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आईयूएमएल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, NPR व NCR पर रोक लगाने की मांग

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Published : Jan 16, 2020, 6:09 PM IST

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू करने के निर्देश पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की है. याचिका मे मांग की गई है कि जब तक कि याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तब तक एनआरसी और एनपीआर पर रोक लगाई जाए.

सुप्रीम कोर्ट ( फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ( फाइल फोटो)

नई दिल्ली : इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू करने के निर्देश पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की है. आईयूएमएल ने याचिका में पूछा है कि क्या एनआरसी और एनपीआर से संबंधित प्रक्रिया एक दूसरे से जुड़ी होंगी.

याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए एक विरोधाभासी बयान पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. दरअसल, पीएम मोदी ने अपने एक बयान में कहा था कि एनआरसी और एनपीआर एक ही हैं.

इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने 2014 में राज्यसभा में कहा था कि एनपीआर, एनआरसी के लिए पहला कदम है.

याचिका में अदालत से मांग की गई है कि जब तक याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है, तब तक एनआरसी और एनपीआर पर रोक लगाई जाए.

पढ़ें- CAA के खिलाफ केरल सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने से नाराज हुए राज्यपाल

दरअसल, आईयूएमएल ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं. इनमें से एक में सीएए पर रोक लगाने की मांग की गई है जबकि दूसरे में एनआरसी और एनपीआर पर.

गौरतलब है कि सीएए को चुनौती देने वाली याचिका पर इस माह 22 जनवरी को सुनवाई होनी है.

आईयूएमएल ने नागरिकता संशोधन विधेयक के संसद से पारित होने के बाद सबसे पहले इसके विरुद्ध याचिका दायर कर दी थी और इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी.

नई दिल्ली : इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू करने के निर्देश पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की है. आईयूएमएल ने याचिका में पूछा है कि क्या एनआरसी और एनपीआर से संबंधित प्रक्रिया एक दूसरे से जुड़ी होंगी.

याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए एक विरोधाभासी बयान पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. दरअसल, पीएम मोदी ने अपने एक बयान में कहा था कि एनआरसी और एनपीआर एक ही हैं.

इसके अलावा याचिका में कहा गया है कि राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने 2014 में राज्यसभा में कहा था कि एनपीआर, एनआरसी के लिए पहला कदम है.

याचिका में अदालत से मांग की गई है कि जब तक याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है, तब तक एनआरसी और एनपीआर पर रोक लगाई जाए.

पढ़ें- CAA के खिलाफ केरल सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने से नाराज हुए राज्यपाल

दरअसल, आईयूएमएल ने सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं. इनमें से एक में सीएए पर रोक लगाने की मांग की गई है जबकि दूसरे में एनआरसी और एनपीआर पर.

गौरतलब है कि सीएए को चुनौती देने वाली याचिका पर इस माह 22 जनवरी को सुनवाई होनी है.

आईयूएमएल ने नागरिकता संशोधन विधेयक के संसद से पारित होने के बाद सबसे पहले इसके विरुद्ध याचिका दायर कर दी थी और इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी.

Intro:The Indian Union Muslim League has moved to the Supreme Court today filing an application seeking directions from the apex court to the Central government to clearify if the National Register of Citizens(NRC) and National Population Register(NPR) are linked and if the NRC will be implemented across India.


Body:"Prime Minister have been giving contradictory statements on the NRC and its implementation across the country and its link to the National Population Register(NPR) exercise being carried out across tge country," reasoned the petition for
asking a clarification. It also cited MoS for Home ministry Kiren Rijju's speech in the Rajya Sabha in 2014 in which he said that NPR is the first step towards creation of NRC.

The petition asked the court to put on hold the NRC and NPR exercises till the petition is pending before the Supreme court.


Conclusion:IUML has filed two petitions in the Supreme court. One has seeked a stay on CAA operation and the other on NRC and NPR. Its petition challenging the CAA is supposed to be heard on 22nd January later this month.
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