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बर्ड फ्लू के बारे में जानें सबकुछ

भारत के छह राज्यों में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं. हालात की गंभीरता देखते हुए केरल, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में केंद्रीय टीमों को भेजा गया है. आइए विस्तार से जानते हैं क्या है बर्ड फ्लू और कितनी गंभीर है यह बीमारी.

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Published : Jan 8, 2021, 8:35 PM IST

हैदराबाद : एवियन इन्फ्लूएंजा को बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है. पक्षियों में फैलने वाला यह एक संक्रामक रोग है. यह मुख्य रूप से टाइप ए इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है. वायरस घरेलू मुर्गी, टर्की, बतख, बटेर और गीज को सबसे अधिक संक्रमित करते हैं. जंगली जलीय पक्षी - विशेष रूप से बतख, गीज, हंस, गल, शोरबीर और टर्न - अधिकांश इन्फ्लूएंजा टाइप ए वायरस के लिए प्राकृतिक मेजबान हैं.

एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस पक्षियों को कैसे प्रभावित करता है ?

संक्रमित पक्षी एवियन इन्फ्लुएंजा-ए वायरस को अपनी लार, नाक स्राव और मल के माध्यम से बहा सकते हैं. वायरस के संपर्क में आने से अतिसंवेदनशील पक्षी संक्रमित हो जाते हैं. वे उन सतहों के संपर्क के माध्यम से भी संक्रमित हो सकते हैं, जो संक्रमित पक्षियों से वायरस से दूषित होते हैं.

बर्ड फ्लू के बारे में जानें सबकुछ
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बर्ड फ्लू इंसानों को कैसे संक्रमित करता है ?

सभी एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस मनुष्यों में बीमारी का कारण नहीं बनते हैं. संक्रमण को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाना मुश्किल है. H5N1 मूल एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस और इसके उप-प्रकार H7N9 का लोगों में गंभीर प्रभाव और कभी-कभी घातक संक्रमण होने का इतिहास है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जब लोग संक्रमित होते हैं, तो मृत्यु दर लगभग 60% होती है.

क्या यह बर्ड फ्लू वायरस संक्रामक है ?

एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस को आमतौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है. कम रोगजनक और उच्च रोगजनक. उच्च रोगजनक की स्थिति में उच्च मृत्यु दर देखने को मिलता है. आकार में छोटा और संरचना में सरल, इन्फ्लूएंजा वायरस अत्यधिक उत्परिवर्ती जीनोम के साथ परिष्कृत जीव हैं. सरल शब्दों में, वे जीन के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं और शरीर को हानिकारक तरीके से प्रभावित कर सकते हैं.

भारत में पहला मामला

भारत में H5N1 वायरस का पहला प्रकोप 2006 में हुआ था. महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के नवापुर में. अधिकांश प्रकोपों ​​में, एच1एन1 वायरस की पहचान की गई है.

क्या है ताजा मामला ?

राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान ने पांच राज्यों से भेजे गए नमूनों में वायरस के दो उपभेदों, H5N1 और H5N8 की उपस्थिति की पुष्टि की है. हिमाचल प्रदेश में प्रवासी पक्षियों में, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कौवे और हरियाणा में चिकन में और केरल में मुर्गी के मांस में बर्ड फ्लू के मामले पाए गए हैं.

नया मामला कितना अलग

H5N1 स्ट्रेन हाईली पैथोजेनिक श्रेणी के अंतर्गत आता है और पोल्ट्री के बीच गंभीर नैदानिक ​​संकेत और उच्च मृत्यु दर का कारण बन सकता है. H5N8 को लो पैथोजेनिक श्रेणी के वायरस के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

भारत में वायरस का प्रसार

चार राज्यों में अब तक 12 केंद्रों की पहचान की गई है.

क्या कोई टीका है ?

मौसमी इन्फ्लूएंजा टीकाकरण H5N1 संक्रमण से रक्षा नहीं करता है. H5N1 संक्रमण को रोकने के लिए टीके विकसित किए गए हैं, लेकिन व्यापक उपयोग के लिए तैयार नहीं हैं.

एवियन इन्फ्लूएंजा एच5एन1 वायरस के बारे में इतनी चिंता क्यों ?

इन्फ्लुएंजा वायरस लगातार आनुवंशिक परिवर्तन से गुजरता है. मनुष्यों में H5N1 संक्रमण गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और इसकी मृत्यु दर अधिक होती है. मनुष्यों में प्रायः इसका प्रसार नहीं होता है. लेकिन संक्रमित पक्षियों के सीधे संपर्क में आने पर बीमारी होने की आशंका बनी रहती है.

मनुष्यों में एवियन इन्फ्लूएंजा के लक्षण क्या हैं?

संक्रमण के लक्षणों में तेज बुखार और खांसी, खांसी, गले में खराश और मांसपेशियों में दर्द शामिल हो सकते हैं. शुरुआती लक्षणों में पेट में दर्द, सीने में दर्द और दस्त शामिल हो सकते हैं. संक्रमण गंभीर श्वसन बीमारी के लिए तेजी से प्रगति कर सकता है. उदाहरण के लिए, सांस लेने में कठिनाई या सांस की तकलीफ, निमोनिया, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम और न्यूरोलॉजिक परिवर्तन.

क्या करें और क्या नहीं करें

पोल्ट्री उत्पाद का उपयोग करने से पहले और बाद में बार-बार हाथ धोते रहें.

मुर्गियों और पोल्ट्री उत्पादों का उपयोग करते समय मास्क और ग्लब्स पहनें.

संक्रमित पक्षियों से दूर रहें.

सुरक्षित भोजन

पोल्ट्री उत्पाद को अच्छे से पकाएं.

कच्चे मीट और बने हुए मीट के लिए अलग-अलग बर्तन का उपयोग करें.

अध-पके मीट, चिकन या अंडा को न खाएं.

कच्चे मीट को अपने भोज्य पदार्थों के आसपास न रखें.

(सुदेशना नाथ, ईटीवी भारत)

हैदराबाद : एवियन इन्फ्लूएंजा को बर्ड फ्लू के रूप में जाना जाता है. पक्षियों में फैलने वाला यह एक संक्रामक रोग है. यह मुख्य रूप से टाइप ए इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है. वायरस घरेलू मुर्गी, टर्की, बतख, बटेर और गीज को सबसे अधिक संक्रमित करते हैं. जंगली जलीय पक्षी - विशेष रूप से बतख, गीज, हंस, गल, शोरबीर और टर्न - अधिकांश इन्फ्लूएंजा टाइप ए वायरस के लिए प्राकृतिक मेजबान हैं.

एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस पक्षियों को कैसे प्रभावित करता है ?

संक्रमित पक्षी एवियन इन्फ्लुएंजा-ए वायरस को अपनी लार, नाक स्राव और मल के माध्यम से बहा सकते हैं. वायरस के संपर्क में आने से अतिसंवेदनशील पक्षी संक्रमित हो जाते हैं. वे उन सतहों के संपर्क के माध्यम से भी संक्रमित हो सकते हैं, जो संक्रमित पक्षियों से वायरस से दूषित होते हैं.

बर्ड फ्लू के बारे में जानें सबकुछ
बर्ड फ्लू के बारे में जानें सबकुछ

बर्ड फ्लू इंसानों को कैसे संक्रमित करता है ?

सभी एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस मनुष्यों में बीमारी का कारण नहीं बनते हैं. संक्रमण को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाना मुश्किल है. H5N1 मूल एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस और इसके उप-प्रकार H7N9 का लोगों में गंभीर प्रभाव और कभी-कभी घातक संक्रमण होने का इतिहास है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जब लोग संक्रमित होते हैं, तो मृत्यु दर लगभग 60% होती है.

क्या यह बर्ड फ्लू वायरस संक्रामक है ?

एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस को आमतौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है. कम रोगजनक और उच्च रोगजनक. उच्च रोगजनक की स्थिति में उच्च मृत्यु दर देखने को मिलता है. आकार में छोटा और संरचना में सरल, इन्फ्लूएंजा वायरस अत्यधिक उत्परिवर्ती जीनोम के साथ परिष्कृत जीव हैं. सरल शब्दों में, वे जीन के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं और शरीर को हानिकारक तरीके से प्रभावित कर सकते हैं.

भारत में पहला मामला

भारत में H5N1 वायरस का पहला प्रकोप 2006 में हुआ था. महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले के नवापुर में. अधिकांश प्रकोपों ​​में, एच1एन1 वायरस की पहचान की गई है.

क्या है ताजा मामला ?

राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान ने पांच राज्यों से भेजे गए नमूनों में वायरस के दो उपभेदों, H5N1 और H5N8 की उपस्थिति की पुष्टि की है. हिमाचल प्रदेश में प्रवासी पक्षियों में, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कौवे और हरियाणा में चिकन में और केरल में मुर्गी के मांस में बर्ड फ्लू के मामले पाए गए हैं.

नया मामला कितना अलग

H5N1 स्ट्रेन हाईली पैथोजेनिक श्रेणी के अंतर्गत आता है और पोल्ट्री के बीच गंभीर नैदानिक ​​संकेत और उच्च मृत्यु दर का कारण बन सकता है. H5N8 को लो पैथोजेनिक श्रेणी के वायरस के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

भारत में वायरस का प्रसार

चार राज्यों में अब तक 12 केंद्रों की पहचान की गई है.

क्या कोई टीका है ?

मौसमी इन्फ्लूएंजा टीकाकरण H5N1 संक्रमण से रक्षा नहीं करता है. H5N1 संक्रमण को रोकने के लिए टीके विकसित किए गए हैं, लेकिन व्यापक उपयोग के लिए तैयार नहीं हैं.

एवियन इन्फ्लूएंजा एच5एन1 वायरस के बारे में इतनी चिंता क्यों ?

इन्फ्लुएंजा वायरस लगातार आनुवंशिक परिवर्तन से गुजरता है. मनुष्यों में H5N1 संक्रमण गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और इसकी मृत्यु दर अधिक होती है. मनुष्यों में प्रायः इसका प्रसार नहीं होता है. लेकिन संक्रमित पक्षियों के सीधे संपर्क में आने पर बीमारी होने की आशंका बनी रहती है.

मनुष्यों में एवियन इन्फ्लूएंजा के लक्षण क्या हैं?

संक्रमण के लक्षणों में तेज बुखार और खांसी, खांसी, गले में खराश और मांसपेशियों में दर्द शामिल हो सकते हैं. शुरुआती लक्षणों में पेट में दर्द, सीने में दर्द और दस्त शामिल हो सकते हैं. संक्रमण गंभीर श्वसन बीमारी के लिए तेजी से प्रगति कर सकता है. उदाहरण के लिए, सांस लेने में कठिनाई या सांस की तकलीफ, निमोनिया, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम और न्यूरोलॉजिक परिवर्तन.

क्या करें और क्या नहीं करें

पोल्ट्री उत्पाद का उपयोग करने से पहले और बाद में बार-बार हाथ धोते रहें.

मुर्गियों और पोल्ट्री उत्पादों का उपयोग करते समय मास्क और ग्लब्स पहनें.

संक्रमित पक्षियों से दूर रहें.

सुरक्षित भोजन

पोल्ट्री उत्पाद को अच्छे से पकाएं.

कच्चे मीट और बने हुए मीट के लिए अलग-अलग बर्तन का उपयोग करें.

अध-पके मीट, चिकन या अंडा को न खाएं.

कच्चे मीट को अपने भोज्य पदार्थों के आसपास न रखें.

(सुदेशना नाथ, ईटीवी भारत)

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