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भारत की डॉ उप्पलुरी अनुराधा को 'ब्रिटिश सिटिजन अवार्ड' से किया गया सम्मानित - DR UPPALURI ANURADHAS

डेंटिस्ट से लेकर ब्रिटेन में अवार्ड जीतने तक डॉ उप्पालुरी अनुराधा की ऑटिस्टिक बच्चों की सहायता करने की यात्रा उल्लेखनीय है.

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ऑटिज्म (सांकेतिक तस्वीर)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 29, 2025, 3:26 PM IST

अमरावती: ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की परवरिश एक चुनौती है, जिसे कई माता-पिता समझ सकते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इसके साथ आने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए तैयार होते हैं. ऑटिज्म से पीड़ित बेटे की मां डॉ उप्पलुरी अनुराधा के लिए यह चुनौती बदलाव लाने के लिए उनकी प्रेरणा बन गई.

अपने मेडिकल करियर किनारे करते हुए डॉ अनुराधा ने ऑटिज्म को लेकर जागरूकता बढ़ाने और इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रही अन्य माताओं को सहायता प्रदान करने के मिशन की शुरुआत की. उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए, उन्हें हाल ही में 2025 के लिए प्रतिष्ठित ब्रिटिश सिटीजन अवार्ड से सम्मानित किया गया.

ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहती हैं अनुराधा
आंध्र प्रदेश के नुजीवीदु की रहने वाली अनुराधा अब ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहती हैं. पेशे से वह एक डेंटिस्ट हैं, लेकिन बेटे के जन्म के बाद उनकी जिंदगी में उस समय एक नाटकीय मोड़ आया, जब उनके बेटे का जन्म हुआ. हालांकि, बेटा पैदा होनी खुशी तब फीकी पड़ गई जब उन्हें पता चला कि उनके बेटे को ऑटिज्म है. शुरू में वह अपने बेटे के भविष्य को लेकर चिंता में डूबी हुई थीं. हालांकि, निराशा में डूबने के बजाय, उन्होंने आगे कदम उठाने का फैसला किया.

अपने बेटे की कंडीशन को अपने ऊपर हावी न होने देने के दृढ़ निश्चय के साथ अनुराधा ने डेंटिस्ट के तौर में अपना करियर छोड़ने और अपने बेटे के लिए खुद को समर्पित करने का कठिन निर्णय लिया. इस दौरान उन्होंने ऑटिज्म, इसके लक्षणों, ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों और उन्हें अपने परिवारों से मिलने वाले समर्थन के बारे में बहुमूल्य जानकारी हासिल की.उन्होंने महसूस किया कि उनके जैसी कई माताएं अकेले संघर्ष कर रही हैं, उन्हें नहीं पता कि अपने बच्चों को कैसे सपोर्ट किया जाए.

जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए
अन्य माताओं की मदद करने की अनुराधा की इच्छा ने उन्हे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने साथी माता-पिता के साथ अपने अनुभव साझा किए, उनकी चिंता और अनिश्चितता को कम करने के लिए मार्गदर्शन और आश्वासन दिया. इसके अलावा, अनुराधा ऑटिज्म से पीड़ित लोगों की सहायता के धन जुटाने में भी जुट गईं.

अब तक उन्होंने 30,000 पाउंड से अधिक की राशि जुटाई है, जिसे कई ऑटिज्म-संबंधित संगठनों को दान किया गया है, जिसमें उफकैल्म स्पेशल नीड्स स्कूल, ऑटिज़्म वेस्ट मिडलैंड्स, नेशनल ऑटिस्टिक सोसाइटी और विशेष जरूरतों वाले बच्चों की सहायता करने के लिए काम करने वाले अन्य गैर-लाभकारी संगठन शामिल हैं.

'ब्रिजिंग ब्रेन्स' नामक एक संगठन की स्थापना
अनुराधा ने 'ब्रिजिंग ब्रेन्स' नामक एक संगठन की स्थापना भी की, जिसका उद्देश्य माताओं को अतिरिक्त जरूरतों वाले बच्चों की परवरिश में मदद करना है. संगठन का मिशन प्रत्येक बच्चे को आवश्यक सहायता प्रदान करना है, ताकि वे संतुष्ट जीवन जी सकें. ब्रिजिंग ब्रेन्स के माध्यम से अनुराधा और उनकी टीम ने ऑटिस्टिक बच्चों और उनके साथियों के बीच की खाई को कम करने के लिए काम किया है, जिससे उन्हें समाज में बेहतर तरीके से इंटिग्रेट होने में मदद मिली है.

संगठन विशेष प्रशिक्षण प्रदान करता है, बच्चों की ताकत और इंटरेस्ट की पहचान करता है और म्यूजिक, डांस और हस्तशिल्प जैसी स्किल-बेस्ड एक्टिविटीज पर ध्यान केंद्रित करता है. ये गतिविधियां इन बच्चों के लिए एक उज्जवल भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करती हैं.

इसके अलावा परिवारों को विशेष जरूरतों वाले बच्चों की परवरिश के मानसिक और भावनात्मक तनाव से निपटने में मदद करने के लिए वेलनेस सेशन भी दिए जाते हैं. एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करके, अनुराधा का संगठन परिवारों को सशक्त बनाता है.अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए डॉ अनुराधा को कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें यूके में जीर एजुकेशनल ट्रस्ट से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और प्रसिद्ध संगठनों से अन्य मानद पुरस्कार शामिल हैं.

उनकी सबसे हालिया उपलब्धि ब्रिटिश सिटीजन अवार्ड है. यह ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाला प्रतिष्ठित पीपुल्स ऑनर्स अवार्ड्स है. यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को मान्यता देता है जिन्होंने अपने समुदायों और समाज में बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

यह भी पढ़ें- इस साल चार बार लगेगी लोक अदालत, फिर भी माफ नहीं होगा इन लोगों चालान

अमरावती: ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की परवरिश एक चुनौती है, जिसे कई माता-पिता समझ सकते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इसके साथ आने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए तैयार होते हैं. ऑटिज्म से पीड़ित बेटे की मां डॉ उप्पलुरी अनुराधा के लिए यह चुनौती बदलाव लाने के लिए उनकी प्रेरणा बन गई.

अपने मेडिकल करियर किनारे करते हुए डॉ अनुराधा ने ऑटिज्म को लेकर जागरूकता बढ़ाने और इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रही अन्य माताओं को सहायता प्रदान करने के मिशन की शुरुआत की. उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए, उन्हें हाल ही में 2025 के लिए प्रतिष्ठित ब्रिटिश सिटीजन अवार्ड से सम्मानित किया गया.

ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहती हैं अनुराधा
आंध्र प्रदेश के नुजीवीदु की रहने वाली अनुराधा अब ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहती हैं. पेशे से वह एक डेंटिस्ट हैं, लेकिन बेटे के जन्म के बाद उनकी जिंदगी में उस समय एक नाटकीय मोड़ आया, जब उनके बेटे का जन्म हुआ. हालांकि, बेटा पैदा होनी खुशी तब फीकी पड़ गई जब उन्हें पता चला कि उनके बेटे को ऑटिज्म है. शुरू में वह अपने बेटे के भविष्य को लेकर चिंता में डूबी हुई थीं. हालांकि, निराशा में डूबने के बजाय, उन्होंने आगे कदम उठाने का फैसला किया.

अपने बेटे की कंडीशन को अपने ऊपर हावी न होने देने के दृढ़ निश्चय के साथ अनुराधा ने डेंटिस्ट के तौर में अपना करियर छोड़ने और अपने बेटे के लिए खुद को समर्पित करने का कठिन निर्णय लिया. इस दौरान उन्होंने ऑटिज्म, इसके लक्षणों, ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों और उन्हें अपने परिवारों से मिलने वाले समर्थन के बारे में बहुमूल्य जानकारी हासिल की.उन्होंने महसूस किया कि उनके जैसी कई माताएं अकेले संघर्ष कर रही हैं, उन्हें नहीं पता कि अपने बच्चों को कैसे सपोर्ट किया जाए.

जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए
अन्य माताओं की मदद करने की अनुराधा की इच्छा ने उन्हे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने साथी माता-पिता के साथ अपने अनुभव साझा किए, उनकी चिंता और अनिश्चितता को कम करने के लिए मार्गदर्शन और आश्वासन दिया. इसके अलावा, अनुराधा ऑटिज्म से पीड़ित लोगों की सहायता के धन जुटाने में भी जुट गईं.

अब तक उन्होंने 30,000 पाउंड से अधिक की राशि जुटाई है, जिसे कई ऑटिज्म-संबंधित संगठनों को दान किया गया है, जिसमें उफकैल्म स्पेशल नीड्स स्कूल, ऑटिज़्म वेस्ट मिडलैंड्स, नेशनल ऑटिस्टिक सोसाइटी और विशेष जरूरतों वाले बच्चों की सहायता करने के लिए काम करने वाले अन्य गैर-लाभकारी संगठन शामिल हैं.

'ब्रिजिंग ब्रेन्स' नामक एक संगठन की स्थापना
अनुराधा ने 'ब्रिजिंग ब्रेन्स' नामक एक संगठन की स्थापना भी की, जिसका उद्देश्य माताओं को अतिरिक्त जरूरतों वाले बच्चों की परवरिश में मदद करना है. संगठन का मिशन प्रत्येक बच्चे को आवश्यक सहायता प्रदान करना है, ताकि वे संतुष्ट जीवन जी सकें. ब्रिजिंग ब्रेन्स के माध्यम से अनुराधा और उनकी टीम ने ऑटिस्टिक बच्चों और उनके साथियों के बीच की खाई को कम करने के लिए काम किया है, जिससे उन्हें समाज में बेहतर तरीके से इंटिग्रेट होने में मदद मिली है.

संगठन विशेष प्रशिक्षण प्रदान करता है, बच्चों की ताकत और इंटरेस्ट की पहचान करता है और म्यूजिक, डांस और हस्तशिल्प जैसी स्किल-बेस्ड एक्टिविटीज पर ध्यान केंद्रित करता है. ये गतिविधियां इन बच्चों के लिए एक उज्जवल भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करती हैं.

इसके अलावा परिवारों को विशेष जरूरतों वाले बच्चों की परवरिश के मानसिक और भावनात्मक तनाव से निपटने में मदद करने के लिए वेलनेस सेशन भी दिए जाते हैं. एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करके, अनुराधा का संगठन परिवारों को सशक्त बनाता है.अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए डॉ अनुराधा को कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें यूके में जीर एजुकेशनल ट्रस्ट से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और प्रसिद्ध संगठनों से अन्य मानद पुरस्कार शामिल हैं.

उनकी सबसे हालिया उपलब्धि ब्रिटिश सिटीजन अवार्ड है. यह ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाला प्रतिष्ठित पीपुल्स ऑनर्स अवार्ड्स है. यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को मान्यता देता है जिन्होंने अपने समुदायों और समाज में बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

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