वाशिंगटन : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता को लेकर पूरी गति से बातचीत चल रही है. उन्होंने जल्द ही समझौता हो जाने की उम्मीद जाहिर की.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुख्यालय में सीतारमण की अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन म्यूचिन के साथ हुई मुलाकात में व्यापार सौदे को लेकर संक्षिप्त चर्चा हुई. म्यूचिन अगले महीने की शुरुआत में भारत की यात्रा करने वाले हैं.
सीतारमण ने शनिवार को कहा, 'वास्तव में मैंने वित्त मंत्री म्यूचिन के समक्ष इसका जिक्र किया, लेकिन इस मुद्दे पर भारत के वाणिज्य मंत्री और अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर चर्चा कर रहे हैं. मुझे जो जानकारी मिली है, वह यह कि वार्ता पूरी गति से चल रही है और उम्मीद है कि जल्द ही समझौता हो जाएगा.'
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि अमेरिका के साथ सर्वाधिकार अनुबंध हमेशा वरीयता में रहा है.
सीतारमण ने आगे कहा कि वह ऐसी अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए खाका तैयार करेंगी, जो चीन से आगे भारत को निवेश गंतव्य के रूप में देख रही हैं. उन्होंने कहा कि उद्योग जगत के ऐसे दिग्गज, जो अपने कारोबार को चीन से बाहर ले जाना चाहते हैं, निश्चित रूप से भारत की ओर देख रहे हैं.
वित्त मंत्री ने कहा, 'भारत के लिए जरूरी हो जाता है कि वह इन कम्पनियों से मिले और उन्हें अपने यहां आमंत्रित करे.'
निर्मला ने कहा कि भारत कम्पनियों को देश के बाजार का लाभ लेने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहता है.
सीतारमण ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि वियतनाम उतना आकर्षक नहीं है. उन्होंने ,कहा, 'मेरी आज कुछ बैंकों और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ भी बात हुई. उनका मानना है कि अब वियतनाम का संकुचन हो रहा है. उसके पास विस्तार के निवेश कार्यक्रमों के लिए श्रमबल की कमी है.'
सीतारमण ने कहा कि कई देशों ने क्रिप्टोकरेंसी अपनाने को लेकर चेतावनी दी है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्वबैंक की वार्षिक बैठक में फेसबुक की प्रस्तावित क्रिप्टोकरेंसी लिब्रा को लेकर चली चर्चा के बीच यह टिप्पणी की.
उन्होंने भारतीय संवाददाताओं के एक समूह से कहा, 'हमारी ओर से रिजर्व बैंक के गवर्नर इस बारे में बोल चुके हैं. मुझे ऐसा महसूस हुआ कि कई सारे देश क्रिप्टोकरेंसी अपनाने को लेकर सतर्क हैं.'
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सीतारमण ने कहा कि उनमें कुछ देशों ने कहा कि हममें से किसी को क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. कुछ देशों ने तो यहां तक कहा कि इसे स्थिर मुद्रा भी नहीं कहा जाना चाहिए.