लेह: कारगिल में रहने वाले 500 परिवारों चाहते हैं कि से वारजोन का ठप्पा हटाकर उसे एक पर्यटन स्थल घोसित किया जाय. इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने के कदम के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं.
पिछले सप्ताह लेह में तीन दिवसीय यात्रा पर आए हुए पर्यटन मंत्री से क्षेत्र के टूर ऑपरेटरों और होटल व्यवसायियों ने उनसे कारगिल पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की. उन्होंने दावा किया कि कारगिल को अभी भी भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 के युद्ध के लिए याद किया जाता है.
ऑल कारगिल ट्रैवल, ट्रेड एसोसिएशन के अशरफ अली ने कहा कि युद्ध के 20 साल बाद भी, यदि आप एक इंटरनेट पर कारगिल टाइप करते हैं, तो पहला परिणाम कारगिल युद्ध का आता है. यह उस क्षेत्र के लोगों के लिए बहुत अनुचित है, जिसका मुख्य आधार पर्यटन है. युद्ध क्षेत्र के ठप्पे के कारण, इस क्षेत्र के पर्यटन स्थल होने के बावजूद यहां ज्यादा पर्यटक नहीं आते.
आपको बता दें, कारगिल युद्ध 1999 में हुआ था. ईसमें भारत के 500 सैनिक शहीद हुए थे वहीं 400 पकिस्तानी सैनिकों की मौत हुइ थी. यह युद्ध तीन महीने तक चला था. आखिर में भारत ने पकिस्तानी घुसपैठियों को सीमा के बाहर खदेड़ दिया था. भारत ने इसे आपरेशन विजय का नाम दिया था.
जम्मू और कश्मीर का हिस्सा लेह और कारगिल 5 अगस्त के केंद्र सरकार के फैसले के बाद केंद्र शाशित प्रदेश लद्दाख के अंतरगत आ गए हैं, अब इन्हें अलग केंद्र शाशित राज्य के अंतरगत आने के बाद घाटी से जुड़ी हिंसा की छाया से बाहर आने की उम्मीद है.
हालांकी, कारगिल का का फोकस अब सरकार से एक पर्यटन क्षेत्र के रूप में अनुदान प्राप्त करने का है.
एक होटल मालिक और क्षेत्र से प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा एम डी हसनैन रंग्युल ने कहा कि जो भी चर्चाएँ चल रही हैं, उनमें केंद्र बिंदु लेह है और कारगिल को दरकिनार कर दिया गया है. हमारे पास आर्यन घाटी, सुरू घाटी, द्रास, ज़ांस्कर घाटी है, जिसे पर्यटन स्थलों के रूप में प्रचारित किया जा सकता है.
इसके अलावा, यहां तीन बुद्ध रॉक भी हैं. अफ़गानिस्तान में तालिबान द्वारा बामन की मूर्तियों को नष्ट किए जाने के बाद ये उस तरह की अंतिम नक्काशी हैं, इन मूर्तियों को असुरक्षित और असत्यापित छोड़ दिया गया है.
उन्होने कहा कि कारगिल में हर साल लगभग 1.25 लाख पर्यटक आते हैं, लेकिन आमतौर पर इसे "पारगमन शिविर" के रूप में माना जाता है.
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आप को बता दें कि कारगिल लेह और श्रीनगर के बीच में पड़ता है. इसी कारण यहां हजारों सैलानी यात्रा के दौरान इस जगह पर विश्राम स्थल के रूप में रुकते हैं.
यहां ऐसे पर्यटक आते हैं जो हमारे होटलों में रात रुकते हैं और अगली सुबह नाश्ते के बाद निकल जाते हैं. यह पर्यटन नहीं कहा जा सकता है, इसके क्षेत्र को पारगमन शिविर के रूप में माना जाता है.
अली ने कहा कि जापान, कोरिया के लगभग 3000 विदेशी सैलानी बुद्ध की नक्काशी देखने के लिए कारगिल आते हैं और खुबानी के खिलते मौसम का भी आनंद लेते हैं. हम चाहते हैं कि सरकार हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा दे और हमें इसके विभिन्न सर्किटों में शामिल करे.
हालांकि यह बॉलीवुड है जो उन्हें कुछ सांत्वना दे रहा है, विशेष रूप से करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शंस. जोहर की पिछली फिल्म कलंक के कुछ हिस्सों को यहां शूट किया गया था. यह कैप्टन विक्रम बत्रा पर बनी एक फिल्म थी. कैप्टन बत्रा को कारगिल युद्ध के दौरान मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
वह पूरी टीम महीनों से वहां शूटिंग कर रही है. इसलिए, इस खबत के माध्यम से हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय और घरेलू पर्यटकों को कारगिल आने और यहां रहने के लिए आमंत्रइत करना चाहते हैं.
अली ने कहा कि यहां लगभग 30 होटल हैं, सुंदर पहाड़ हैं जो 12 महीनों तक बर्फ से ढके रहते हैं और जो लोग बेहद मेहमाननवाज हैं. कारगिल का क्षेत्र कश्मीर घाटी से 15000 वर्ग किलोमीटर बड़ा है और उतना ही खूबसूरत है.
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अपनी ओर से सरकार ने लेह और कारगिल के लिए अवसरों और धन के समान वितरण का वादा किया है, दोनों क्षेत्रों में हितधारकों को आश्वासन दिया है कि पर्यटन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
आने वाली तारीख 1 नवंबर को प्रधानमंत्री द्वारा केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के दो हिस्सों के बारे में बड़ा ऐलैान करने वाले हैं. तो कारगिल यह उम्मीद कर रहा होगा कि यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में घोसित किया जाए जिससे वहां का पुनरुत्थान और पुनर्निमाण हो सके.
(पीटीआई इनपुट)