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चंद्रयान-2 : 978 करोड़ रुपये की परियोजना, खत्म होगी अन्य देशों पर निर्भरता - इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन

चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही पूरे देशवासियों के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई है. यह इसरो की एक बेहद बड़ी उपलब्धि है. चंद्रयान-2 की अहमियत को लेकर विशेषज्ञ ने राय दी है. जानें ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने क्या कुछ कहा....

चंद्रयान-2
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Published : Jul 22, 2019, 5:28 PM IST

Updated : Jul 22, 2019, 8:04 PM IST

नई दिल्लीः पूरे भारतवर्ष के लिए आज बेहद ही खास दिन है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया और एक नया इतिहास रच दिया है. चंद्रयान-2 क्यों और कितना महत्वपूर्ण है, इसे लेकर ईटीवी भारत ने अंतरिक्ष मामलों के जानकार स्नेह केसरी से खास बातचीत की.

अंतरिक्ष मामलों के जानकार केसरी ने ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) को बधाईयां देते हुए कहा कि उन्होंने इतना बड़ा काम बड़ी ही आसानी से कर दिखाया.

चंद्रयान-2 पर एक्सपर्ट की राय, देखें वीडियो....

केसरी ने चंद्रयान-2 की उपलब्धियों पर बात करते हुए कहा कि, यह हमारे देश के इंजीनियर्स के लिए भी बहुत बड़ी उपलब्धि है. मात्र एक हफ्ते में उन्होंने सारी कमियों को दूर कर दिया, जो कि आसान बात नहीं है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान स्नेह केसरी ने कहा कि, चंद्रयान 2 कई मामलों में महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान 1 और मंगलयान के प्रक्षेपण के दौरान भी हमने साबित किया था कि कम खर्च में अहम काम किए जा सकते हैं.

केसरी ने कहा कि चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी पोल पर रिसर्च को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से भी अहम है. उन्होंने कहा कि, 2009 के बाद जब चंद्रयान-1 लॉन्च हुआ तो, हमने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी पाई थी.

आम लोगों के लिए यह मात्र एक सेटेलाइट है, जो स्पेस में भेजा जा रहा है, लेकिन आखिरकार इससे भारत को मिलेगा क्या? इसकी क्या उपलब्धियां होंगी साथ ही इसके क्या फायदे देखने को मिलेंगे, ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब में केसरी ने कहा कि, हमारा लॉच सबसे सस्ता है, जिसके लिए ISRO को ज्यादा परेशानी नहीं हुई.

पढ़ेंः चंद्रयान-2 : भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में लंबी छलांग, ISRO चीफ समेत दिग्गजों की मौजूदगी में हुआ प्रक्षेपण

वहीं अगर दूसरे देशों की बात की जाए तो वे अपने रॉकेट स्पेस में भेजने के लिए नासा के पास जाकर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करते हैं.

उन्होंने कहा कि भारत इन देशों के लिए जो अपने रॉकेट इतनी महंगी लागत पर लॉच करते हैं, इनके लिए बेहद ही अनुकूल स्थान है. जहां कम से कम खर्चे में उन्हें अपने पैसे की ज्यादा कीमत मिलती है.

उन्होंने कहा कि, इससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर काफी अच्छा असर पड़ता है. जिस तरह से हम तकनीकी तौर पर आगे बढ़ रहे हैं, हम चीन और रूस को भी टक्कर दे सकते हैं.

केसरी ने कहा कि, पश्चिमी देश हमारे वैज्ञानिकों का लोहा मान चुके हैं. आज भारत को किसी से भी मदद मांगने की जरूरत नहीं है.

आपको बता दें कि, स्नेह केसरी एस्ट्रोफाइल एजुकेशन सर्विसेज के CEO हैं. ये संस्था अंतरिक्ष मामलों के संबंध में शिक्षा का प्रसार करती है.

इससे पहले सोमवार दोपहर 2.43 बजे भारत ने चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया. आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसका प्रक्षेपण किया गया. इसके लगभग 16 मिनट के बाद चंद्रयान-2 अपनी कक्षा में स्थापित हो गया.

चंद्रयान दो को ले जाने वाले रॉकेट का नाम जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल - मार्क तृतीय (जीएसएलवी - एमके तृतीय) है. जीएसएलवी - एमके तृतीय 44 मीटर लंबा और लगभग 640 टन वजनी है. इसरो के वैज्ञानिकों ने इसका उपनाम बाहुबली फिल्म के सुपर हीरो के नाम पर बाहुबली रखा है.

नई दिल्लीः पूरे भारतवर्ष के लिए आज बेहद ही खास दिन है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया और एक नया इतिहास रच दिया है. चंद्रयान-2 क्यों और कितना महत्वपूर्ण है, इसे लेकर ईटीवी भारत ने अंतरिक्ष मामलों के जानकार स्नेह केसरी से खास बातचीत की.

अंतरिक्ष मामलों के जानकार केसरी ने ISRO (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) को बधाईयां देते हुए कहा कि उन्होंने इतना बड़ा काम बड़ी ही आसानी से कर दिखाया.

चंद्रयान-2 पर एक्सपर्ट की राय, देखें वीडियो....

केसरी ने चंद्रयान-2 की उपलब्धियों पर बात करते हुए कहा कि, यह हमारे देश के इंजीनियर्स के लिए भी बहुत बड़ी उपलब्धि है. मात्र एक हफ्ते में उन्होंने सारी कमियों को दूर कर दिया, जो कि आसान बात नहीं है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान स्नेह केसरी ने कहा कि, चंद्रयान 2 कई मामलों में महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान 1 और मंगलयान के प्रक्षेपण के दौरान भी हमने साबित किया था कि कम खर्च में अहम काम किए जा सकते हैं.

केसरी ने कहा कि चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी पोल पर रिसर्च को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से भी अहम है. उन्होंने कहा कि, 2009 के बाद जब चंद्रयान-1 लॉन्च हुआ तो, हमने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी पाई थी.

आम लोगों के लिए यह मात्र एक सेटेलाइट है, जो स्पेस में भेजा जा रहा है, लेकिन आखिरकार इससे भारत को मिलेगा क्या? इसकी क्या उपलब्धियां होंगी साथ ही इसके क्या फायदे देखने को मिलेंगे, ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब में केसरी ने कहा कि, हमारा लॉच सबसे सस्ता है, जिसके लिए ISRO को ज्यादा परेशानी नहीं हुई.

पढ़ेंः चंद्रयान-2 : भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में लंबी छलांग, ISRO चीफ समेत दिग्गजों की मौजूदगी में हुआ प्रक्षेपण

वहीं अगर दूसरे देशों की बात की जाए तो वे अपने रॉकेट स्पेस में भेजने के लिए नासा के पास जाकर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करते हैं.

उन्होंने कहा कि भारत इन देशों के लिए जो अपने रॉकेट इतनी महंगी लागत पर लॉच करते हैं, इनके लिए बेहद ही अनुकूल स्थान है. जहां कम से कम खर्चे में उन्हें अपने पैसे की ज्यादा कीमत मिलती है.

उन्होंने कहा कि, इससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर काफी अच्छा असर पड़ता है. जिस तरह से हम तकनीकी तौर पर आगे बढ़ रहे हैं, हम चीन और रूस को भी टक्कर दे सकते हैं.

केसरी ने कहा कि, पश्चिमी देश हमारे वैज्ञानिकों का लोहा मान चुके हैं. आज भारत को किसी से भी मदद मांगने की जरूरत नहीं है.

आपको बता दें कि, स्नेह केसरी एस्ट्रोफाइल एजुकेशन सर्विसेज के CEO हैं. ये संस्था अंतरिक्ष मामलों के संबंध में शिक्षा का प्रसार करती है.

इससे पहले सोमवार दोपहर 2.43 बजे भारत ने चंद्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया. आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसका प्रक्षेपण किया गया. इसके लगभग 16 मिनट के बाद चंद्रयान-2 अपनी कक्षा में स्थापित हो गया.

चंद्रयान दो को ले जाने वाले रॉकेट का नाम जियोसिंक्रोनाइज सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल - मार्क तृतीय (जीएसएलवी - एमके तृतीय) है. जीएसएलवी - एमके तृतीय 44 मीटर लंबा और लगभग 640 टन वजनी है. इसरो के वैज्ञानिकों ने इसका उपनाम बाहुबली फिल्म के सुपर हीरो के नाम पर बाहुबली रखा है.

Intro:Sneh Kesari, CEO Astrophile Education services and Expert talks to ETV Bharat on how this mission is so important for India.


Body:Sneh Kesari talks to ETV Bharat, full video interview.


Conclusion:
Last Updated : Jul 22, 2019, 8:04 PM IST
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