नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा के नेतृत्व वाली विदेश मंत्रियों के समूह की अगली बैठक को रद्द कर दिया है. विदेश मंत्री का यह निर्णय भारत में चल रहे किसान विरोध पर कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद आया है. इस बैठक का उद्देश्य कोविड-19 महामारी पर रणनीति तैयार करना है.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली ने कनाडाई सरकार को सूचित कर दिया है कि जयशंकर सात दिसंबर को कनाडा के विदेश मंत्री फ्रेंकोइस-फिलीप शैंपेन की अगुवाई में आयोजित होने वाली बैठक में शामिल नहीं होंगे.
यह पता चला है कि जयशंकर ट्रूडो की टिप्पणियों से नाराज हैं और उन्होंने बैठक में भाग लेने से इनकार करके अपनी नाराजगी जताने का फैसला किया है. उन्होंने पिछले माह आयोजित हुई ऐसी ही एक बैठक में भाग लिया था.
विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब कर कहा कि किसानों के आंदोलन के संबंध में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और वहां के कुछ अन्य नेताओं की टिप्पणी देश के आंतरिक मामलों में एक अस्वीकार्य हस्तक्षेप के समान है.
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विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडाई राजनयिक से यह भी कहा कि ऐसी गतिविधि अगर जारी रही, तो इससे द्विपक्षीय संबंधों को 'गंभीर क्षति' पहुंचेगी.
ट्रूडो ने भारत में आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए कहा था कि शांतिपूर्ण विरोध के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा साथ रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने स्थिति पर चिंता जताई थी.
इसके साथ ही एक दूत को आपत्ति पत्र (डिमार्श) भी सौंपा गया. विदेश मंत्रालय ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर कनाडा के नेताओं द्वारा की गई टिप्पणी की वजह से कनाडा में हमारे मिशन के सामने भीड़ जमा हुई, जिससे सुरक्षा का मुद्दा खड़ा हो गया है.
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि कनाडाई सरकार भारतीय राजनयिकों की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.'
इसके बाद भी ट्रूडो ने अपने बयान को दोहराया और कहा कि कनाडा दुनियाभर में कहीं भी शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार के लिए हमेशा खड़ा रहेगा. हम डी-एस्केलेशन और संवाद के प्रयासों का स्वागत करते हैं. इसपर भारत ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि उनकी सूचना गलत है और उनकी टिप्पणी अनुचित.