नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की ई कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर अदालतों में डिजिटल प्रणाली की आवश्यकता पर जोर देने को कहा है. साथ ही इसके लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करने को कहा है. इसमें शारीरिक रूप से अक्षम वकीलों के लिए बुनियादी ढांचा भी शामिल है.
वकीलों के हस्ताक्षर भी डिजिटल हों
सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऑडियो कैप्चा को सक्षम करने जैसे नेत्रहीनों के लिए उठाए गए कदमों का हवाला देते हुए और दस्तावेजों को स्कैन करने की बजाय पीडीएफ के रूप में सहेजने को लेकर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सुझाव दिया है कि अदालतों को वेबसाइट आसान और सभी जरूरी सूचनाओं से लैस करने के लिए उच्च न्यायालयों को जल्द ही कुछ कदम उठाने चाहिए. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने लिखा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मेरी अदालत ने उपरोक्त प्रथा को अपनाया है, जिसमें लिखित प्रस्तुतियों का दायरा 100% तक है. इसे सभी अदालतों में लागू करने की आवश्यकता है. हमें हस्ताक्षर को भी डिजिटल करने की आवश्यकता है. अगर हस्ताक्षर जरूरी ही है तो इसे सिर्फ अंतिम पेज पर जरूरी करना चाहिए. इससे वकीलों को सभी कागजों को प्रिंट करने की जरूरत नहीं होगी. स्कैन कर काम किया जा सकेगा.
लॉकडाउन के कारण डिजिटली काम में आई तेजी
लॉकडाउन लागू होने के कारण अदालतें डिजिटली काम करने लगी हैं. न्यायाधीश अदालत में जाते हैं, लेकिन अधिवक्ता अपने कार्यालय या निवास से अदालतों में प्रस्तुत हो रहे हैं. हालांकि, बहुत सारे अधिवक्ताओं के पास इसके लिए लैपटॉप या बुनियादी ढांचा नहीं है. इस पर काम करने की जरूरत है. शीर्ष अदालत में अब याचिकाएं और प्रस्तुतियां इलेक्ट्रॉनिक रूप से अदालत में दायर की जा रहीं हैं और मामले के पक्षकारों को इसका लिंक दिया जा रहा है. शीर्ष अदालत के नए भवन का उपयोग वर्चुअल कार्यवाही के लिए किया जा रहा है, जहां सिस्टम स्थापित किए गए हैं और कोर्ट रूम में अधिवक्ताओं के साथ-साथ पत्रकारों द्वारा भी एक्सेस किया जा रहा है. ई गवर्नेंस में उत्कृष्टता के लिए सुप्रीम कोर्ट की ई कमेटी के ई कोर्ट प्रोजेक्ट ने भी डिजिटल इंडिया का पुरस्कार जीता है.