आने वाले मामलों की संख्या में अचानक विस्फोट हुआ था.

सरकार के एक बयान में बताया गया, 'कोविड-19 के खतरे को देखते हुए यह सहमति व्यक्त की गई कि 31 मार्च 2020 तक अंतरराज्य परिवहन बसों सहित गैरआवश्यक यात्री परिवहन के आवागमन पर प्रतिबंध बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है.

राज्य सरकारों द्वारा संचालित अंतरराज्य परिवहन बस सेवा देश में सार्वजनिक परिवहन का दूसरा पसंदीदा साधन है और राज्य के बाहर के संक्रमित लोगों का प्रवेश रोकने के लिए इन सेवाओं को निलंबित करना आवश्यक माना गया.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डॉ. बलराम भार्गव ने कहा, 'इस वायरस का फैलाव रोकने का सबसे आसान तरीका बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाना है.' राज्य खुद को बचाने के लिए लॉकडाउन का सहारा लेते हैं

आज, केंद्र सरकार ने देश के कुल 720 जिलों में से 75 में सभी गैरजरूरी सेवाओं को प्रतिबंधित करने का भी राज्यों से आग्रह किया, जहां कोविड-19 वायरस संक्रमण के मामलों की पुष्टि की गई है.

कई राज्यों ने बाहर से आने वाले लोगों और सामाने के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं. सिर्फ अतिआवश्वयक चीजों के लिए छूट प्रदान की गई है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से कुछ और दिन घर पर रहने को कहा.

दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते धारा 144 लागू कर दी है. इस धारा के तहत चार या ज्यादा लोगों के एक स्थान पर एकत्र होने पर पाबंदी होती है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी सभी शहरी केंद्रों पर चार से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

महाराष्ट्र ने रविवार को कोरोना वायरस के संक्रमण के 10 नए मामलों की सूचना दी और स्वास्थ्य मंत्री ने पुष्टि की कि उनमें से पांच स्थानीय संचरण के माध्यम से संक्रमित थे जबकि पांच अन्य विदेश दौरे से लौटे थे.

कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, ओडिशा जैसे राज्यों ने भी अपने क्षेत्र में वायरस के स्थानीय संचरण को रोकने के लिए इसी तरह के निषेधात्मक उपायों का सहारा लिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को टेलीविजन से राष्ट्रीय संबोधन में जनता से एक दिन घर में रहने की अपील की थी, जिसे जनता कर्फ्यू (सार्वजनिक कर्फ्यू) का नाम दिया गया

हालांकि, आने वाले समय को ध्यान में रखकर, उन्होंने यह भी कहा कि यह एक दिन का जनता कर्फ्यू देश को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करेगा और इसकी सफलता देश के संकल्प और प्रतिबंध का प्रतीक होगी क्योंकि उन्होंने कुछ हफ्तों के लिए लोगों का समर्थन मांगा था.

इसने पर्याप्त संकेत दिया कि सरकार लंबे समय तक लॉकडाउन की तैयारी कर रही थी. उन्होंने राज्य सरकारों से सावधानी बरतने के लिए आग्रह किया क्योंकि वायरस के खिलाफ कोई प्रभावी इलाज या टीका नहीं है. लोग लंबे लॉकडाउन को सपोर्ट कर रहे हैं.

हालांकि प्रधान मंत्री ने लोगों से खरीदारी, आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक नहीं करने के लिए कहा था, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को देशभर में दैनिक उपयोग की वस्तुएं, किराने का सामान, भोजन और सब्जियां खरीदते हुए देखा गया. लोगों ने लंबे लॉकडाउन के लिए खुद को तैयार करने के लिए आवश्यक सामानों की खरीदारी की.

एक लंबा लॉकडाउन, जिसके 22 से 31 मार्च यानी 11 दिनों तक चलने की उम्मीद है, अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए कुछ समय देगा.

यह लॉकडाउन सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और सार्वजनिक स्थानों को साफ-सुथरा करने में भी मददगार साबित होगा क्योंकि देश में कोरोना वायरस से अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है और संक्रमण के कुल 360 मामले सामने आए हैं.

(कृष्ण नंद त्रिपाठी)

भारतीय अधिकारियों ने कोरोना वायरस के संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों की अवधि बढ़ाने का निर्णय लिया है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी कोरोना रिसोर्स सेंटर के अनुसार, दुनियाभर में संक्रमण से पुष्ट किए गए कुल मामलों की संख्या 3.1 लाख से ऊपर पहुंच गई है और इनमें 13,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देशभर में एक दिन के लिए जनता कर्फ्यू लगाया गया. वहीं भारतीय रेलवे ने राज्य सरकारों के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुख्य सचिव की एक बैठक के बाद महीने के अंत तक पैसेंजर, उप नगरीय और मेट्रो ट्रेनों को निलंबित रखने की घोषणा की.

केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा कि उप नगरीय रेल सेवाओं सहित 31 मार्च 2020 तक सभी ट्रेन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं. हालांकि मालगाड़ियों को छूट दी गई है.

भारत की विशाल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली से कोरोना वायरस के फैलने का सबसे बड़ा खतरा है. रेल मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध नवीनतम जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय वाहक प्रतिदिन 21,000 यात्री और मालगाड़ियों का परिचालन करता है और 2.3 करोड़ (23 मिलियन) यात्रियों को दैनिक आधार पर स्थानांतरित करता है.

अधिकारियों के पास इस विशाल परिवहन नेटवर्क को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि वे देश को कोविड-19 संक्रमण के तीसरे चरण की ओर खिसकने नहीं देना चाहते थे.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कोविड-19 को फैलने से कैसे रोका जाए.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कोरोना से बुरी तरह प्रभावित कुछ देशों का उल्लेख किया था, जहां संक्रमण के सामने आने वाले मामलों की संख्या में अचानक विस्फोट हुआ था.

सरकार के एक बयान में बताया गया, 'कोविड-19 के खतरे को देखते हुए यह सहमति व्यक्त की गई कि 31 मार्च 2020 तक अंतरराज्य परिवहन बसों सहित गैरआवश्यक यात्री परिवहन के आवागमन पर प्रतिबंध बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है.

राज्य सरकारों द्वारा संचालित अंतरराज्य परिवहन बस सेवा देश में सार्वजनिक परिवहन का दूसरा पसंदीदा साधन है और राज्य के बाहर के संक्रमित लोगों का प्रवेश रोकने के लिए इन सेवाओं को निलंबित करना आवश्यक माना गया.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डॉ. बलराम भार्गव ने कहा, 'इस वायरस का फैलाव रोकने का सबसे आसान तरीका बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाना है.' राज्य खुद को बचाने के लिए लॉकडाउन का सहारा लेते हैं

आज, केंद्र सरकार ने देश के कुल 720 जिलों में से 75 में सभी गैरजरूरी सेवाओं को प्रतिबंधित करने का भी राज्यों से आग्रह किया, जहां कोविड-19 वायरस संक्रमण के मामलों की पुष्टि की गई है.

कई राज्यों ने बाहर से आने वाले लोगों और सामाने के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दी हैं. सिर्फ अतिआवश्वयक चीजों के लिए छूट प्रदान की गई है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों से कुछ और दिन घर पर रहने को कहा.

दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते धारा 144 लागू कर दी है. इस धारा के तहत चार या ज्यादा लोगों के एक स्थान पर एकत्र होने पर पाबंदी होती है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी सभी शहरी केंद्रों पर चार से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगा दिया है.

महाराष्ट्र ने रविवार को कोरोना वायरस के संक्रमण के 10 नए मामलों की सूचना दी और स्वास्थ्य मंत्री ने पुष्टि की कि उनमें से पांच स्थानीय संचरण के माध्यम से संक्रमित थे जबकि पांच अन्य विदेश दौरे से लौटे थे.

कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, ओडिशा जैसे राज्यों ने भी अपने क्षेत्र में वायरस के स्थानीय संचरण को रोकने के लिए इसी तरह के निषेधात्मक उपायों का सहारा लिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को टेलीविजन से राष्ट्रीय संबोधन में जनता से एक दिन घर में रहने की अपील की थी, जिसे जनता कर्फ्यू (सार्वजनिक कर्फ्यू) का नाम दिया गया

हालांकि, आने वाले समय को ध्यान में रखकर, उन्होंने यह भी कहा कि यह एक दिन का जनता कर्फ्यू देश को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करेगा और इसकी सफलता देश के संकल्प और प्रतिबंध का प्रतीक होगी क्योंकि उन्होंने कुछ हफ्तों के लिए लोगों का समर्थन मांगा था.

इसने पर्याप्त संकेत दिया कि सरकार लंबे समय तक लॉकडाउन की तैयारी कर रही थी. उन्होंने राज्य सरकारों से सावधानी बरतने के लिए आग्रह किया क्योंकि वायरस के खिलाफ कोई प्रभावी इलाज या टीका नहीं है. लोग लंबे लॉकडाउन को सपोर्ट कर रहे हैं.

हालांकि प्रधान मंत्री ने लोगों से खरीदारी, आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक नहीं करने के लिए कहा था, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को देशभर में दैनिक उपयोग की वस्तुएं, किराने का सामान, भोजन और सब्जियां खरीदते हुए देखा गया. लोगों ने लंबे लॉकडाउन के लिए खुद को तैयार करने के लिए आवश्यक सामानों की खरीदारी की.

एक लंबा लॉकडाउन, जिसके 22 से 31 मार्च यानी 11 दिनों तक चलने की उम्मीद है, अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए कुछ समय देगा.

यह लॉकडाउन सार्वजनिक परिवहन प्रणाली और सार्वजनिक स्थानों को साफ-सुथरा करने में भी मददगार साबित होगा क्योंकि देश में कोरोना वायरस से अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है और संक्रमण के कुल 360 मामले सामने आए हैं.

(कृष्ण नंद त्रिपाठी)

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