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क्या होती है टीआरपी, सरल भाषा में यहां समझें

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) टीआरपी तय करती है. इसके जरिए आपको यह पता चलता है कि किस टीवी चैनल को सबसे अधिक देखा जा रहा है और सबसे अधिक किस शो को पसंद किया जाता है. बता दें कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल भारत स्टेकहोल्डर निकायों द्वारा स्थापित एक संयुक्त उद्योग कंपनी है, जो ब्रॉडकास्टर्स, विज्ञापनदाता और विज्ञापन और मीडिया एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करती है. टीआरपी का अर्थ होता है टेलिविजन रेटिंग प्वाइंट. आइए जानतें है इसके बारे में...

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Published : Oct 8, 2020, 7:32 PM IST

Updated : Oct 8, 2020, 7:45 PM IST

टीआरपी,
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हैदराबाद : टीआरपी का अर्थ होता है टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट. इसके जरिए आपको यह पता चलता है कि किस टीवी चैनल को सबसे अधिक देखा जा रहा है और सबसे अधिक किस शो को पसंद किया जाता है. आप इसे कह सकते हैं कि यह टीवी चैनलों की लोकप्रियता के मापक हैं. विज्ञापन कंपनियां इसके आधार पर ही इन चैनलों को विज्ञापन जारी करती हैं. ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसल इंडिया (बीएआरसी) टीआरपी तय करती है. इसके पहले यह काम टीएएम करती थी. विवाद में आने के बाद टीएएम की जगह बीएआरसी इस कार्य को करती है.

दरअसल, टीआरपी एक अनुमानित आंकड़ा होता है. यह किसी भी एजेंसी के लिए संभव नहीं है कि वह करोड़ों टीवी यूजर्स के घरों में मशीन लगाकर यह जान सके कि वह कौन सा चैनल देख रहे हैं. इसलिए इसका एक सैंपल इकट्ठा किया जाता है. यानी कुछ घरों का चयन.

टीआरपी मापने वाली एजेंसी इन घरों में मशीन को लगा देते हैं. उनकी कोशिश होती है कि सैंपल सही ढंग से एकत्रित किया जाए. अलग-अलग आयु, अलग-अलग हिस्सों और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का ध्यान रखा जाता है. इस मशीन को पीपुल्स मीटर कहते हैं.

इसके जरिए यह पता चलता है कि अमुक परिवार ने एक दिन में कौन से चैनल और कितने देर तक वह देखते रहे. इसके बाद एजेंसी इन आंकड़ों का विश्लेषण करती है. इसका एक डेटाबेस तैयार किया जाता है.

इसकी रिपोर्ट एड एजेंसी को जाती है. आमतौर पर इसके आधार पर ही एड एजेंसियां विज्ञापन जारी करती हैं. जाहिर है, जिनकी रेटिंग बेहतर होगी, उसे सबसे अधिक एड मिलने की संभावना रहती है.

टीवी चैनलों की आमदनी का मुख्य स्रोत यह विज्ञापन होते हैं. अगर टीआरपी कम होगी, तो एड कंपनियां वहां पर कम से कम विज्ञापन जारी करती हैं. अभी देशभर में 30 हजार बैरोमीटर लगे हुए हैं.

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC), भारत स्टेकहोल्डर निकायों द्वारा स्थापित एक संयुक्त उद्योग कंपनी है जो ब्रॉडकास्टर्स, विज्ञापनदाता और विज्ञापन और मीडिया एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करती है. यह एक मजबूत और भविष्य के लिए सुदृढ़, पारदर्शी, सटीक और समावेशी टीवी दर्शक माप प्रणाली का प्रबंधन करता है.

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया सिस्टम किसी भी प्रकार के वितरण के माध्यम से उपभोग की जाने वाली टीवी सामग्री के डेटा को कैप्चर करता है, जैसे टेरेस्ट्रियल, डीटीएच, एनालॉग केबल, डिजिटल केबल और डिजिटल इत्यादि. इसके पास अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए एक ऑडिट तंत्र है जो सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करता है.

हैदराबाद : टीआरपी का अर्थ होता है टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट. इसके जरिए आपको यह पता चलता है कि किस टीवी चैनल को सबसे अधिक देखा जा रहा है और सबसे अधिक किस शो को पसंद किया जाता है. आप इसे कह सकते हैं कि यह टीवी चैनलों की लोकप्रियता के मापक हैं. विज्ञापन कंपनियां इसके आधार पर ही इन चैनलों को विज्ञापन जारी करती हैं. ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसल इंडिया (बीएआरसी) टीआरपी तय करती है. इसके पहले यह काम टीएएम करती थी. विवाद में आने के बाद टीएएम की जगह बीएआरसी इस कार्य को करती है.

दरअसल, टीआरपी एक अनुमानित आंकड़ा होता है. यह किसी भी एजेंसी के लिए संभव नहीं है कि वह करोड़ों टीवी यूजर्स के घरों में मशीन लगाकर यह जान सके कि वह कौन सा चैनल देख रहे हैं. इसलिए इसका एक सैंपल इकट्ठा किया जाता है. यानी कुछ घरों का चयन.

टीआरपी मापने वाली एजेंसी इन घरों में मशीन को लगा देते हैं. उनकी कोशिश होती है कि सैंपल सही ढंग से एकत्रित किया जाए. अलग-अलग आयु, अलग-अलग हिस्सों और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का ध्यान रखा जाता है. इस मशीन को पीपुल्स मीटर कहते हैं.

इसके जरिए यह पता चलता है कि अमुक परिवार ने एक दिन में कौन से चैनल और कितने देर तक वह देखते रहे. इसके बाद एजेंसी इन आंकड़ों का विश्लेषण करती है. इसका एक डेटाबेस तैयार किया जाता है.

इसकी रिपोर्ट एड एजेंसी को जाती है. आमतौर पर इसके आधार पर ही एड एजेंसियां विज्ञापन जारी करती हैं. जाहिर है, जिनकी रेटिंग बेहतर होगी, उसे सबसे अधिक एड मिलने की संभावना रहती है.

टीवी चैनलों की आमदनी का मुख्य स्रोत यह विज्ञापन होते हैं. अगर टीआरपी कम होगी, तो एड कंपनियां वहां पर कम से कम विज्ञापन जारी करती हैं. अभी देशभर में 30 हजार बैरोमीटर लगे हुए हैं.

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC), भारत स्टेकहोल्डर निकायों द्वारा स्थापित एक संयुक्त उद्योग कंपनी है जो ब्रॉडकास्टर्स, विज्ञापनदाता और विज्ञापन और मीडिया एजेंसियों का प्रतिनिधित्व करती है. यह एक मजबूत और भविष्य के लिए सुदृढ़, पारदर्शी, सटीक और समावेशी टीवी दर्शक माप प्रणाली का प्रबंधन करता है.

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया सिस्टम किसी भी प्रकार के वितरण के माध्यम से उपभोग की जाने वाली टीवी सामग्री के डेटा को कैप्चर करता है, जैसे टेरेस्ट्रियल, डीटीएच, एनालॉग केबल, डिजिटल केबल और डिजिटल इत्यादि. इसके पास अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए एक ऑडिट तंत्र है जो सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करता है.

Last Updated : Oct 8, 2020, 7:45 PM IST
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