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मौत का दूसरा नाम है खुफिया एजेंसी मोसाद, जानें क्यों है सुर्खियों में

ईरानी परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादे की तेहरान के पास हत्या कर दी गई. ईरान मोहसिन फखरीजादे की मौत के लिए मोसाद को जिम्मेदार बता रहा है, जिससे मोसाद एक बार फिर सुर्खियों में बना है.

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Published : Dec 3, 2020, 5:43 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 7:14 PM IST

हैदराबाद : ईरानी परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादे की तेहरान के पास हत्या कर दी गई. ईरान उनकी मौत के लिए इजरायल को दोषी ठहरा रहा है. इससे पहले भी मारे गए ईरानी वैज्ञानिकों को लेकर ईरान कहता रहा है कि उनको मोसाद द्वारा ही निशाना बनाया गया था. इतनी ही नहीं इजराइल में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दस्तावेजों की चोरी के पीछे मोसाद का भी हाथ माना जाता है.

मोसाद के नाम पर कई स्कैंडल

चाहे वह 1960 में एडोल्फ इस्हामन का अपहरण हो या 1972 के मूनिक (MUNIC) ओलंपिक में इजरायल के एथलीटों की मौत पर घातक प्रतिक्रिया, मोसाद का नाम कई स्कैंडल में शामिल रहा है.

यहां तक कि 2018 में मोसाद के जासूसों ने ईरान से अजरबैजान के माध्यम से ईरान की परमाणु अर्काइव को स्थानांतरित कर दिया और ईरानी की सिक्योरिटी सर्विस कुछ न कर सकी.

प्रभावी एजेंसी

मोसाद के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके निदेशक योसी कोहेन ने इजरायल और बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात और सूडान के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

मोसाद के निदेशक कोहेन अरब देशों के अपने समकक्षों के साथ बैठक करने गए थे.

इतना ही नहीं, देश में कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में मोसाद युद्धस्तर पर काम कर रहा है. इसके लिए मोसाद सक्रियता के साथ संपर्क ट्रेसिंग के माध्यम से संसाधन जुटाने से लेकर जासूसी तक कर रहा.

CIA के बाद सबसे बड़ी एजेंसी

कोहेन के नेतृत्व में मोसाद के बजट में लगातार वृद्धि हो रही है. अगस्त 2020 में स्टेट कॉम्पट्रोलर की एक रिपोर्ट में पाया गया कि एजेंसी का बजट 1.5 बिलियन पहुंच गया है. इसके साथ बजट और जासूसों की संख्या के मामले में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के बाद मोसाद सबसे बड़ी एजेंसी बन गई है.

मोसाद का उद्देश्य?

मोसाद का काम खुफ़िया जानकारी इकट्ठा करना, खुफिया ऑपरेशन करना और आतंकवाद से लड़ना है. किसी भी कानून में इसके उद्देश्य, भूमिका, मिशन, शक्ति और बजट की कोई जानकारी नहीं दी गई है.

इसे देश को संवैधानिक कानूनों से बाहर रखा गया है. इसलिए मोसाद को डीप स्टेट कहा जाता है.

इसका निदेशक देश के प्रधानमंत्री को पूरी तरह से जवाबदेह है. दुश्मनों पर हमला करने का काम मोसाद की ईकाइ मेतसदा की जिम्मेदारी है.

ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या

ईरान में मोसाद के नाम पर कई हत्याएं हुई हैं. फखरीजादे से पहले भी चार ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या की गई थी.

कण भौतिकी (Particle physics) के विशेषज्ञ मसूद अली मोहम्मदी को 2020 में ही रिमोट कंट्रोल बम द्वारा विस्फोट किया गया था.

इसी वर्ष परमाणु वैज्ञानिक माजिद शहरियार की उनकी कार में बम लगाकर हत्या कर दी गई थी.

पूर्व ईरानी परमाणु प्रमुख फरीदुन अब्बासी पर भी हमला हुआ था, लेकिन वह बच गए थे.

2011 में हथियारबंद मोटर साइकिल चालकों ने दारूश रेजानेजद की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके एक साल बाद ही ईरान के यूरेनियन एनरिचमेंट सेंटर के उप प्रमुख मुस्तफा अहमदी रोशन को मोसाद की हत्या कर दी थी.

क्यों स्थापित किया गया था मोसाद ?

पूर्व प्रधानमंत्री डेविड बेन-गुरियन की सलाह पर 13 दिसंबर, 1949 को मोसाद की स्थापना की गई थी. वह एक केंद्रीय इकाई का निर्माण चाहते थे, जो मौजूदा सुरक्षा सेवाओं - सैन्य खुफिया विभाग, आंतरिक सुरक्षा सेवा और विदेश नीति विभाग के साथ समन्वय और सहयोग को मजबूत करे.

मार्च 1951 में उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में शामिल किया गया और जिम्मेदारी प्रधानमंत्री को हस्तांतरित कर दी गई.

लाइमलाइट में मोसाद

मोसाद की गतिविधियां किसी भी प्रत्यक्ष अर्थ में जनता के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. इसलिए वह लाइमलाइट से हमेशा दूर रहती है. यह एजेंसी अपनी गतिविधियों को लेकर केवल प्रधानमंत्री को जवाबदेह है. नेतन्याहू की 2018 की घोषणा के तुरंत बाद इजरायल ने तेहरान के पास एक ईरान के गुप्त परमाणु संग्रह का अधिग्रहण किया था. प्रमुख हिब्रू-भाषा मीडिया ने यह बताया कि गुमनाम स्रोतों ने उन्हें पुष्टि की थी कि कोहेन स्वयं व्यक्तिगत रूप से साहसी ऑपरेशन की देखरेख कर रहे थे.

इजराइल ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए आवश्यक वेंटिलेटर और मास्क सहित अन्य उपकरणों को लाने के लिए रणनीति बनाने का कार्य मोसाद की ही सौंपा था.

मोसाद की गतिविधियां किसी भी प्रत्यक्ष अर्थ में जनता के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. इसकी गतिविधियों को सत्यापित या समालोचना करने का कोई तरीका नहीं है. संगठन नेतन्याहू को जवाब देता है, इसलिए अपनी सफलताओं का श्रेय साझा करने की आवश्यकता नहीं है.

हैदराबाद : ईरानी परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादे की तेहरान के पास हत्या कर दी गई. ईरान उनकी मौत के लिए इजरायल को दोषी ठहरा रहा है. इससे पहले भी मारे गए ईरानी वैज्ञानिकों को लेकर ईरान कहता रहा है कि उनको मोसाद द्वारा ही निशाना बनाया गया था. इतनी ही नहीं इजराइल में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर दस्तावेजों की चोरी के पीछे मोसाद का भी हाथ माना जाता है.

मोसाद के नाम पर कई स्कैंडल

चाहे वह 1960 में एडोल्फ इस्हामन का अपहरण हो या 1972 के मूनिक (MUNIC) ओलंपिक में इजरायल के एथलीटों की मौत पर घातक प्रतिक्रिया, मोसाद का नाम कई स्कैंडल में शामिल रहा है.

यहां तक कि 2018 में मोसाद के जासूसों ने ईरान से अजरबैजान के माध्यम से ईरान की परमाणु अर्काइव को स्थानांतरित कर दिया और ईरानी की सिक्योरिटी सर्विस कुछ न कर सकी.

प्रभावी एजेंसी

मोसाद के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके निदेशक योसी कोहेन ने इजरायल और बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात और सूडान के साथ बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

मोसाद के निदेशक कोहेन अरब देशों के अपने समकक्षों के साथ बैठक करने गए थे.

इतना ही नहीं, देश में कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में मोसाद युद्धस्तर पर काम कर रहा है. इसके लिए मोसाद सक्रियता के साथ संपर्क ट्रेसिंग के माध्यम से संसाधन जुटाने से लेकर जासूसी तक कर रहा.

CIA के बाद सबसे बड़ी एजेंसी

कोहेन के नेतृत्व में मोसाद के बजट में लगातार वृद्धि हो रही है. अगस्त 2020 में स्टेट कॉम्पट्रोलर की एक रिपोर्ट में पाया गया कि एजेंसी का बजट 1.5 बिलियन पहुंच गया है. इसके साथ बजट और जासूसों की संख्या के मामले में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के बाद मोसाद सबसे बड़ी एजेंसी बन गई है.

मोसाद का उद्देश्य?

मोसाद का काम खुफ़िया जानकारी इकट्ठा करना, खुफिया ऑपरेशन करना और आतंकवाद से लड़ना है. किसी भी कानून में इसके उद्देश्य, भूमिका, मिशन, शक्ति और बजट की कोई जानकारी नहीं दी गई है.

इसे देश को संवैधानिक कानूनों से बाहर रखा गया है. इसलिए मोसाद को डीप स्टेट कहा जाता है.

इसका निदेशक देश के प्रधानमंत्री को पूरी तरह से जवाबदेह है. दुश्मनों पर हमला करने का काम मोसाद की ईकाइ मेतसदा की जिम्मेदारी है.

ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या

ईरान में मोसाद के नाम पर कई हत्याएं हुई हैं. फखरीजादे से पहले भी चार ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या की गई थी.

कण भौतिकी (Particle physics) के विशेषज्ञ मसूद अली मोहम्मदी को 2020 में ही रिमोट कंट्रोल बम द्वारा विस्फोट किया गया था.

इसी वर्ष परमाणु वैज्ञानिक माजिद शहरियार की उनकी कार में बम लगाकर हत्या कर दी गई थी.

पूर्व ईरानी परमाणु प्रमुख फरीदुन अब्बासी पर भी हमला हुआ था, लेकिन वह बच गए थे.

2011 में हथियारबंद मोटर साइकिल चालकों ने दारूश रेजानेजद की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके एक साल बाद ही ईरान के यूरेनियन एनरिचमेंट सेंटर के उप प्रमुख मुस्तफा अहमदी रोशन को मोसाद की हत्या कर दी थी.

क्यों स्थापित किया गया था मोसाद ?

पूर्व प्रधानमंत्री डेविड बेन-गुरियन की सलाह पर 13 दिसंबर, 1949 को मोसाद की स्थापना की गई थी. वह एक केंद्रीय इकाई का निर्माण चाहते थे, जो मौजूदा सुरक्षा सेवाओं - सैन्य खुफिया विभाग, आंतरिक सुरक्षा सेवा और विदेश नीति विभाग के साथ समन्वय और सहयोग को मजबूत करे.

मार्च 1951 में उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में शामिल किया गया और जिम्मेदारी प्रधानमंत्री को हस्तांतरित कर दी गई.

लाइमलाइट में मोसाद

मोसाद की गतिविधियां किसी भी प्रत्यक्ष अर्थ में जनता के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. इसलिए वह लाइमलाइट से हमेशा दूर रहती है. यह एजेंसी अपनी गतिविधियों को लेकर केवल प्रधानमंत्री को जवाबदेह है. नेतन्याहू की 2018 की घोषणा के तुरंत बाद इजरायल ने तेहरान के पास एक ईरान के गुप्त परमाणु संग्रह का अधिग्रहण किया था. प्रमुख हिब्रू-भाषा मीडिया ने यह बताया कि गुमनाम स्रोतों ने उन्हें पुष्टि की थी कि कोहेन स्वयं व्यक्तिगत रूप से साहसी ऑपरेशन की देखरेख कर रहे थे.

इजराइल ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए आवश्यक वेंटिलेटर और मास्क सहित अन्य उपकरणों को लाने के लिए रणनीति बनाने का कार्य मोसाद की ही सौंपा था.

मोसाद की गतिविधियां किसी भी प्रत्यक्ष अर्थ में जनता के प्रति जवाबदेह नहीं हैं. इसकी गतिविधियों को सत्यापित या समालोचना करने का कोई तरीका नहीं है. संगठन नेतन्याहू को जवाब देता है, इसलिए अपनी सफलताओं का श्रेय साझा करने की आवश्यकता नहीं है.

Last Updated : Dec 3, 2020, 7:14 PM IST
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