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जम्मू-कश्मीर में पहली बार मनाया गया संविधान दिवस - अनुच्छेद 370

अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार संविधान दिवस मनाया गया. इस मौके पर प्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए.

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जम्मू-कश्मीर में मनाया गया संविधान दिवस
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Published : Nov 26, 2019, 9:45 AM IST

Updated : Nov 26, 2019, 11:54 PM IST

श्रीनगर : संविधान अंगीकृत किए जाने के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर राज्य विधानसभाओं ने मंगलवार को विशेष सत्रों का आयोजन किया और नेताओं ने भीम राव अंबेडकर की प्रशंसा की. दूसरी ओर, विपक्ष ने संविधान के खतरे में होने का दावा किया.

पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य का अलग संविधान और विशेष दर्जा समाप्त करते हुए अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर ने संविधान दिवस के अवसर पर पहली बार कार्यक्रम आयोजित किए.

जम्मू-कश्मीर की विधान परिषद् में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने संविधान की प्रस्तावना पढ़कर संविधान दिवस मनाया.

उप राज्यपाल के सलाहकार फारूक खान, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम, प्रशासनिक सचिव और सिविल सचिवालय के अधिकारी इस अवसर पर मौजूद रहे.

पढ़ें - जम्मू-कश्मीर : पुलवामा एनकाउंटर में हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकी ढेर

पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य का 1957 से पहले तक अपना अलग संविधान था, लेकिन केंद्र के इसका विशेष दर्जा समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के पांच अगस्त के फैसले ने इस विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया.

केंद्र शासित प्रदेश में संविधान दिवस के अवसर पर आयुक्तों, विभाग प्रमुखों, पुलिस विभागों के प्रमुखों और सरकारी कार्यालयों समेत सभी संस्थाओं ने कार्यक्रम आयोजित किए.

श्रीनगर : संविधान अंगीकृत किए जाने के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर राज्य विधानसभाओं ने मंगलवार को विशेष सत्रों का आयोजन किया और नेताओं ने भीम राव अंबेडकर की प्रशंसा की. दूसरी ओर, विपक्ष ने संविधान के खतरे में होने का दावा किया.

पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य का अलग संविधान और विशेष दर्जा समाप्त करते हुए अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर ने संविधान दिवस के अवसर पर पहली बार कार्यक्रम आयोजित किए.

जम्मू-कश्मीर की विधान परिषद् में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. उप राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने संविधान की प्रस्तावना पढ़कर संविधान दिवस मनाया.

उप राज्यपाल के सलाहकार फारूक खान, मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम, प्रशासनिक सचिव और सिविल सचिवालय के अधिकारी इस अवसर पर मौजूद रहे.

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पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य का 1957 से पहले तक अपना अलग संविधान था, लेकिन केंद्र के इसका विशेष दर्जा समाप्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के पांच अगस्त के फैसले ने इस विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया.

केंद्र शासित प्रदेश में संविधान दिवस के अवसर पर आयुक्तों, विभाग प्रमुखों, पुलिस विभागों के प्रमुखों और सरकारी कार्यालयों समेत सभी संस्थाओं ने कार्यक्रम आयोजित किए.

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  • जम्मू-कश्मीर में पहली बार 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाएगा



जम्मू, 25 नवंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने और वर्ष 1957 से लागू राज्य संविधान भंग होने के बाद पहली बार 26 नंवबर को भारत का संविधान अंगीकार करने की 70वीं सालगिरह मनाएगा।



जम्मू-कश्मीर के सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त सचिव सुभाष सी छिब्बर ने सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा, ‘‘ संविधान निर्माताओं के योगदान के प्रति आभार प्रकट करने और इसमें शामिल उत्कृष्ट मूल्यों और नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस वर्ष संविधान स्वीकार करने की 70वीं सालगिरह है।’’



उन्होंने कहा, ‘‘सरकारी कार्यालय सहित सभी संस्थानों में सुबह 11 बजे संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा जाएगा और इसके बाद लोग मौलिक कर्तव्यों का अनुपालन करने की शपथ लेंगे।’’



आदेश के मुताबिक, ‘‘ मंडलायुक्त, जिला उपायुक्त, विभागों के प्रमुख, सभी पुलिस प्रतिष्ठान यह सुनिश्चित करें कि उनके सभी अधीनस्थ कार्यालय प्रस्तावना को पढ़े और मौलिक कर्तव्यों के अनुपालन की शपथ लें।’’



देशव्यापी अभियान के तहत नव गठित केंद्र शासित प्रदेश में भी मंगलवार को मौलिक कर्तव्यों को लेकर अभियान की शुरुआत होगी और इसका समापन अगले साल 14 अप्रैल को डॉ. भीम राव आंबेडकर की जयंती पर होगा।



गौरतलब है कि 26 नवंबर का ऐतिहासिक महत्व है। 1949 में इसी दिन भारत के संविधान को अंगीकार किया गया और 26 जनवरी 1950 को यह पूरी तरह से प्रभावी हुआ और देश गणतंत्र बना।


Conclusion:
Last Updated : Nov 26, 2019, 11:54 PM IST
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