शिमला : लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच सोमवार की रात हुई हिंसक झड़प में हिमाचल प्रदेश का भी एक जवान शहीद हो गया. चीन को भी इस झड़प में खासा नुकसान हुआ है. इस विषय पर ईटीवी भारत हिमाचल ने 'करगिल के हीरो' रहे रिटायर्ड ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर से खास बातचीत की.
सवाल : इस घटना पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?
जवाब : सीमा पर हुई यह घटना बहुत दुखद है. इसमें हमारे एक अधिकारी सहित 20 जवान शहीद हुए हैं. इन वीर सपूतों को हम नमन करते हैं. इनके परिवार के साथ हमारी संवेदना है. चीन एक तरफ चोरी के साथ सीना जोरी करता है. चीन हर साल एलएसी में घुसकर टैंट लगाकर कब्जा करने की कोशिश करता है. चीन ने हमेशा द्विपक्षीय संधियों का उल्ंलघन किया है, लेकिन इस बार चीन ने सारी हदें पार कर दी हैं. छह जून को डी एस्कलेशन की कार्रवाई दोनों तरफ से करने का फैसला लिया गया था, लेकिन वादा करने के बाद भी चीन पैट्रोल प्वाइंट 14 से पीछे नहीं हटा. हमारे जवानों पर कातिलाना हमला करके उन्होंने ये कायर हरकत की है. चीन को इस हरकत का करारा जवाब मिलेगा.
सवाल : चीन पर भरोसा नहीं करना चाहिए, चीन हमेशा धोखा देता है. चार दशक बाद खून बहा, टकराव पहले भी हुए हैं, लेकिन इस बार हालात कैसे बिगड़े?
जवाब : हमारा मेन हाइवे लेह से श्योक रिवर के साथ-साथ पीवीओ को जाता है. पीपी-14 पर डलवान और श्योक नदी मिलती है. यह बहुत स्ट्रेटेजिकल प्वाइंट हैं. चीन ने यहां पर अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया है. हम भी एलएएसी तक पहुंच सकें इसके लिए हमने भी अपने इलाके का निर्माण शुरू किया था. चीन को यह बात हजम नहीं हो रही है. चीन ने यहां अड़ंगा लगाना शुरू कर दिया. हमने चीन का विरोध किया था. चीन ने भी इसके बाद माना कि वो पीछे हटेगा, लेकिन चीन पीछे नहीं हटा. जब जवान चीनी सैनिकों को देखने के लिए वहां गए तो हमारे सैनिकों पर हमला किया गया.
सवाल : चीन के प्रमुख और भारत के पीएम लगातार मुलाकात करते रहे. यही कारण है कि इतने सालों से एलएसी पर गोली नहीं चली, लेकिन चार दशक सालों बाद इतना रक्त पात हुआ इसका क्या कारण हैं. क्या चीन घरेलू समस्याओं से ग्रस्त हैं?
जवाब : जितनी भी संधियां हुईं हैं खासकर 1993 की संधि का उल्लंघन चीन ने किया है. चीन को असल दिक्कत भारत की सड़क निर्माण समेत हेलिपैड निर्माण से है. 1993 की संधि के मुताबिक पैट्रोलिंग अपनी सीमा-सीमा में होगी. छोटी मोटी समस्याओं को बातचीत से सुलझाएंगे. फ्लैग मीटिंग होंगी. हथियारों का इस्तेमाल नहीं होगा, लेकिन चीन की नीयत में खोट है. चीन को पीछे नहीं हटना था. वो पहले से ही तैयारी किए हुए था. चीन ने लड़ाई का साजो सामान पहले से ही तैयार था.
सवाल : क्या हमसे कुछ रणनीतिक चूक हुई है. हम ज्यादा भरोसे में रहे गए?
जवाब : भारतीय सेना 1962 की सेना नहीं. साजो सामान में बहुत डेवलपमेंट हुई है. इस घटना से हमे साफ कर देना चाहिए कि भारतीय सीमा में इन्फास्ट्रक्चर डेवलमेंट का काम नहीं रुकेगा. एलएएसी में चीन को उल्लंघन किसी भी सूरत में नहीं करने दिया जाएगा.
सवाल : हिंदुस्तान का खून उबल रहा है. लोग गुस्से में हैं. जैसे भारत ने उड़ी के बाद बालाकोट हुआ. एयर स्ट्राइक हुई. आगे क्या रास्ता होगा?
जवाब : अभी डिप्लोमेटिक, राजीनितक, आर्मी लेवल पर भी पूरी उम्मीद है कि सेना को पूरी छूट मिली है. ठीक समय पर सही जवाब दिया जाएगा और शहादत का बदला लिया जाएगा.
सवाल : क्या आर्थिक मोर्चे पर चीन को चोट दी जा सकती है?
जवाब : आज चीन कोरोना की वजह से अलग-थलग पड़ गया है, हमे इसका फायदा उठाना चाहिए. चीन के साथ हमारी आयात-निर्यात की क्या पॉलिसी है. इसको ध्यान में रखकर कार्रवाई की जा सकती है. पूरी उम्मीद है सरकार पूरी बातों को संज्ञान लेगी.
सवाल : किस तरह की स्थितियां एलएएसी पर हैं अभी. सरकार की तरफ बहुत कम बताया जा रहा है छुपाया ज्यादा जा रहा है?
जवाब : जनता का इमोश्नल एंगल समझा जा सकता है. 18 हजार फीट पर यह घटना हुई है. तापमान जीरो है. यहां से सूचनाएं एकत्रित करने में समय लगता है. उसको लोगों को सामने लाने में समय लगता है. इसकी वजह से शायद यह देरी हुई है. भारत के लोग हमेशा सेना और सरकार के साथ खड़े रहे हैं.
सवाल : हमने अपने साथ हुई घटना को स्वीकार किया है. लेकिन चीन स्वीकार नहीं कर रहा है. गलवान में हुए नुकसान को चीन नहीं मान रहा है. यह नहीं बता रहै कि कितने सैनिक मरे हैं. क्या चीन अपने सैनिकों की शहदात का सम्मान नहीं कर रहा है?
जवाब : मीडिया के मुताबिक 40-45 लोग मारे गए हैं. अभी यह कहना मुश्किल है कि चीन का कितना नुकसान हुआ है. जरूर उनका नुकसान हुआ है. चीन की सरकार सूचनाओं और मीडिया को नियंत्रण करती है, मुझे नहीं लगता की सूचनाएं इतनी आसानी से बाहर नहीं आएंगी.
यह भी पढ़ें- पूर्व राजदूत बोले- हिंसक झड़प एक चेतावनी, एलएसी का पुष्टिकरण करने की जरूरत
सवाल : किन्नौर और लौहल स्पीति चीन की सीमा से लगते क्षेत्र हैं. यहां क्या तैयारी है?
जवाब : यहां पर भी अप्रेल मई से ही सख्ती और चौकसी कर दी गई है, लेकिन इस्टर्न लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल की तरफ दबाव की स्थिति ज्यादा है. हिमाचल की सीमा पर अभी कोई हलचल नहीं है.