हैदराबाद : ईरान के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा है कि कोरोना महामारी और ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों ने भारत और ईरान के बीच संबंधों को अस्थाई रूप से प्रभावित किया है, जबकि दोनों देश अपनी दीर्घकालिक आपसी समझ और सहयोग के लिए गहराई से प्रतिबद्ध थे.
हैदराबाद में ईरान के काउंसल जनरल मोहम्मद हागबीन गोमी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज किया कि चाबहार बंदरगाह और जाहिदान के बीच रेलवे परियोजना में चीनी निवेश के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए भारत को इससे अगल किया गया.
उन्होंने कहा कि चाबहार पर बुनियादी ढांचे और बंदरगाह सुविधाओं को विकसित करने के लिए 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की भारत की प्रतिबद्धता बरकरार है और इस समझौते के बारे में अनभिज्ञ मीडिया द्वारा गलत सूचनाएं प्रचारित की गईं. उन्होंने कहा, 'दोनों देशों के अधिकारियों या सरकारों की तरफ से कोई नकारात्मक रिपोर्ट नहीं है.'
ईरानी राजनयिक ने कहा कि चीन ने चाबहार में भारत का स्थान नहीं लिया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ईरान खुद परियोजना पर निवेश कर रहा है और चीनी निवेश के बारे में खबरें सच नहीं थीं.
हागबीन गोमी ने कहा, 'भारत के प्रस्ताव को खारिज नहीं किया गया है. भारत बंदरगाह सुविधाएं विकसित करने के लिए निवेश करने का इच्छुक है. इस तरह के समझौतों को शुरू करने में काफी समय लगता है.
उन्होंने कहा कि भारत और ईरान के बीच संबंध विभिन्न देशों के साथ उनके निजी संबंधों से स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा, 'यह गलत धारणा है कि लद्दाख (चीनी घुसपैठ) की घटनाओं ने भारत और ईरान के बीच संबंधों को प्रभावित किया है.'
साथ ही उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे (अनुच्छेद 370) को खत्म करना भारत का आंतरिक मामला है.
गोमी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान, भारत और ईरान ने अपने नागरिकों की सुरक्षा और यात्रा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम किया. ईरान से लगभग 2,000 छात्रों को वापस लाया गया है.
विदेशी छात्रों की परीक्षा
उन्होंने भारतीय अधिकारियों से भारत के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे ईरानी छात्रों के लिए एक समाधान निकालने का अनुरोध किया. गोमी ने कहा, 'भारतीय विश्वविद्यालयों ने परीक्षा का कार्यक्रम जारी कर दिया है, लेकिन हमारे छात्रों को दूतावास द्वारा वीजा नहीं दिया जा रहा है. इसलिए परीक्षा कार्यक्रम में या तो बदलाव किया जाना चाहिए या ईरानी छात्रों को ऑनलाइन परीक्षा के लिए विकल्प दिया जाना चाहिए.'
गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश के सभी विश्वविद्यालयों को 30 सितंबर तक अंतिम सेमेस्टर की सभी परीक्षाएं आयोजित करने के लिए कहा है. इसके मद्देनजर ईरानी राजनयिक का यह अनुरोध आया है.
सुप्रीम कोर्ट ने भी यूजीसी के अंतिम वर्ष की परीक्षा दिए गए बगैर छात्रों को प्रमोट नहीं करने के फैसले का समर्थन किया है. हालांकि, शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों को समय सीमा के विस्तार के लिए यूजीसी से संपर्क करने का सुझाव दिया है.
यूजीसी का यह निर्देश भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्रों पर लागू नहीं होता है. इनमें से अधिकांश छात्र, जिनमें ईरानी भी शामिल हैं, कोरोना प्रकोप के बाद अपने देशों के लिए रवाना हो गए हैं. गोमी ने कहा कि अधिकांश ईरानी छात्र दक्षिण भारत के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करते थे.
मुहर्रम पर राजयनिक का बयान
गोमी ने इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम के दौरान विविध भारतीय परंपराओं की सराहना की और यह सुनिश्चित किया कि कोरोना पूरी तरह से नियंत्रित होने के बाद दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान फिर से शुरू होगा. उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार मुहर्रम शोक सभा (मजलिस) होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई ने संबंधित समिति द्वारा जारी कोविद के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए एक उदाहरण प्रस्तुत किया है. उन्होंने कहा कि मानव जीवन की सुरक्षा सर्वोपरि है और वास्तव में इमाम हुसैन के बलिदान का सार है.
(खुर्शीद वानी)