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अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस : 40 मिलियन से अधिक आधुनिक गुलामी के शिकार - अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस

2 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस मनाया जाता है. यह मानव स्वतंत्रता के प्रति जन जागरण अभियान है. दासता का अर्थ मनुष्य की बेबस स्थिति से है, जिसमें वह अपनी स्वतंत्रता का अधिकार खो देता है. मानव चेतना को जगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस मनाया जाता है.

अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस
अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस
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Published : Dec 2, 2020, 7:06 AM IST

Updated : Dec 2, 2020, 8:32 AM IST

दास प्रथा खत्म होने के बाद दासता आज के दौर में भी खत्म नहीं हो पाई है. यह आज आधुनिक दासता के रूप में चली आ रही है और समाज के कमजोर लोगों के लिए यह खतरा है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार दुनियाभर में 40 मिलियन से अधिक लोग आधुनिक गुलामी के शिकार हैं और 150 मिलियन से अधिक बच्चे बाल श्रम के अधीन हैं. यह दुनियाभर के दस बच्चों में से एक है.

2 दिसंबर 1949 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव-व्यापार और वेश्यावृत्ति से संघर्ष की अभिसंधि स्वीकृत की थी. इसके बाद से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी.

आधुनिक दासता के प्रकार

मानव तस्करी- जबरन वेश्यावृत्ति, श्रम, अपराध, विवाह या अंग निष्कासन जैसे उद्देश्यों के लिए लोगों का शोषण करने के लिए हिंसा, धमकियों या जबरदस्ती का उपयोग कर उत्पीड़न किया जाता है.

जबरन मजदूरी - किसी कार्य या सेवा को बिना इच्छा के धमकी देकर कराना.

ऋण बंधन - यह दुनिया में गुलामी का सबसे व्यापक रूप है. गरीबी में फंसे लोग पैसे उधार लेते हैं और अपने रोजगार की स्थिति और कर्ज दोनों पर नियंत्रण खोते हुए कर्ज चुकाने के लिए काम करने को मजबूर हो जाते हैं.

बंधुआ मजदूरी - अधिकांश पारंपरिक रूप जहां लोगों को संपत्ति के रूप में माना जाता है और उनके आने वाली पीड़ी भी इसकी जद में रहती है.

बच्चों की गुलामी- जब किसी और के लाभ के लिए किसी बच्चे का शोषण किया जाता है. इसमें बाल तस्करी, बाल विवाह और बाल घरेलू दासता शामिल है.

जबरन और जल्दी शादी- जब कोई अपनी मर्जी के खिलाफ शादी करता है और छोड़ नहीं सकता है. अधिकांश बाल विवाह को दासता माना जा सकता है.

विश्व के आंकड़े

  • अनुमानित 40.3 मिलियन लोग आधुनिक दासता में बंधे हुए हैं, जिसमें श्रम में 24.9 और जबरन विवाह में 15.4 मिलियन शामिल हैं.
  • दुनिया के हर 1,000 लोगों में 5.4 आधुनिक गुलामी के शिकार हैं.
  • 4 में से 1 बच्चा आधुनिक दासता का शिकार है.
  • मजबूर श्रम में फंसे 24.9 मिलियन लोगों में से 16 मिलियन लोगों का निजी क्षेत्र जैसे घरेलू काम, निर्माण या कृषि में शोषण होता है.
  • यौन शोषण में 4.8 मिलियन लोग और 4 मिलियन लोग जबरन श्रम में राज्य के अधिकारियों द्वारा लगाए गए हैं.
  • महिलाओं और लड़कियों को जबरन श्रम से प्रभावित किया जाता है, वाणिज्यिक सेक्स उद्योग में पीड़ितों के 99% और अन्य क्षेत्रों में 58% के लिए जिम्मेदार है.

ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स और भारत

  • भारत उन जी20 देशों में से एक था, जो तस्करी से जुड़े श्रमिकों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को रोकने के लिए बने कानूनों और नीतियों को लागू करने में विफल रहा.
  • अंग व्यापार की काला बाजारी.
  • एक स्टडी में अनुमान लगाया गया कि 8 मिलियन लोग आधुनिक दासता का शिकार हैं.
  • देश के सरकारी प्रतिक्रिया रेटिंग में भारत को 40 से 49.9 अंकों के साथ बी समूह में रखा गया था.
  • भारत को मछली पकड़ने के उद्योग में आधुनिक दासता के मध्यम जोखिम चार्ट पर रखा गया था.
  • भारत के साथ चीन और पाकिस्तान में आधुनिक गुलामी में रहने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक थी. यह क्षेत्र 60% पीड़ितों के लिए जिम्मेदार थे.
  • रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सरकार ने हाल ही में आईएलओ कन्वेंशन 182 में कहा कि बाल मजदूरी के सबसे भयानक रूप को कम करने के लिए भारत सरकार ने कार्रवाई की है.

दासता से जुड़ी समस्या

बंधुआ मजदूरी को कम करने के प्रयासों से जुड़े कई राज्यों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. गैर-सरकारी संगठनों का अनुमान है कि पुलिस कम से कम आधे बंधुआ श्रम मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं करती, खासकर बिहार और राजस्थान राज्य में. गैर-सरकारी संगठनों ने पुलिस को बताया कि कई बार तस्करों को बचाने के लिए मामले दर्ज नहीं किए जाते.

बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के तहत 2017 में बंधुआ मजदूरी के 463 मामले दर्ज किए गए, जो 2018 में बढ़कर 778 मामले हो गए. हालांकि, पिछले एनसीआरबी डेटा में केवल बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के मामले शामिल थे, जिसमें पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आपराधिक जांच शुरू की थी.

2018 में 198 मामलों में 331 लोगों को बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के तहत सजा हुई, तो वहीं 142 मामलों में 189 लोगों को छोड़ दिया गया. औसतन बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के अंतर्गत 4.9 साल के बाद मामलों का ट्रायल शुरू होता है.

2017 और 2018 में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 17 में बधुंआ मजदूरी के कोई भी मामले बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के तहत दर्ज नहीं किया गया, जबकि मीडिया और एनजीओ ने मामले के बारे में रिपोर्ट किया था.

उत्तर प्रदेश में बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के तहत 84 प्रतिशत मामले के बारे में जानकारी मिली. जिसे बंधुआ मजदूरी को संबोधित करने के लिए अन्य राज्यों के प्रयासों पर सवाल किया गया. बाद में साक्ष्य न मिलने के कारण ऐसा नहीं माना गया.

उत्तर प्रदेश और गुजरात में कुछ अधिकारियों ने बंधुआ मजदूरी के मामलों को न्यूनतम मजदूरी उल्लंघन के रूप में दर्ज किया और आपराधिक जांच के लिए एफआईआर दर्ज नहीं की.

तस्करों के खिलाफ कानून प्रवर्तन प्रयासों में ढील के कारण 10 राज्यों में काम करने वाले एक एनजीओ ने रिपोर्ट किया कि 60 प्रतिशत से अधिक पीड़ितों को फिर से बंधुआ मजदूरी में ढकेल दिया.

सरकार ने यह नहीं बताया कि कितने तस्करी पीड़ितों को सहायता या देखभाल के लिए सेल्टर होम भेजा गया. हालांकि, सरकार के पास इसके लिए सुविधाएं थी, लेकिन इसकी गुणवत्ता नहीं थी.

पुलिस ने बंधुआ मजदूरी के पीड़ितों को छोड़कर अन्य सभी पीड़ितों और बाल तस्करी पीड़ित को न्यायपालिकाओं और बच्चों का कल्याण के लिए बनी समिति को उचित देखभाल के लिए दे दिया.

विश्व की प्रतिक्रिया

यूके ने 2015 में मॉडर्न स्लेवरी एक्ट में आधुनिक दासता के तहत एक ही कानून में कई आपराधिक अपराधों को सम्मिलित किया. इस कानून के तहत संस्थानों, जो 36 मिलियन यूरो से अधिक आय अर्जित करने वालों को हर साल वार्षिक गुलामी और तस्करी स्टेटमेंट देने के लिए कहा है.

कैलिफोर्निया ने भी 2014 में आधुनिक दासता के चेन को टैकल करने के लिए इस तरह के कानून को बनाया है.

2019 में डच सीनेट ने बाल श्रम को अपनाने के लिए मतदान किया, क्योंकि परिश्रम कानून में आपूर्ति श्रृंखलाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया.

दासता खत्म करने के तरीके

वित्तीय उद्योग को जागरूक होना चाहिए. गुलामी और मानव तस्करी गतिविधियों के खिलाफ इसकी नीतियां अभिन्न और अनिवार्य रूप से होनी चाहिए.

निजी देनदार और निवेशकों की जिम्मेदारी है कि वे ग्राहकों और उधारकर्ताओं के साथ अपने शक्ति का उपयोग करते हुए यह सुनिश्चित करें की वह मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं.

वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की जरूरत है. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों और व्यापार को संकट से बाहर निकालने में वित्तीय समावेश मदद करता है. उन्हें ऋण बंधन और श्रम तस्करी के दलदल में जाने से रोक सकता है.

इससे लड़कर आगे बढ़ने वालों को एक मंच देने की जरूरत है, जिससे वे स्वतंत्रता की दिशा में छोटे कदम उठा सकें.

दास प्रथा खत्म होने के बाद दासता आज के दौर में भी खत्म नहीं हो पाई है. यह आज आधुनिक दासता के रूप में चली आ रही है और समाज के कमजोर लोगों के लिए यह खतरा है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार दुनियाभर में 40 मिलियन से अधिक लोग आधुनिक गुलामी के शिकार हैं और 150 मिलियन से अधिक बच्चे बाल श्रम के अधीन हैं. यह दुनियाभर के दस बच्चों में से एक है.

2 दिसंबर 1949 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मानव-व्यापार और वेश्यावृत्ति से संघर्ष की अभिसंधि स्वीकृत की थी. इसके बाद से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दासता उन्मूलन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी.

आधुनिक दासता के प्रकार

मानव तस्करी- जबरन वेश्यावृत्ति, श्रम, अपराध, विवाह या अंग निष्कासन जैसे उद्देश्यों के लिए लोगों का शोषण करने के लिए हिंसा, धमकियों या जबरदस्ती का उपयोग कर उत्पीड़न किया जाता है.

जबरन मजदूरी - किसी कार्य या सेवा को बिना इच्छा के धमकी देकर कराना.

ऋण बंधन - यह दुनिया में गुलामी का सबसे व्यापक रूप है. गरीबी में फंसे लोग पैसे उधार लेते हैं और अपने रोजगार की स्थिति और कर्ज दोनों पर नियंत्रण खोते हुए कर्ज चुकाने के लिए काम करने को मजबूर हो जाते हैं.

बंधुआ मजदूरी - अधिकांश पारंपरिक रूप जहां लोगों को संपत्ति के रूप में माना जाता है और उनके आने वाली पीड़ी भी इसकी जद में रहती है.

बच्चों की गुलामी- जब किसी और के लाभ के लिए किसी बच्चे का शोषण किया जाता है. इसमें बाल तस्करी, बाल विवाह और बाल घरेलू दासता शामिल है.

जबरन और जल्दी शादी- जब कोई अपनी मर्जी के खिलाफ शादी करता है और छोड़ नहीं सकता है. अधिकांश बाल विवाह को दासता माना जा सकता है.

विश्व के आंकड़े

  • अनुमानित 40.3 मिलियन लोग आधुनिक दासता में बंधे हुए हैं, जिसमें श्रम में 24.9 और जबरन विवाह में 15.4 मिलियन शामिल हैं.
  • दुनिया के हर 1,000 लोगों में 5.4 आधुनिक गुलामी के शिकार हैं.
  • 4 में से 1 बच्चा आधुनिक दासता का शिकार है.
  • मजबूर श्रम में फंसे 24.9 मिलियन लोगों में से 16 मिलियन लोगों का निजी क्षेत्र जैसे घरेलू काम, निर्माण या कृषि में शोषण होता है.
  • यौन शोषण में 4.8 मिलियन लोग और 4 मिलियन लोग जबरन श्रम में राज्य के अधिकारियों द्वारा लगाए गए हैं.
  • महिलाओं और लड़कियों को जबरन श्रम से प्रभावित किया जाता है, वाणिज्यिक सेक्स उद्योग में पीड़ितों के 99% और अन्य क्षेत्रों में 58% के लिए जिम्मेदार है.

ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स और भारत

  • भारत उन जी20 देशों में से एक था, जो तस्करी से जुड़े श्रमिकों द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को रोकने के लिए बने कानूनों और नीतियों को लागू करने में विफल रहा.
  • अंग व्यापार की काला बाजारी.
  • एक स्टडी में अनुमान लगाया गया कि 8 मिलियन लोग आधुनिक दासता का शिकार हैं.
  • देश के सरकारी प्रतिक्रिया रेटिंग में भारत को 40 से 49.9 अंकों के साथ बी समूह में रखा गया था.
  • भारत को मछली पकड़ने के उद्योग में आधुनिक दासता के मध्यम जोखिम चार्ट पर रखा गया था.
  • भारत के साथ चीन और पाकिस्तान में आधुनिक गुलामी में रहने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक थी. यह क्षेत्र 60% पीड़ितों के लिए जिम्मेदार थे.
  • रिपोर्ट में कहा गया कि भारत सरकार ने हाल ही में आईएलओ कन्वेंशन 182 में कहा कि बाल मजदूरी के सबसे भयानक रूप को कम करने के लिए भारत सरकार ने कार्रवाई की है.

दासता से जुड़ी समस्या

बंधुआ मजदूरी को कम करने के प्रयासों से जुड़े कई राज्यों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. गैर-सरकारी संगठनों का अनुमान है कि पुलिस कम से कम आधे बंधुआ श्रम मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं करती, खासकर बिहार और राजस्थान राज्य में. गैर-सरकारी संगठनों ने पुलिस को बताया कि कई बार तस्करों को बचाने के लिए मामले दर्ज नहीं किए जाते.

बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के तहत 2017 में बंधुआ मजदूरी के 463 मामले दर्ज किए गए, जो 2018 में बढ़कर 778 मामले हो गए. हालांकि, पिछले एनसीआरबी डेटा में केवल बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के मामले शामिल थे, जिसमें पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आपराधिक जांच शुरू की थी.

2018 में 198 मामलों में 331 लोगों को बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के तहत सजा हुई, तो वहीं 142 मामलों में 189 लोगों को छोड़ दिया गया. औसतन बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के अंतर्गत 4.9 साल के बाद मामलों का ट्रायल शुरू होता है.

2017 और 2018 में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 17 में बधुंआ मजदूरी के कोई भी मामले बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के तहत दर्ज नहीं किया गया, जबकि मीडिया और एनजीओ ने मामले के बारे में रिपोर्ट किया था.

उत्तर प्रदेश में बंधुआ श्रम प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम के तहत 84 प्रतिशत मामले के बारे में जानकारी मिली. जिसे बंधुआ मजदूरी को संबोधित करने के लिए अन्य राज्यों के प्रयासों पर सवाल किया गया. बाद में साक्ष्य न मिलने के कारण ऐसा नहीं माना गया.

उत्तर प्रदेश और गुजरात में कुछ अधिकारियों ने बंधुआ मजदूरी के मामलों को न्यूनतम मजदूरी उल्लंघन के रूप में दर्ज किया और आपराधिक जांच के लिए एफआईआर दर्ज नहीं की.

तस्करों के खिलाफ कानून प्रवर्तन प्रयासों में ढील के कारण 10 राज्यों में काम करने वाले एक एनजीओ ने रिपोर्ट किया कि 60 प्रतिशत से अधिक पीड़ितों को फिर से बंधुआ मजदूरी में ढकेल दिया.

सरकार ने यह नहीं बताया कि कितने तस्करी पीड़ितों को सहायता या देखभाल के लिए सेल्टर होम भेजा गया. हालांकि, सरकार के पास इसके लिए सुविधाएं थी, लेकिन इसकी गुणवत्ता नहीं थी.

पुलिस ने बंधुआ मजदूरी के पीड़ितों को छोड़कर अन्य सभी पीड़ितों और बाल तस्करी पीड़ित को न्यायपालिकाओं और बच्चों का कल्याण के लिए बनी समिति को उचित देखभाल के लिए दे दिया.

विश्व की प्रतिक्रिया

यूके ने 2015 में मॉडर्न स्लेवरी एक्ट में आधुनिक दासता के तहत एक ही कानून में कई आपराधिक अपराधों को सम्मिलित किया. इस कानून के तहत संस्थानों, जो 36 मिलियन यूरो से अधिक आय अर्जित करने वालों को हर साल वार्षिक गुलामी और तस्करी स्टेटमेंट देने के लिए कहा है.

कैलिफोर्निया ने भी 2014 में आधुनिक दासता के चेन को टैकल करने के लिए इस तरह के कानून को बनाया है.

2019 में डच सीनेट ने बाल श्रम को अपनाने के लिए मतदान किया, क्योंकि परिश्रम कानून में आपूर्ति श्रृंखलाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया.

दासता खत्म करने के तरीके

वित्तीय उद्योग को जागरूक होना चाहिए. गुलामी और मानव तस्करी गतिविधियों के खिलाफ इसकी नीतियां अभिन्न और अनिवार्य रूप से होनी चाहिए.

निजी देनदार और निवेशकों की जिम्मेदारी है कि वे ग्राहकों और उधारकर्ताओं के साथ अपने शक्ति का उपयोग करते हुए यह सुनिश्चित करें की वह मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं.

वित्तीय समावेशन को बढ़ाने की जरूरत है. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों और व्यापार को संकट से बाहर निकालने में वित्तीय समावेश मदद करता है. उन्हें ऋण बंधन और श्रम तस्करी के दलदल में जाने से रोक सकता है.

इससे लड़कर आगे बढ़ने वालों को एक मंच देने की जरूरत है, जिससे वे स्वतंत्रता की दिशा में छोटे कदम उठा सकें.

Last Updated : Dec 2, 2020, 8:32 AM IST
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