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जम्मू कश्मीर ने कभी भी सिखों को अल्पसंख्यक नहीं माना : त्रिलोचन सिंह - राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी

अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अधयक्ष त्रिलोचन सिंह ने सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाए जाने की निंदा करते हुए कहा है कि 1978 में सिखों को अल्पसंख्यक घोषित किया गया था लेकिन जम्मू कश्मीर ने कभी भी सिखों को अल्पसंख्यक नहीं माना.

ईटीवी बारत से बात करते त्रिलोचन सिंह
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Published : Oct 1, 2019, 11:44 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 8:08 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के जनसंपर्क अभियान में भाग लेने के लिए राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी और भाजपा नेता सतीश उपाध्याय पूर्व सांसद और अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष त्रिलोचन सिंह के आवास पर पहुंचे.

ईटीवी भारत से बात करते हुए सतीश उपाध्याय ने कहा कि संपर्क अभियान और जन जागरण अभियान के तहत हमने मुलाकात की. यहां से वो लोगों के बीच जाकर अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बारे में लोगों को सही जानकारी देंगे.

उन्होंने कहा कि क्योंकि यह जनसंपर्क अभियान है इसलिए इसके माध्यम से हम यह जानने कि कोशिश करेंगे कि हमने जो निर्णय लिया है उस पर लोगों को क्या राय है.

ईटीवी बारत से बात करते त्रिलोचन सिंह और सतीश उपाध्याय

उन्होंने कहा कि त्रिलोचन सिंह क्योंकि अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहे हैं ऐसे में भाजपा चाहती है कि उनके माध्यम से सरकार के फैसलों को ठीक ढंग से आम लोगों तक पहुंचाना चाहती है.

इस मामले पर त्रिलोचन सिंह ने कहा कि 1948 में सैनिकों का पहला जत्था पटियाला रॉयल सेना के सिख थे. उन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी. 1965 में जब युद्ध विराम घोषित किया गया तो सैनिक इसके खिलाफ थे.उन्होंने कहा कि पीओके को वापस लिया जा सकता था.

1978 में सिखों को अल्पसंख्यक घोषित किया गया था लेकिन जम्मू कश्मीर ने कभी भी सिखों को अल्पसंख्यक नहीं माना. सिखों को हमेशा वहां नुकसान उठाना पड़ा है.

पढ़ें- बीजेपी का जनजागरण अभियान समाप्त, अनुच्छेद 370 पर लोगों को दी जानकारी

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में मैंने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री से मिला और सिखों को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग की , लेकिन सिखों को अल्पसंख्यक सूची में कभी नहीं जोड़ा गया. यहां तक ​​कि पीओके से जम्मू-कश्मीर आने वालों को भी कभी नागरिकता नहीं मिली.

राष्ट्र सब कुछ से ऊपर है और सिखों ने हमेशा भारत के लिए बलिदान दिया है. 370 का निरस्तीकरण स्वागत योग्य कदम है और यह राज्य में सिखों की मदद करेगा.

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के जनसंपर्क अभियान में भाग लेने के लिए राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी और भाजपा नेता सतीश उपाध्याय पूर्व सांसद और अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष त्रिलोचन सिंह के आवास पर पहुंचे.

ईटीवी भारत से बात करते हुए सतीश उपाध्याय ने कहा कि संपर्क अभियान और जन जागरण अभियान के तहत हमने मुलाकात की. यहां से वो लोगों के बीच जाकर अनुच्छेद 370 निरस्त करने के बारे में लोगों को सही जानकारी देंगे.

उन्होंने कहा कि क्योंकि यह जनसंपर्क अभियान है इसलिए इसके माध्यम से हम यह जानने कि कोशिश करेंगे कि हमने जो निर्णय लिया है उस पर लोगों को क्या राय है.

ईटीवी बारत से बात करते त्रिलोचन सिंह और सतीश उपाध्याय

उन्होंने कहा कि त्रिलोचन सिंह क्योंकि अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष रहे हैं ऐसे में भाजपा चाहती है कि उनके माध्यम से सरकार के फैसलों को ठीक ढंग से आम लोगों तक पहुंचाना चाहती है.

इस मामले पर त्रिलोचन सिंह ने कहा कि 1948 में सैनिकों का पहला जत्था पटियाला रॉयल सेना के सिख थे. उन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी. 1965 में जब युद्ध विराम घोषित किया गया तो सैनिक इसके खिलाफ थे.उन्होंने कहा कि पीओके को वापस लिया जा सकता था.

1978 में सिखों को अल्पसंख्यक घोषित किया गया था लेकिन जम्मू कश्मीर ने कभी भी सिखों को अल्पसंख्यक नहीं माना. सिखों को हमेशा वहां नुकसान उठाना पड़ा है.

पढ़ें- बीजेपी का जनजागरण अभियान समाप्त, अनुच्छेद 370 पर लोगों को दी जानकारी

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में मैंने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री से मिला और सिखों को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग की , लेकिन सिखों को अल्पसंख्यक सूची में कभी नहीं जोड़ा गया. यहां तक ​​कि पीओके से जम्मू-कश्मीर आने वालों को भी कभी नागरिकता नहीं मिली.

राष्ट्र सब कुछ से ऊपर है और सिखों ने हमेशा भारत के लिए बलिदान दिया है. 370 का निरस्तीकरण स्वागत योग्य कदम है और यह राज्य में सिखों की मदद करेगा.

Intro:As a part of BJP's vyapak Jansampark and Jan jagran Abhiyan Minister of State Hardeep Singh Puri, BJP leader Satish Upadhay reached at Trilochan Singh's place. Trilochan Singh is former Rajya Sabha MP and former chairperson of minority commission. The Jan jagran abhiyan by BJP is focused on making people aware about abrogation of article 370 in Jammu and Kashmir.


Body:While talking exclusively to Etv Bharat Satish Upadhayay said that as part of Sampark abhiyan and Jan jagran abhiyan we have met Trilochan Singh and he has supported the move by Union govt to abrogate article 370. We want that prominant persons should tell masses about this.

Trilochan Singh said that Sikhs have always stood up for nation. In 1948 the first batch of soldiers were Sikhs from Patiala Royal army. They fought for country. In 1965 when ceasefire was declared soldiers were against it.The PoK could hv been taken back. In 1978 Sikhs were declared minority but Jammu Kashmir never acknowledged Sikhs as minority. Sikhs have always suffered there. In UN the documentry 'Rape of Baramula' was shown telling condition of Sikhs. As minority commission chairman I met J&K CMs but Sikhs were never added to minority list. Even those who came from PoK to J&K never got citizenship. The nation is above everything and Sikhs have always sacrificed for India. abrogation of 370 is welcome move and it will help Sikhs in state.


Conclusion:log sheet
Byte Trilochan Singh,Former MP n Chairman minority commission
byte Satish Upadhyay,Bjp leader

Shots of HS Puri,Mos Civil Avaition,Housing and Urban affairs with Satish Upadhyay and Trilochan Singh
Last Updated : Oct 2, 2019, 8:08 PM IST
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