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कर्नाटक के युवक ने 'रैबिट फार्मिंग' कर बदली अपनी जिंदगी की दशा और दिशा

हासन के युवा सुनील अंग्रेजी भाषा नहीं जानते थे. यही कारण है उन्हें कई कंपनियों ने नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया, लेकिन भाषा में ढीली पकड़ को सुनील ने अपनी कमजोरी नहीं बनाया, बल्कि आगे बढ़कर अपनी ताकत बना लिया. आज सुनील कर्नाटक में ही रहकर रैबिट फार्मिंग करते हैं, जिससे उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है. ईटीवी भारत से बातचीत में सुनील कहते हैं कि अगर आज वह किसी कंपनी में काम करते, तो उन्हें गुलामों की तरह रहना पड़ता.

karnataka guy succeeds in rabbit farming
रैबिट फार्मिंग
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Published : Jul 10, 2020, 9:02 PM IST

हासन : कर्नाटक के हासन के रहने वाले सुनील आज अपनी मेहनत से अच्छी कमाई कर रहे हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सुनील को अंग्रेजी नहीं आती है. लेकिन उन्होंने रैबिट फार्मिंग कर अपनी जिंदगी की दशा और दिशा ही बदल दी.

बता दें कि अंग्रेजी न जानना सुनील के भविष्य के आड़े नहीं आया, बल्कि इस कमी ने उनके सपनों की उड़ान को और भी ऊंचा कर दिया.

कर्नाटक के हासन के युवा सुनील ने राज्य में ही अपनी पढ़ाई पूरी की और बेंगलुरू में नौकरी की तलाश में निकल पड़े. लेकिन अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड़ न होने के कारण अधिकांश कंपनियों ने उन्हें नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया.

देखें ईटीवी भारत की यह खास पेशकश...

नौकरी को लेकर हताश सुनील अपने घर बेंगलुरू वापस आ गया और एक नया व्यवसाय करने की सोची, जिसके बाद उसने बैंक से ऋण लिया और दो साल पहले अपने घर के पास ही रैबिट फार्मिंग यानी खरगोशों का व्यवसाय करना शुरू कर दिया.

सुनील ने अपने फार्म को राज रैबिट फार्म नाम दिया है. आज रैबिट फार्मिंग से सुनील अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. खरगोश साल में चार से पांच बार बच्चे देते हैं. और कर्नाटक में खरगोश का मांस 250 रुपए में बिकता है. सुनील के फार्म में 500 से भी ज्यादा खरगोश हैं. वहीं इन्हें सप्ताह में एक बार जांच की जरूरत होती है.

पिछले दो सालों से सुनील रैबिट फार्मिंग कर रहे हैं और उनका व्यवसाय कर्नाटक के साथ-साथ हैदराबाद और महाराष्ट्र में भी चलता है.

बता दें सुनील सालाना पांच लाख रुपए से भी ज्यादा कमाते हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में सुनील ने कहा कि अगर मेरी अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड़ होती, तो मुझे कंपनी में गुलाम के तौर पर काम करना पड़ता, लेकिन मैं अब आत्मनिर्भर हूं और इस क्षेत्र में काम करके बहुत खुश हूं.

सुनील कहते हैं कि मैं रैबिट फार्मिग से काफी संतुष्ट हूं.

हासन : कर्नाटक के हासन के रहने वाले सुनील आज अपनी मेहनत से अच्छी कमाई कर रहे हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि सुनील को अंग्रेजी नहीं आती है. लेकिन उन्होंने रैबिट फार्मिंग कर अपनी जिंदगी की दशा और दिशा ही बदल दी.

बता दें कि अंग्रेजी न जानना सुनील के भविष्य के आड़े नहीं आया, बल्कि इस कमी ने उनके सपनों की उड़ान को और भी ऊंचा कर दिया.

कर्नाटक के हासन के युवा सुनील ने राज्य में ही अपनी पढ़ाई पूरी की और बेंगलुरू में नौकरी की तलाश में निकल पड़े. लेकिन अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड़ न होने के कारण अधिकांश कंपनियों ने उन्हें नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया.

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नौकरी को लेकर हताश सुनील अपने घर बेंगलुरू वापस आ गया और एक नया व्यवसाय करने की सोची, जिसके बाद उसने बैंक से ऋण लिया और दो साल पहले अपने घर के पास ही रैबिट फार्मिंग यानी खरगोशों का व्यवसाय करना शुरू कर दिया.

सुनील ने अपने फार्म को राज रैबिट फार्म नाम दिया है. आज रैबिट फार्मिंग से सुनील अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. खरगोश साल में चार से पांच बार बच्चे देते हैं. और कर्नाटक में खरगोश का मांस 250 रुपए में बिकता है. सुनील के फार्म में 500 से भी ज्यादा खरगोश हैं. वहीं इन्हें सप्ताह में एक बार जांच की जरूरत होती है.

पिछले दो सालों से सुनील रैबिट फार्मिंग कर रहे हैं और उनका व्यवसाय कर्नाटक के साथ-साथ हैदराबाद और महाराष्ट्र में भी चलता है.

बता दें सुनील सालाना पांच लाख रुपए से भी ज्यादा कमाते हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में सुनील ने कहा कि अगर मेरी अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड़ होती, तो मुझे कंपनी में गुलाम के तौर पर काम करना पड़ता, लेकिन मैं अब आत्मनिर्भर हूं और इस क्षेत्र में काम करके बहुत खुश हूं.

सुनील कहते हैं कि मैं रैबिट फार्मिग से काफी संतुष्ट हूं.

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