रुद्रपुर: उत्तराखंड कृषि के क्षेत्र के अलावा अब स्पेस टेक्नोलॉजी में भी प्रयोग किया जाएगा. इसको लेकर पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर साइन किया गया. अब कृषि वैज्ञानिक अपने क्षेत्र में शोध के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पाएंगे हैं.
इसरो सिर्फ चांद और मंगल पर ही सैटेलाइट नहीं छोड़ता. बल्कि समाज की भलाई के लिए भी काम करता है. इसरो के वैज्ञानिक अब जल्द ही कृषि वैज्ञानिकों के साथ शोध करते हुए दिखाई देंगे. वैज्ञानिक इसे कृषि के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम बता रहे हैं.
24 अगस्त को हुए करार के अनुसार दोनों ही संस्थान के वैज्ञानिक अपनी-अपनी टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते हुए कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे. कृषि वैज्ञानिकों को शोध के दौरान किसी भी तरह की सैटलाइट सहायता में इसरो उनकी पूरी मदद करेगा.
यही नहीं पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में शोध कर रहे छात्र और छात्राओं को इसरो के वैज्ञानिकों के साथ काम करने का मौका भी मिलेगा. इसके साथ-साथ इसरो के वैज्ञानिक अगर किसी भी फील्ड में पीएचडी करना चाहते है तो वह पंतनगर विश्वविद्यालय में विशेष प्रतिभागी बनकर कर सकते है. इस दौरान उनके शोध कार्य भी चलते रहेंगे.
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पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर अजीत नैन ने बताया कि इसरो और पंतनगर विश्वविद्यालय के बीच एक करार हुआ है. जल्द ही खेती के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाएगा. दोनों ही संस्थानों के वैज्ञानिक कृषि के क्षेत्र में नए-नए शोध कार्यों को अंजाम देंगे. जिससे कृषि के क्षेत्र में काफी हद तक सुधार किए जा सकते हैं.