ETV Bharat / bharat

'ड्रैगन' के तेवरों से अलर्ट हुए 'हिमवीर', 17 हजार फीट की उंचाई पर ले रहे कड़ी ट्रेनिंग

उत्तराखंड लिपुलेख बॉर्डर पर 10 -17 हजार फीट की ऊंचाई पर आईटीबीपी के हिमवीर भारतीय सीमाओं की दिन-रात निगरानी में डटे हुए हैं. युद्ध के हालातों से निपटने के लिए ये जवान विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भी कड़ी ट्रेनिंग ले रहे हैं.

itbp jawans
ड्रैगन' के तेवरों से अलर्ट हुए 'हिमवीर'
author img

By

Published : Jun 14, 2020, 11:08 PM IST

देहरादून : चीन सीमाओं पर भारत को लगातार आंख दिखा रहा है. जिससे निपटने के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी कमर कस ली है. चीनी घुसपैठ से देश की हिफाजत करने वाले आईटीबीपी के हिमवीर भी ड्रैगन से निपटने के लिए पूरी तरह अलर्ट हो गये हैं. भारत-चीन सीमा पर गुंजी से लेकर लिपुपास और ज्योलिंगकांग तक आईटीबीपी की सातवीं वाहिनी तैनात है.

ड्रैगन' के तेवरों से अलर्ट हुए 'हिमवीर'

10 हजार से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर आईटीबीपी के हिमवीर भारतीय सीमाओं की दिन-रात निगरानी में डटे हुए हैं. युद्ध के हालातों से निपटने के लिए ये जवान विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भी कड़ी ट्रेनिंग ले रहे हैं. आईटीबीपी ने यहां पुरुष जवानों के साथ ही महिला जवानों को भी तैनात किया है. यह महिला जवान भी दुश्मन का डटकर मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

पढ़ें-जांबाजों का ठिकाना है आईएमए देहरादून, देश-दुनिया को दिए हजारों सैन्य अफसर
उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के कारण भारत-चीन सीमा साल में लगभग 6 महीने पूरी तरह बर्फ से पटी रहती है. शून्य से 45 डिग्री नीचे के पारे में हाड़कंपा देने वाली सर्दी, खतरनाक ग्लेशियरों और अदृश्य प्राकृतिक खतरों के बीच आईटीबीपी के जवान और अधिकारी अपने सेवा काल का एक बड़ा हिस्सा यहां बिताते हैं. बॉर्डर के दूसरी तरफ पड़ोसी देश ताकतवर है. ऐसे में सुरक्षाबलों का सचेत रहना बेहद जरूरी है. जिसके लिए फोर्स को समय-समय पर अपडेट किया जाता है. कम ऑक्सीजन, अधिकतम ऊंचाई और चुनौतीपूर्ण मौसम के हालात में यहां दुश्मन पर नजर रखना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, इसीलिए आईटीबीपी के जवानों को हिमवीर भी कहा जाता है.

पढ़ें-नेपाल सीमा विवाद : पुष्प कमल बोले, भारत के साथ दुश्मनी के लिए नहीं हैं हम

उत्तराखंड लिपुलेख बॉर्डर पर तैनात आईटीबीपी की सातवीं वाहिनी के जवान सरहद की निगहबानी करने के साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की देख-रेख का जिम्मा भी संभालते हैं. यही नहीं आईटीबीपी उच्च हिमालयी इलाकों में फंसे पर्वतारोहियों के रेस्क्यू के लिए भी समय-समय पर अभियान चलाती रहती है. बॉर्डर पर द्वितीय रक्षा पंक्ति कहलाने वाले सीमा के नागरिकों को स्वास्थ्य व अन्य जरूरी सुविधाऐं भी यह मुहैया कराती है.

देहरादून : चीन सीमाओं पर भारत को लगातार आंख दिखा रहा है. जिससे निपटने के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी कमर कस ली है. चीनी घुसपैठ से देश की हिफाजत करने वाले आईटीबीपी के हिमवीर भी ड्रैगन से निपटने के लिए पूरी तरह अलर्ट हो गये हैं. भारत-चीन सीमा पर गुंजी से लेकर लिपुपास और ज्योलिंगकांग तक आईटीबीपी की सातवीं वाहिनी तैनात है.

ड्रैगन' के तेवरों से अलर्ट हुए 'हिमवीर'

10 हजार से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर आईटीबीपी के हिमवीर भारतीय सीमाओं की दिन-रात निगरानी में डटे हुए हैं. युद्ध के हालातों से निपटने के लिए ये जवान विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भी कड़ी ट्रेनिंग ले रहे हैं. आईटीबीपी ने यहां पुरुष जवानों के साथ ही महिला जवानों को भी तैनात किया है. यह महिला जवान भी दुश्मन का डटकर मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

पढ़ें-जांबाजों का ठिकाना है आईएमए देहरादून, देश-दुनिया को दिए हजारों सैन्य अफसर
उच्च हिमालयी क्षेत्र होने के कारण भारत-चीन सीमा साल में लगभग 6 महीने पूरी तरह बर्फ से पटी रहती है. शून्य से 45 डिग्री नीचे के पारे में हाड़कंपा देने वाली सर्दी, खतरनाक ग्लेशियरों और अदृश्य प्राकृतिक खतरों के बीच आईटीबीपी के जवान और अधिकारी अपने सेवा काल का एक बड़ा हिस्सा यहां बिताते हैं. बॉर्डर के दूसरी तरफ पड़ोसी देश ताकतवर है. ऐसे में सुरक्षाबलों का सचेत रहना बेहद जरूरी है. जिसके लिए फोर्स को समय-समय पर अपडेट किया जाता है. कम ऑक्सीजन, अधिकतम ऊंचाई और चुनौतीपूर्ण मौसम के हालात में यहां दुश्मन पर नजर रखना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, इसीलिए आईटीबीपी के जवानों को हिमवीर भी कहा जाता है.

पढ़ें-नेपाल सीमा विवाद : पुष्प कमल बोले, भारत के साथ दुश्मनी के लिए नहीं हैं हम

उत्तराखंड लिपुलेख बॉर्डर पर तैनात आईटीबीपी की सातवीं वाहिनी के जवान सरहद की निगहबानी करने के साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की देख-रेख का जिम्मा भी संभालते हैं. यही नहीं आईटीबीपी उच्च हिमालयी इलाकों में फंसे पर्वतारोहियों के रेस्क्यू के लिए भी समय-समय पर अभियान चलाती रहती है. बॉर्डर पर द्वितीय रक्षा पंक्ति कहलाने वाले सीमा के नागरिकों को स्वास्थ्य व अन्य जरूरी सुविधाऐं भी यह मुहैया कराती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.