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विपक्ष की मांग : नजरबंद किए गए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों को रिहा करे सरकार - joint statement for immediate release of ex cm

पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई अन्य नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों की रिहाई की मांग की है. बता दें, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से कई नेता नजरबंद हैं. पढ़ें पूरी खबर...

ममता बनर्जी
ममता बनर्जी
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Published : Mar 9, 2020, 4:10 PM IST

Updated : Mar 9, 2020, 9:19 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई अन्य नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों की रिहाई की मांग की है. बता दें, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से कई नेता नजरबंद हैं.

बता दें कि इन नेताओं के अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(सीपीआई) के नेता डी राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) के महासचिव सीताराम येचुरी और राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला को तत्काल रिहा करने की मांग की है.

विपक्ष के नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा कि कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों (फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती). मोदी सरकार में लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन का हो रहा है. इससे असंतोष बढ़ता जा रहा है. इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों पर जबरदस्त प्रशासनिक कार्रवाई की जा रही है.

पढ़ें : महबूबा मुफ्ती बोलीं, अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती से लोगों में डर फैल रहा है

बता दें कि तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत नजरबंद करके रखा गया है.

विपक्ष ने सत्तापक्ष के इस रवैये के कारण संविधान में वर्णित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे को खतरा उत्पन्न होने का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले सात महीनों से तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को बिना किसी पुख्ता आधार के हिरासत में रखा गया है.

विपक्ष ने दलील दी कि इन नेताओं का ऐसी कोई पृष्ठभूमि भी नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि यह लोग जम्मू कश्मीर में सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं. जबकि मोदी सरकार यह निराधार तर्क दे रही है कि इन्हें रिहा करने पर इनकी गतिविधियों से देश और राज्य में सार्वजनिक सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.

उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में एहतियातन हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने की विपक्ष लगातार मांग कर रहा है. विपक्षी नेताओं ने बयान में कहा कि तीन पूर्वमुख्यमंत्रियों सहित जम्मू कश्मीर के तमाम राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अनिश्चित काल तक हिरासत में रखना इनके संवैधानिक अधिकारों का गंभीर हनन है.

विपक्षी नेताओं ने कहा कि इन परिस्थितियों में संविधान और लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध राजनीतिक दल चुप नहीं बैठ सकते हैं. इसके मद्देनजर उन्होंने इन नेताओं की रिहाई और जम्मू कश्मीर के लोगों के नागरिक अधिकारों को बहाल करने की मांग की है.

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई अन्य नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों की रिहाई की मांग की है. बता दें, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से कई नेता नजरबंद हैं.

बता दें कि इन नेताओं के अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(सीपीआई) के नेता डी राजा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) के महासचिव सीताराम येचुरी और राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला को तत्काल रिहा करने की मांग की है.

विपक्ष के नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा कि कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों (फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती). मोदी सरकार में लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन का हो रहा है. इससे असंतोष बढ़ता जा रहा है. इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों पर जबरदस्त प्रशासनिक कार्रवाई की जा रही है.

पढ़ें : महबूबा मुफ्ती बोलीं, अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती से लोगों में डर फैल रहा है

बता दें कि तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत नजरबंद करके रखा गया है.

विपक्ष ने सत्तापक्ष के इस रवैये के कारण संविधान में वर्णित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे को खतरा उत्पन्न होने का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले सात महीनों से तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को बिना किसी पुख्ता आधार के हिरासत में रखा गया है.

विपक्ष ने दलील दी कि इन नेताओं का ऐसी कोई पृष्ठभूमि भी नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि यह लोग जम्मू कश्मीर में सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं. जबकि मोदी सरकार यह निराधार तर्क दे रही है कि इन्हें रिहा करने पर इनकी गतिविधियों से देश और राज्य में सार्वजनिक सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.

उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में एहतियातन हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने की विपक्ष लगातार मांग कर रहा है. विपक्षी नेताओं ने बयान में कहा कि तीन पूर्वमुख्यमंत्रियों सहित जम्मू कश्मीर के तमाम राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अनिश्चित काल तक हिरासत में रखना इनके संवैधानिक अधिकारों का गंभीर हनन है.

विपक्षी नेताओं ने कहा कि इन परिस्थितियों में संविधान और लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध राजनीतिक दल चुप नहीं बैठ सकते हैं. इसके मद्देनजर उन्होंने इन नेताओं की रिहाई और जम्मू कश्मीर के लोगों के नागरिक अधिकारों को बहाल करने की मांग की है.

Last Updated : Mar 9, 2020, 9:19 PM IST
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