श्रीनगर : भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा मानी जाती है. जम्मू कश्मीर के रहने वाले शाह फैसल ने प्रदेश के पहले आईएएस अधिकारी बनने का गौरव हासिल किया था. परिस्थियों के बदलने पर एक वर्ष पहले फैसल ने प्रशासनिक सेवा छोड़कर राजनीति के मैदान में कदम रखा और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट नाम की राजनीतिक पार्टी भी बनाई. हालांकि, एक वर्ष के भीतर ही उन्होंने राजनीति छोड़ने का एलान कर दिया. उनके इस फैसले से हैरानी भी हुई.
दरअसल, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद शाह फैसल को अन्य मुख्यधारा के राजनेताओं की तरह जेल में डाल दिया गया. उनके खिलाफ जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया. हालांकि, उन्हें बीते तीन जून को 11 महीने बाद रिलीज कर दिया गया लेकिन, फैसल का दावा है कि वह तब से घर में नजरबंद है.
अब जबकि फैसल ने राजनीति छोड़ दूसरे विकल्पों पर विचार करना शुरू किया है, तब ईटीवी भारत संवाददाता मीर फरहत ने उनसे विस्तार से बात की. बातचीत के दौरान फैसल ने कहा कि वह आगे बढ़ना चाहते हैं और वह बदली हुई परिस्थितियों में राजनीतिक रूप से अपना योगदान नहीं कर सकते.
सवाल - राजनीति में शामिल होने का बाद ऐसा क्या हुआ, जिसने आपको अपने निर्णय पर दोबारा विचार करने पर मजबूर कर दिया?
जवाब - पांच अगस्त, 2019 के बाद समय ने करवट बदली और अब हालात वैसे नहीं रहे, जैसे पहले हुआ करते थे. मुझे इसके बारे में सोचने में एक साल लग गया, मैं अब आगे बढ़ना चाहता हूं.
सवाल - आपको क्या लगता है कि 5 अगस्त के बाद की चुनावी राजनीति की गुंजाइश कुछ भी नहीं है, क्योंकि कश्मीर-मुद्दे पर आधारित राजनीति का अब यहां महत्व नहीं रहेगा, जो आपको अपनी पिछली भूमिका में वापस आने के लिए मजबूर कर रहा है?
जवाब - हर्गिज नहीं, चुनावी राजनीति हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा. यह एक लोकतंत्र है और दिन के अंत में लोग इसे चलाएंगे, हालांकि मैं इस बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में कुछ नहीं कर सकता हूं.
सवाल - आपने सिविल सेवा और राजनीति दोनों रूप में कई लोगों को विशेष रूप से युवाओं को आप ने एक उम्मीद दिखाई थी, लेकिन अब उनकी उम्मीदें धराशायी होती दिख रही हैं, क्या वह इससे निराश नहीं होंगे?
जवाब- युवा जो सिविल सेवाओं में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें मेरे सिविल सेवा छोड़े जाने से निराशा हुई थी और मुझे विश्वास है कि कई युवाओं को लगा होगा कि यह मेरा अपना निर्णय, मुझे इसका दुख है.
सवाल - पिछले साल 4 अगस्त को जेल गए कई राजनेताओं ने कहा कि उन्हें अनुच्छेद 370 पर बात नहीं करने के लिए एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया? क्या आपने इस पर हस्ताक्षर किया?
जवाब - पीएसए (पब्लिक सेफ्टी एक्ट) में बॉन्ड का कोई प्रावधान नहीं है. हमें बिना शर्त रिहा कर दिया गया.
सवाल - आपका इस्तीफा स्वीकार किया जाना बाकी है. क्या आपको लगता है कि आप सिविल सेवा में दोबारा शामिल होंगे या हार्वर्ड की ओर रूख करेंगे ?
जवाब - मुझे अभी कुछ भी पता नहीं. मैंने पहला कदम उठा लिया है. मैं सेटल होना चाहता हूं., मैंने जीवन में कई प्रयोग किए और उनसे सबक भी सीखा है.