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कारगिल को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग - घाटी

कारगिल खूबसूरत जगह है और एक बेहतरीन पर्यटन स्थल भी, लेकिन कारगिल का नाम आते ही हमारे जेहन में 1999 के युद्ध की बात आती है. इस पर कारगिल के लोगों का कहना है कि कारगिल को एक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा नहीं मिल रहा है, और सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. जानें कारगिल के पर्यटन स्थल......

प्रतीकात्मक चित्र
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Published : Sep 10, 2019, 11:53 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 4:30 AM IST

लेह: कारगिल में रहने वाले 500 परिवारों चाहते हैं कि से वारजोन का ठप्पा हटाकर उसे एक पर्यटन स्थल घोसित किया जाय. इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के कदम के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं.

पिछले सप्ताह लेह में तीन दिवसीय यात्रा पर आए हुए पर्यटन मंत्री से क्षेत्र के टूर ऑपरेटरों और होटल व्यवसायियों ने उनसे कारगिल पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की. उन्होंने दावा किया कि कारगिल को अभी भी भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 के युद्ध के लिए याद किया जाता है.

ऑल कारगिल ट्रैवल, ट्रेड एसोसिएशन के अशरफ अली ने कहा कि युद्ध के 20 साल बाद भी, यदि आप एक इंटरनेट पर कारगिल टाइप करते हैं, तो पहला परिणाम कारगिल युद्ध का आता है. यह उस क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत अनुचित है, जिसका मुख्य आधार पर्यटन है. युद्ध क्षेत्र के ठप्पे के कारण, इस क्षेत्र के पर्यटन स्थल होने के बावजूद यहां ज्यादा पर्यटक नहीं आते.

आपको बता दें, कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था. ईसमें भारत के 500 सैनिक शहीद हुए थे वहीं 400 पकिस्तानी सैनिकों की मौत हुइ थी. यह युद्ध तीन महीने तक चला था. आखिर में भारत ने पकिस्तानी घुसपैठियों को सीमा के बाहर खदेड़ दिया था. भारत ने इसे आपरेशन विजय का नाम दिया था.

जम्मू और कश्मीर का हिस्सा लेह और कारगिल 5 अगस्त के केंद्र सरकार के फैसले के बाद केंद्र शाशित प्रदेश लद्दाख के अंतरगत आ गए हैं, अब इन्हें अलग केंद्र शाशित राज्य के अंतरगत आने के बाद घाटी से जुड़ी हिंसा की छाया से बाहर आने की उम्मीद है.

हालांकी, कारगिल का का फोकस अब सरकार से एक पर्यटन क्षेत्र के रूप में अनुदान प्राप्त करने का है.

एक होटल मालिक और क्षेत्र से प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा एम डी हसनैन रंग्युल ने कहा कि जो भी चर्चाएँ चल रही हैं, उनमें केंद्र बिंदु लेह है और कारगिल को दरकिनार कर दिया गया है. हमारे पास आर्यन घाटी, सुरू घाटी, द्रास, ज़ांस्कर घाटी है, जिसे पर्यटन स्थलों के रूप में प्रचारित किया जा सकता है.

इसके अलावा, यहां तीन बुद्ध रॉक भी हैं. अफ़गानिस्तान में तालिबान द्वारा बामन की मूर्तियों को नष्ट किए जाने के बाद ये उस तरह की अंतिम नक्काशी हैं, इन मूर्तियों को असुरक्षित और असत्यापित छोड़ दिया गया है.

उन्होने कहा कि कारगिल में हर साल लगभग 1.25 लाख पर्यटक आते हैं, लेकिन आमतौर पर इसे "पारगमन शिविर" के रूप में माना जाता है.

पढ़ें-पर्यटन मंत्री से EXCL बातचीत, बताया- लेह-लद्दाख में कैसे बढ़ाएंगे टूरिज्म

आप को बता दें कि कारगिल लेह और श्रीनगर के बीच में पड़ता है. इसी कारण यहां हजारों सैलानी यात्रा के दौरान इस जगह पर विश्राम स्थल के रूप में रुकते हैं.

यहां ऐसे पर्यटक आते हैं जो हमारे होटलों में रात रुकते हैं और अगली सुबह नाश्ते के बाद निकल जाते हैं. यह पर्यटन नहीं कहा जा सकता है, इसके क्षेत्र को पारगमन शिविर के रूप में माना जाता है.

अली ने कहा कि जापान, कोरिया के लगभग 3000 विदेशी सैलानी बुद्ध की नक्काशी देखने के लिए कारगिल आते हैं और खुबानी के खिलते मौसम का भी आनंद लेते हैं. हम चाहते हैं कि सरकार हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दे और हमें इसके विभिन्न सर्किटों में शामिल करे.

हालांकि यह बॉलीवुड है जो उन्हें कुछ सांत्वना दे रहा है, विशेष रूप से करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस. जोहर की पिछली फिल्म कलंक के कुछ हिस्सों को यहां शूट किया गया था. यह कैप्टन विक्रम बत्रा पर बनी एक फिल्म थी. कैप्टन बत्रा को कारगिल युद्ध के दौरान मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

वह पूरी टीम महीनों से वहां शूटिंग कर रही है. इसलिए, इस खबत के माध्यम से हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और घरेलू पर्यटकों को कारगिल आने और यहां रहने के लिए आमंत्रइत करना चाहते हैं.

अली ने कहा कि यहां लगभग 30 होटल हैं, सुंदर पहाड़ हैं जो 12 महीनों तक बर्फ से ढके रहते हैं और जो लोग बेहद मेहमाननवाज हैं. कारगिल का क्षेत्र कश्मीर घाटी से 15000 वर्ग किलोमीटर बड़ा है और उतना ही खूबसूरत है.

पढ़ें-जम्मू कश्मीर में पर्यटन शुरू, पटनीटॉप पहुंचे सैलानी

अपनी ओर से सरकार ने लेह और कारगिल के लिए अवसरों और धन के समान वितरण का वादा किया है, दोनों क्षेत्रों में हितधारकों को आश्वासन दिया है कि पर्यटन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

आने वाली तारीख 1 नवंबर को प्रधानमंत्री द्वारा केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के दो हिस्सों के बारे में बड़ा ऐलैान करने वाले हैं. तो कारगिल यह उम्मीद कर रहा होगा कि यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में घोसित किया जाए जिससे वहां का पुनरुत्थान और पुनर्निमाण हो सके.

(पीटीआई इनपुट)

लेह: कारगिल में रहने वाले 500 परिवारों चाहते हैं कि से वारजोन का ठप्पा हटाकर उसे एक पर्यटन स्थल घोसित किया जाय. इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के कदम के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं.

पिछले सप्ताह लेह में तीन दिवसीय यात्रा पर आए हुए पर्यटन मंत्री से क्षेत्र के टूर ऑपरेटरों और होटल व्यवसायियों ने उनसे कारगिल पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की. उन्होंने दावा किया कि कारगिल को अभी भी भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 के युद्ध के लिए याद किया जाता है.

ऑल कारगिल ट्रैवल, ट्रेड एसोसिएशन के अशरफ अली ने कहा कि युद्ध के 20 साल बाद भी, यदि आप एक इंटरनेट पर कारगिल टाइप करते हैं, तो पहला परिणाम कारगिल युद्ध का आता है. यह उस क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत अनुचित है, जिसका मुख्य आधार पर्यटन है. युद्ध क्षेत्र के ठप्पे के कारण, इस क्षेत्र के पर्यटन स्थल होने के बावजूद यहां ज्यादा पर्यटक नहीं आते.

आपको बता दें, कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था. ईसमें भारत के 500 सैनिक शहीद हुए थे वहीं 400 पकिस्तानी सैनिकों की मौत हुइ थी. यह युद्ध तीन महीने तक चला था. आखिर में भारत ने पकिस्तानी घुसपैठियों को सीमा के बाहर खदेड़ दिया था. भारत ने इसे आपरेशन विजय का नाम दिया था.

जम्मू और कश्मीर का हिस्सा लेह और कारगिल 5 अगस्त के केंद्र सरकार के फैसले के बाद केंद्र शाशित प्रदेश लद्दाख के अंतरगत आ गए हैं, अब इन्हें अलग केंद्र शाशित राज्य के अंतरगत आने के बाद घाटी से जुड़ी हिंसा की छाया से बाहर आने की उम्मीद है.

हालांकी, कारगिल का का फोकस अब सरकार से एक पर्यटन क्षेत्र के रूप में अनुदान प्राप्त करने का है.

एक होटल मालिक और क्षेत्र से प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा एम डी हसनैन रंग्युल ने कहा कि जो भी चर्चाएँ चल रही हैं, उनमें केंद्र बिंदु लेह है और कारगिल को दरकिनार कर दिया गया है. हमारे पास आर्यन घाटी, सुरू घाटी, द्रास, ज़ांस्कर घाटी है, जिसे पर्यटन स्थलों के रूप में प्रचारित किया जा सकता है.

इसके अलावा, यहां तीन बुद्ध रॉक भी हैं. अफ़गानिस्तान में तालिबान द्वारा बामन की मूर्तियों को नष्ट किए जाने के बाद ये उस तरह की अंतिम नक्काशी हैं, इन मूर्तियों को असुरक्षित और असत्यापित छोड़ दिया गया है.

उन्होने कहा कि कारगिल में हर साल लगभग 1.25 लाख पर्यटक आते हैं, लेकिन आमतौर पर इसे "पारगमन शिविर" के रूप में माना जाता है.

पढ़ें-पर्यटन मंत्री से EXCL बातचीत, बताया- लेह-लद्दाख में कैसे बढ़ाएंगे टूरिज्म

आप को बता दें कि कारगिल लेह और श्रीनगर के बीच में पड़ता है. इसी कारण यहां हजारों सैलानी यात्रा के दौरान इस जगह पर विश्राम स्थल के रूप में रुकते हैं.

यहां ऐसे पर्यटक आते हैं जो हमारे होटलों में रात रुकते हैं और अगली सुबह नाश्ते के बाद निकल जाते हैं. यह पर्यटन नहीं कहा जा सकता है, इसके क्षेत्र को पारगमन शिविर के रूप में माना जाता है.

अली ने कहा कि जापान, कोरिया के लगभग 3000 विदेशी सैलानी बुद्ध की नक्काशी देखने के लिए कारगिल आते हैं और खुबानी के खिलते मौसम का भी आनंद लेते हैं. हम चाहते हैं कि सरकार हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दे और हमें इसके विभिन्न सर्किटों में शामिल करे.

हालांकि यह बॉलीवुड है जो उन्हें कुछ सांत्वना दे रहा है, विशेष रूप से करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस. जोहर की पिछली फिल्म कलंक के कुछ हिस्सों को यहां शूट किया गया था. यह कैप्टन विक्रम बत्रा पर बनी एक फिल्म थी. कैप्टन बत्रा को कारगिल युद्ध के दौरान मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.

वह पूरी टीम महीनों से वहां शूटिंग कर रही है. इसलिए, इस खबत के माध्यम से हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और घरेलू पर्यटकों को कारगिल आने और यहां रहने के लिए आमंत्रइत करना चाहते हैं.

अली ने कहा कि यहां लगभग 30 होटल हैं, सुंदर पहाड़ हैं जो 12 महीनों तक बर्फ से ढके रहते हैं और जो लोग बेहद मेहमाननवाज हैं. कारगिल का क्षेत्र कश्मीर घाटी से 15000 वर्ग किलोमीटर बड़ा है और उतना ही खूबसूरत है.

पढ़ें-जम्मू कश्मीर में पर्यटन शुरू, पटनीटॉप पहुंचे सैलानी

अपनी ओर से सरकार ने लेह और कारगिल के लिए अवसरों और धन के समान वितरण का वादा किया है, दोनों क्षेत्रों में हितधारकों को आश्वासन दिया है कि पर्यटन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

आने वाली तारीख 1 नवंबर को प्रधानमंत्री द्वारा केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के दो हिस्सों के बारे में बड़ा ऐलैान करने वाले हैं. तो कारगिल यह उम्मीद कर रहा होगा कि यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में घोसित किया जाए जिससे वहां का पुनरुत्थान और पुनर्निमाण हो सके.

(पीटीआई इनपुट)

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KARGIL-TOURISM
Kargil seeks to shrug off its "war zone" tag, claim place as tourist destination
By Ananya Sengupta
         Leh, Sep 10 (PTI) Keen to shrug off its "war zone" tag, around 500 families in Kargil are looking to the Centre to pump funds and promote the region as a tourist destination internationally after the move to accord it Union Territory status.
          During the tourism minister's three day visit to Leh last week, tour operators and hoteliers from the region appealed to him to focus on Kargil, which they claimed is still living in the shadow of the 1999 Kargil war between India and Pakistan.
          "Even 20 years after the war, if you type Kargil in a search engine, the first result that pops up is Kargil war. That is so unfair to the people of the region whose mainstay is tourism. Because of the war zone tag, we have never realised our potential of being a tourist destination despite the region having various places of interest," said Ashraf Ali from the All Kargil Travel, Trade Association.
          The Kargil war lasted for nearly three months, killed more than 500 Indian and nearly 400 Pakistani soldiers, and ended with India pushing back Pakistani fighters to the other side of the LoC successfully. While Pakistan called its operation to take over the control of Indian posts along the LoC as Operation Badr, India called its offensive Operation Vijay.
          With the Narendra Modi government according Leh and Kargil Union Territory status on August 5, both these previous districts of Jammu and Kashmir hope to come out of the shadow of violence associated with the Valley.
          However, for Kargil, the focus is now to ensure that it gets its share from the union government and is not overshadowed by Leh, which, they claimed was now the Centre's darling.
          "In all the discussions that are going on, it is Leh and not Kargil that is in focus. We have the Aryan Valley, the Suru Valley, Drass, Zanskar Valley which could be promoted as tourist destinations. Also, we have three Buddha rock carvings which are the last such carvings after the Bamyan statues were destroyed in Afghanistan by the Taliban. These statues have been left unprotected and unpreserved," said Md Hasnen Rangyul, a hotelier who was part of the delegation from the region.
          While Kargil gets around 1.25 lakh tourists every year, it is usually treated as a "transit camp", they said.
          Kargil is placed midway between Leh and Srinagar and thus used by tourists as a resting point before their onward journey.
          "All we get are tourists who stay the night at our hotels and leave the next morning after breakfast. That's not tourism, its like treating the region as a transit camp. Around 3000 foreigners from Japan, Korea come to Kargil to see the Buddha carvings and also enjoy the apricot blooming season. We want the government to promote us internationally and include us in its various circuits," said Ali.
          However, surprisingly, it is Bollywood that is giving them some solace, specially Karan Johar's Dharma Productions. While parts of Johar's earlier film, Kalank was shot here, it is ironically a film on Capt Vikram Batra who was posthumously awarded the Param Vir Chakra, India's highest and most prestigious award for valour, for his actions during the 1999 Kargil War, which is giving the region some succour.
          "The entire team is shooting there for months. So, as this news comes, we want to tell the international community and the domestic tourists to come to Kargil and stay here. We have around 30 hotels, beautiful peaks which are covered with snow for 12 months and people who are immensely hospitable. Kargil's area is 15000 sq km, bigger than Kashmir Valley and is as beautiful," appealed Ali.
         The government on its part has promised equal distribution of opportunities and funds for Leh and Kargil, assuring the stakeholders in both the regions that the focus is on boosting tourism.
          Come November 1, when the PM is expected to announce the modalities for the two regions as UTs, Kargil will be hoping it gets enough to resurrect and reinvent itself as one of India's prime tourist destinations. PTI ASG ASG
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Last Updated : Sep 30, 2019, 4:30 AM IST
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