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देश की ताकत और शान का प्रतीक है बाघ, जरूरी है संरक्षण

बाघों की लुप्त होतीं प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. साल 2015 से 2018 के बीच बड़ी संख्या में बाघों की मौत हुई थी. इसलिए बाघों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और उनके संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. बाघों की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 526 बाघ हैं. इसके बाद कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में 442 बाघ हैं.

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देश की ताकत और शान का प्रतीक है बाघ
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Published : Jul 29, 2020, 4:58 PM IST

Updated : Jul 29, 2020, 8:32 PM IST

हैदराबाद : 29 जुलाई को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाता है. इस दिन को बाघों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए मनाया जाता है. बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है. इसे देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में चिंता की बात यह है कि बाघों को वन्यजीवों की लुप्त होती प्रजाति में सूचीबद्ध किया गया है. लेकिन इसके बीच एक राहत भरी खबर यह भी है कि देश में कई अभियानों के चलते बाघों की संख्या बढ़ी भी है.

हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी बाघ की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में 50 टाइगर रिजर्व हैं. वहीं वैश्विक भूमि का सिर्फ 2.5 फीसदी, चार फीसदी वर्षा और विश्व की आबादी का 16 फीसदी होने के बावजूद भारत वैश्विक जैव विविधता के मामले में अग्रणी है. दुनिया की 70 फीसदी बाघ की आबादी भारत में है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

बाघों की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 526 बाघ हैं. इसके बाद कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में 442 बाघ हैं.

13 बाघ रेंज देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प लिया है. इन देशों में भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं.

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जानें, आखिर क्यों कम हो रही है बाघों की संख्या.

मंत्रालय ने यह भी कहा कि बाघ संरक्षण में भारत का योगदान इतना आकर्षक है कि इस रिपोर्ट को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस
बाघों की लुप्त होतीं प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. साल 2015 से 2018 के बीच बड़ी संख्या में बाघों की मौत हुई थी. इसलिए बाघों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और उनके संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है.

नवीनतम जनगणना रिपोर्ट :-

  • भारत में रॉयल बंगाल टाइगर की कुल आबादी 2,967 है.
  • मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में बाघों की संख्या 300 से ज्यादा है.
  • चार राज्यों- तमिलनाडु, केरल असम और उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या 150 से ज्यादा है.
  • 2006 की तुलना में बाघों की जनसंख्या में 100 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी वाले कुल आठ राज्य हैं.
  • मध्य प्रदेश भारत का टाइगर स्टेट बन चुका है.
  • बक्सा, डम्पा और पलामू टाइगर रिजर्व में अब एक भी बाघ नहीं है.
  • मिजोरम राज्य में कोई बाघ नहीं.
  • मध्य प्रदेश में पेंच नेशनल पार्क और केरल में पेरियार नेशनल पार्क भारत में शीर्ष रेटेड टाइगर रिजर्व हैं.

बंगाल टाइगर की हुई थी मौत
हाल ही में नेहरू प्राणी उद्यान (एनजेडपी) में रॉयल बंगाल टाइगर की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. 11 वर्षीय नर बाघ का नाम कदम्बा था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया था. जानवर की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी.

इस बाघ को जानवरों के आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत मार्च 2014 में कर्नाटक के मेंगलुरू के पिलुकुला जैविक उद्यान से नेहरू उद्यान लाया गया था.

चिड़ियाघर में नौ रॉयल बंगाल टाइगर (सफेद) वयस्क भी हैं.

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ

बाघों की संख्या मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा है. राज्य में कुल छह टाइगर रिजर्व हैं.

  • पेंच टाइगर रिजर्व
  • बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व
  • कान्हा टाइगर रिजर्व
  • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
  • संजय-डुबरी टाइगर रिजर्व
  • पन्ना टाइगर रिजर्व

बाघों का शिकार - बड़ी चुनौती
बाघ एक ऐसा जानवर है, जिसका बड़ी संख्या में शिकार किया जाता है. एक वक्त था, जब बाघों की संख्या न केवल भारत, बल्कि पड़ोसी देशों में भी अच्छी खासी हुआ करती थी. लेकिन अब बाघों के अवैध शिकार के चलते इनकी संख्या में कमी आई है.

बाघों के संरक्षण का नेतृत्व करेगा भारत
पूरी दुनिया के 70 फीसदी बाघों की संख्या के साथ भारत आज बाघ श्रेणी (tiger range) के देशों के साथ मिलकर बाघों के संरक्षण में विश्व का नेतृत्व करने के लिए तैयार है. बता दें कि इस बात की जानकारी हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने बाघों की जनगणना रिपोर्ट के जरिए दी.

हैदराबाद : 29 जुलाई को पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाता है. इस दिन को बाघों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए मनाया जाता है. बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है. इसे देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में चिंता की बात यह है कि बाघों को वन्यजीवों की लुप्त होती प्रजाति में सूचीबद्ध किया गया है. लेकिन इसके बीच एक राहत भरी खबर यह भी है कि देश में कई अभियानों के चलते बाघों की संख्या बढ़ी भी है.

हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी बाघ की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में 50 टाइगर रिजर्व हैं. वहीं वैश्विक भूमि का सिर्फ 2.5 फीसदी, चार फीसदी वर्षा और विश्व की आबादी का 16 फीसदी होने के बावजूद भारत वैश्विक जैव विविधता के मामले में अग्रणी है. दुनिया की 70 फीसदी बाघ की आबादी भारत में है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

बाघों की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 526 बाघ हैं. इसके बाद कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में 442 बाघ हैं.

13 बाघ रेंज देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का संकल्प लिया है. इन देशों में भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूस, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं.

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जानें, आखिर क्यों कम हो रही है बाघों की संख्या.

मंत्रालय ने यह भी कहा कि बाघ संरक्षण में भारत का योगदान इतना आकर्षक है कि इस रिपोर्ट को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस
बाघों की लुप्त होतीं प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. साल 2015 से 2018 के बीच बड़ी संख्या में बाघों की मौत हुई थी. इसलिए बाघों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने और उनके संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है.

नवीनतम जनगणना रिपोर्ट :-

  • भारत में रॉयल बंगाल टाइगर की कुल आबादी 2,967 है.
  • मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में बाघों की संख्या 300 से ज्यादा है.
  • चार राज्यों- तमिलनाडु, केरल असम और उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या 150 से ज्यादा है.
  • 2006 की तुलना में बाघों की जनसंख्या में 100 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी वाले कुल आठ राज्य हैं.
  • मध्य प्रदेश भारत का टाइगर स्टेट बन चुका है.
  • बक्सा, डम्पा और पलामू टाइगर रिजर्व में अब एक भी बाघ नहीं है.
  • मिजोरम राज्य में कोई बाघ नहीं.
  • मध्य प्रदेश में पेंच नेशनल पार्क और केरल में पेरियार नेशनल पार्क भारत में शीर्ष रेटेड टाइगर रिजर्व हैं.

बंगाल टाइगर की हुई थी मौत
हाल ही में नेहरू प्राणी उद्यान (एनजेडपी) में रॉयल बंगाल टाइगर की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. 11 वर्षीय नर बाघ का नाम कदम्बा था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया था. जानवर की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी.

इस बाघ को जानवरों के आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत मार्च 2014 में कर्नाटक के मेंगलुरू के पिलुकुला जैविक उद्यान से नेहरू उद्यान लाया गया था.

चिड़ियाघर में नौ रॉयल बंगाल टाइगर (सफेद) वयस्क भी हैं.

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ

बाघों की संख्या मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा है. राज्य में कुल छह टाइगर रिजर्व हैं.

  • पेंच टाइगर रिजर्व
  • बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व
  • कान्हा टाइगर रिजर्व
  • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
  • संजय-डुबरी टाइगर रिजर्व
  • पन्ना टाइगर रिजर्व

बाघों का शिकार - बड़ी चुनौती
बाघ एक ऐसा जानवर है, जिसका बड़ी संख्या में शिकार किया जाता है. एक वक्त था, जब बाघों की संख्या न केवल भारत, बल्कि पड़ोसी देशों में भी अच्छी खासी हुआ करती थी. लेकिन अब बाघों के अवैध शिकार के चलते इनकी संख्या में कमी आई है.

बाघों के संरक्षण का नेतृत्व करेगा भारत
पूरी दुनिया के 70 फीसदी बाघों की संख्या के साथ भारत आज बाघ श्रेणी (tiger range) के देशों के साथ मिलकर बाघों के संरक्षण में विश्व का नेतृत्व करने के लिए तैयार है. बता दें कि इस बात की जानकारी हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने बाघों की जनगणना रिपोर्ट के जरिए दी.

Last Updated : Jul 29, 2020, 8:32 PM IST
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