ETV Bharat / bharat

बजट सत्र : कृषि कानूनों और चीन मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेर सकता है विपक्ष - संसद का शीतकालीन सत्र

संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा. सत्र के दौरान एक फरवरी को संसद में वित्‍त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश किया जाएगा. संसद के आगामी बजट सत्र के मद्देनजर 30 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक होगी. बजट सत्र पर सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष जुट गया है. विपक्ष सरकार को कृषि कानूनों और चीन के मुद्दे पर घेर सकता है. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

बजट सत्र
बजट सत्र
author img

By

Published : Jan 21, 2021, 7:51 PM IST

Updated : Jan 29, 2021, 8:33 AM IST

नई दिल्ली : संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू होगा. इस बार बजट सत्र दो हिस्सों में होगा, पहला भाग 29 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा और दूसरा भाग आठ मार्च से आठ अप्रैल तक होगा. बजट सत्र के पहले दिन 29 जनवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगे और एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा.

इस बार बजट सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है, क्योंकि एक तरफ किसान आंदोलन जारी है और दूसरी तरफ सरकार इस समस्या का समाधान ढूंढ रही है और इन हालात में बजट सत्र विपक्षी पार्टियों को अपनी बात रखने का एक आधिकारिक प्लेटफार्म देगा.

कोरोना वायरस की वजह से सरकार ने संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया था, जिस पर कांग्रेस के नेता ने आपत्ति भी जताई थी और यह आरोप लगाया गया था कि किसान आंदोलन को देखते हुए ही इस सत्र की अनदेखी की गई, लेकिन इस बार संसद का बजट सत्र काफी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि पहले ही सरकार किसान आंदोलन को लेकर पूरी तरह से घिरी हुई है और समाधान के लिए रास्ता निकालने की कोशिश में है.

भले ही लोक सभा अध्यक्ष ने यह बात साफ तौर पर कह दी है कि तीनों कृषि कानून चर्चा का विषय सत्र में नहीं बन सकता, क्योंकि यह बिल संसद से पास हो चुका है. इसके बावजूद बजट सत्र में इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां पूरी तरह से सरकार को घेरने की तैयारी कर रही हैं.

पीएम मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक
हालांकि, बजट सत्र चर्चा का विषय बिजनेस एडवाइजरी कमेटी तय करती है और सरकार भी यही हवाला दे रही है कि सिर्फ उन्हीं विषयों पर चर्चा की जाएगी, जिसे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी अप्रूवल देगी. इससे पहले 30 जनवरी को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक होगी, जिसमें सरकार सत्र संबंधी सारे मुद्दों से सभी दलों को अवगत कराएगी.

सूत्रों की मानें तो सर्वदलीय बैठक में भी विपक्षी पार्टियां संसद सत्र के दौरान कृषि कानूनों की चर्चा को शामिल करने के लिए सरकार पर जोर डालेगी.

हालांकि, यह सर्वदलीय बैठक डिजिटल माध्यम से कराई जाएगी, लेकिन पहली बार यह बैठक राष्ट्रपति के अभिभाषण के एक दिन बाद हो रही है और इसी में विधाई कामकाज की लिस्ट सरकार सभी दलों और विपक्षी दलों के सामने रखेगी. साथ ही अन्य दलों और विपक्षी दलों के सुझाव को भी इस बैठक में सुना जाएगा.

इस पूरे सत्र में 35 बैठकें होंगी, जिनमें 11 पहले दौर में और 24 दूसरे दौर में होगी, लोकसभा सचिवालय के सूत्रों से के मुताबिक 15 फरवरी से जो अवकाश दिया जा रहा है, उस दौरान संसद की सभी समितियां बैठक कर आठ मार्च तक इनकी रिपोर्ट सदन में पेश करेंगी.

यह भी पढ़ें- संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से, 1 फरवरी को पेश होगा आम बजट

पिछले मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल को स्थगित रखा गया था, लेकिन इस बार प्रश्नकाल को बजट सत्र में फिर से बहाल किया गया है.

विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में
वहीं बात करें तो विपक्ष सरकार को घेरने की आक्रामक रणनीति तैयार कर रही है और जिन मुद्दों को लेकर विपक्ष सरकार पर हमला बोल सकती है, उनमें सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा किसान आंदोलन और मानसून सत्र में पारित किए गए नए कृषि कानून हैं, साथ ही विपक्षी पार्टी चीन के मुद्दे को भी जोर शोर से उठाने की तैयारी कर रही है.

अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी चिंता का विषय : मनोज झा
इस मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता और राज्य सभा के सदस्य प्रोफेसर मनोज झा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस समय देश के लिए अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी चिंता का विषय है. महामारी के दौरान कामगारों और मजदूरों की हालत खराब हो चुकी है, बड़े पैमाने पर देश में बेरोजगारी फैल गई है, उनके सामने सरकार अभी तक कोई भी विकल्प नहीं रख पाई है और इन बातों को उनकी पार्टी सदन में उठाकर सरकार को मजबूर करेगी की वह इन मुद्दों पर जवाब दें.

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और चीन के मुद्दे पर भी सरकार को जवाब देना होगा.

पीएल पुनिया का बयान
वहीं इस मुद्दे पर कांग्रेस के नेता पीएल पुनिया का कहना है एक तरफ भारतीय जनता पार्टी कोरोना वायरस में भी बड़ी-बड़ी चुनावी रैली कर रही है, वहीं दूसरी तरफ शीतकालीन सत्र को खत्म कर दिया गया. कोरोना का नाम लेकर, उससे पहले के सत्र में भी प्रश्नकाल को स्थगित कर दिया गया और महामारी का बहाना बनाया गया. यह अपने आप में लोकतंत्र की परंपरा के खिलाफ है.

उन्होंने कहा कि जहां तक बात किसानों के आंदोलन की है. इस मुद्दे पर सरकार को न सिर्फ विपक्षी पार्टियों को जवाब देना होगा, बल्कि इस सत्र में एनडीए के भी सहयोगियों को सरकार को जवाब देना पड़ सकता है और उन पार्टियों को भी विरोध का सामना करना पड़ेगा.

Last Updated : Jan 29, 2021, 8:33 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

author-img

...view details

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.