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केरल : रतीश ने बनाया कुडल मणिक्यम मंदिर का आकर्षक लघुचित्र

कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉकडाउन से केरल के कुडल मणिक्यम मंदिर में मनाया जाने वाला उत्सव स्थगित कर दिया गया है. इस दौरान मंदर के उत्सव के आयोजनकर्ता रतीश ने मंदिर का मनमोहक लघुचित्र बनाया है. पढ़ें विस्तार से...

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Published : Apr 30, 2020, 7:48 PM IST

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कुंडल मणिक्यम मंदिर का लघुचित्र

त्रिवेंद्रम : मध्य केरल के सभी मंदिरों में त्योहारों का अंत हो गया है. त्रिशूर पूरम की परिणति से चिह्नित होता है. यकीनन यह केरल का सबसे लोकप्रिय मंदिर त्योहार है.

त्रिशूर में हर साल इरिंगलाकुडा श्री कुडाल मणिक्यम मंदिर में दस दिवसीय उत्सव की शुरुआत, त्यौहार के झंडे को फहरा कर होती है.

पूरा देश कोरोना महामारी से पूरी तरह से जूझ रहा है, इसलिए त्योहार के दौरान होने वाले समारोहों को भी 'बंद' कर दिया गया है ताकि भीड़ इकठ्ठा न हो.

गांधीग्राम के मूल निवासी इलमबालकट्टिल रतीश उन्नी ने इस दौरान श्री कुडाल मणिक्यम मंदिर का लघुचित्र बनाने के अपने सपने सपने पर काम करने और इसे बनाने का फैसला किया.

रतीश अपने बचपन से ही हर साल बिना किसी चूक के लगातार कुडल मणिक्यम मंदिर उत्सवों को भव्यता से करवा रहे हैं.

इस बार कोरोना की वजह से उत्सव नहीं हो सका तो रतीश ने त्योहार के दौरान मंदिर के मॉडल की का लकड़ी से लघुचित्र बनाने का फैसला किया. जिसे उन्होंने लगभग एक महीने बाद पूरा कर लिया है और यह अद्भु है.

कुंडल मणिक्यम भारत मंदिर, इरिंजालकुडा में चार एकड़ भूमि में फैला हुआ. यह मंदिर अपने रीति-रिवाजों और इसकी भव्य मूर्तियों के लिए भारत के मंदिरों के बीच एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है.

कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से मंदिर के उत्सव को स्थगित कर दिया गया, जिससे रतीश उन्नी को मंदिर के मॉडल पर काम करने के लिए पर्याप्त समय मिल गया.

वह उत्सव से एक दृश्य को लकड़ी से लघुदृश्य बनाने मेें जुटे रहे, जहां सुशोभित हाथी चेंबदा ताल (मंदिर में बजने वाली धून की लय) बजाने वालो के साथ कुलिपिनी तीर्थम (मंदिर के किनारे का पवित्र तलाब) के किनारे से लय में एक साथ आगे बढ़ते हैं.

पढ़ें-गृह मंत्रालय ने दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को दी घर जाने की अनुमति

उनके लघु चित्र मे कोई भी मंदिर में मछलियों को 'कुलिपिनी थीर्थम' में तैरते हुए देख सकता है. जिससे रतीश के शानदार मॉडल को जीवंतता मिलती है.

मंदिर का लघु मॉडल सागौन की लकड़ी में बनाया गया है. यह 8 फीट लंबा और 5.5 फीट चौड़ा है. रतीश ने मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति भी बनाई है.

कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए रतीश के पूर्वज सदियों पहले पलक्कड़ से स्थानांतरित हो गए थे. काम पूरा करने के लिए उन्हें मंदिर के स्वामित्व वाली भूमि की सुविधा दी गई थी.

रतीश उन्नी ने पहले कई चीजों के लघु रूप बनाए हैं, जिनमें एक लॉरी, एक जीप और एक बुलेट शामिल हैं और ये सबको मोहित कर रहे हैं.

त्रिवेंद्रम : मध्य केरल के सभी मंदिरों में त्योहारों का अंत हो गया है. त्रिशूर पूरम की परिणति से चिह्नित होता है. यकीनन यह केरल का सबसे लोकप्रिय मंदिर त्योहार है.

त्रिशूर में हर साल इरिंगलाकुडा श्री कुडाल मणिक्यम मंदिर में दस दिवसीय उत्सव की शुरुआत, त्यौहार के झंडे को फहरा कर होती है.

पूरा देश कोरोना महामारी से पूरी तरह से जूझ रहा है, इसलिए त्योहार के दौरान होने वाले समारोहों को भी 'बंद' कर दिया गया है ताकि भीड़ इकठ्ठा न हो.

गांधीग्राम के मूल निवासी इलमबालकट्टिल रतीश उन्नी ने इस दौरान श्री कुडाल मणिक्यम मंदिर का लघुचित्र बनाने के अपने सपने सपने पर काम करने और इसे बनाने का फैसला किया.

रतीश अपने बचपन से ही हर साल बिना किसी चूक के लगातार कुडल मणिक्यम मंदिर उत्सवों को भव्यता से करवा रहे हैं.

इस बार कोरोना की वजह से उत्सव नहीं हो सका तो रतीश ने त्योहार के दौरान मंदिर के मॉडल की का लकड़ी से लघुचित्र बनाने का फैसला किया. जिसे उन्होंने लगभग एक महीने बाद पूरा कर लिया है और यह अद्भु है.

कुंडल मणिक्यम भारत मंदिर, इरिंजालकुडा में चार एकड़ भूमि में फैला हुआ. यह मंदिर अपने रीति-रिवाजों और इसकी भव्य मूर्तियों के लिए भारत के मंदिरों के बीच एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है.

कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से मंदिर के उत्सव को स्थगित कर दिया गया, जिससे रतीश उन्नी को मंदिर के मॉडल पर काम करने के लिए पर्याप्त समय मिल गया.

वह उत्सव से एक दृश्य को लकड़ी से लघुदृश्य बनाने मेें जुटे रहे, जहां सुशोभित हाथी चेंबदा ताल (मंदिर में बजने वाली धून की लय) बजाने वालो के साथ कुलिपिनी तीर्थम (मंदिर के किनारे का पवित्र तलाब) के किनारे से लय में एक साथ आगे बढ़ते हैं.

पढ़ें-गृह मंत्रालय ने दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को दी घर जाने की अनुमति

उनके लघु चित्र मे कोई भी मंदिर में मछलियों को 'कुलिपिनी थीर्थम' में तैरते हुए देख सकता है. जिससे रतीश के शानदार मॉडल को जीवंतता मिलती है.

मंदिर का लघु मॉडल सागौन की लकड़ी में बनाया गया है. यह 8 फीट लंबा और 5.5 फीट चौड़ा है. रतीश ने मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति भी बनाई है.

कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए रतीश के पूर्वज सदियों पहले पलक्कड़ से स्थानांतरित हो गए थे. काम पूरा करने के लिए उन्हें मंदिर के स्वामित्व वाली भूमि की सुविधा दी गई थी.

रतीश उन्नी ने पहले कई चीजों के लघु रूप बनाए हैं, जिनमें एक लॉरी, एक जीप और एक बुलेट शामिल हैं और ये सबको मोहित कर रहे हैं.

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