पुरी: इसरो ने 22 जुलाई को अपने मिशन चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया. सूत्रों की मानें तो इसरो ने चंद्रयान-2 प्रक्षेपण में जगदगुरु शंकराचार्य की भी सहायता ली थी. इसके साथ ही प्रक्षेपण में पुरी पीठ का भविष्यद्रष्टा वैदिक गणितीय सूत्र का उपयोग हुआ है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुरी जगदगुरु शंकराचार्य से चन्द्रयान-2 के वैज्ञानिकों ने वैदिक गणित की गणना में सलाह मांगी थी, जिसमें उन्होंने बखूबी सहायता की.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने बताया कि वैदिक गणित की गणना में जगतगुरु से सलाह ली गई थी. जगतगुरु शंकराचार्य ने प्रक्षेपण तारीख वैदिक गणित से तय करने में दायित्व निभाएं थे.
इसके अलावा चंद्रयान-2 की सफलता के लिए गोबरधन पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य ने काफी प्रोत्साहित भी किया था.
सूत्रों के अनुसार आयोजन के कुछ दिन पूर्व इसरो के वैज्ञानिकों ने शंकराचार्य के साथ प्रक्षेपण की तारीख पर चर्चा किया था.
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उन्होंने वैज्ञानिकों के साथ चंद्रयान -2 के प्रक्षेपण संबंधित वैदिक गणित के बारे में चर्चा भी किया था.
स्वामी शंकराचार्य ने कहा था, 'पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी की गणना विष्णु पुराण, वायु पुराण और श्रीमद भागवत गीता जैसे प्राचीन पवित्र ग्रंथों में दी गई है.'
महाकाव्य महाभारत में भीष्म द्वारा की गई गणना के अनुसार, 'चंद्रमा' का व्यास 11,000 'योजन' (प्राचीन काल में प्रचलित एक माप) है. इसकी परिधि 33,000 'योजन' है और चौड़ाई '59 'योजन है.'
'वैज्ञानिकों को इन तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए. यह गणना वैदिक गणित से ही संभव है.'
उल्लेखनीय है कि एक चित्र आई थी, जिसमें पुरी जगदगुरु शंकराचार्य प्रक्षेपण से पहले श्रीहरिकोटा में इसरो के प्रयोगशाला का दौरा करते हुए दिख रहें हैं.
गौरतलब हो कि प्राचीन काल से वैदिक गणित को पूरी दुनिया ने विभिन्न मंचों पर सराहा है.