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भारत कोरोना रोगियों के लिए हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन का करेगा इस्तेमाल

विश्व स्वास्थ्य संगठन के हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन के परीक्षण पर रोक लगाने के दो दिन बाद भारत ने कहा है कि वो कम गंभीर रूप से बीमार कोरोना रोगियों के उपचार के लिए इस दवाई का इस्तेमाल करेगा.

भारत हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करेगा
भारत हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करेगा
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Published : Jun 18, 2020, 9:53 PM IST

नई दिल्लीः विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फिर से एंटी मलेरिया दवाई हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के परीक्षण पर रोक लगा दी है. रोक लगाने के दो दिन बाद भारत ने ये फैसला किया है कि वो कम गंभीर रूप से बीमार कोरोना रोगियों के उपचार के लिए इस दवाई का इस्तेमाल करेगा.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने हाल ही में क्लीनिकल प्रबंधन की गाइडलाइन में हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के उपयोग करने के दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि हम कोरोना के कम लक्षण दिखने वाले रोगियों और फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मचारियों के इलाज के लिए एचसीक्यू का उपयोग करते रहेंगे.

भारत हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करेगा
भारत हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करेगा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के क्लिनिकल परीक्षण को रोकते हुए कहा कि कोरोना से मौतों को रोकने में ये दवा असरदार नहीं है. संगठन ने इसकी जगह डेक्सामेथासोन को चुना. जिसने रोगियों की मृत्यु दर को कम करने में प्रभावी परिणाम दिखाया है.

मेडयोर अस्पताल के आपातकालीन मेडिसिन के प्रमुख डॉ. तमोरिश कोले ने कहा कि डब्ल्यूएचओ कुछ अध्ययनों के आधार पर यह निर्णय लिया है लेकिन जहां तक ​​भारत का संबंध है हम Covid19 रोगियों के इलाज के लिए HCQ का उपयोग करेंगे.

उन्होंने कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन को प्राथमिकता दी है. डॉ. कोले ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन का अन्य परीक्षण दूसरे देशों में जारी है.


डेक्सामेथासोन का उल्लेख करते हुए डॉक्टर कोले ने कहा कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में डेक्सामेथासोन पर एक अध्ययन किया गया था लेकिन हमें इसकी क्षमता को समझने के लिए और अध्ययन की आवश्यकता है. डॉ. कोले ने यह भी कहा कि यह नई दवा नहीं है. यह एक पुनर्निर्मित दवा है और भारत में हम इसे इस्तेमाल करते हैं. यह बहुत सस्ती और आसानी से उपलब्ध होने वाली दवा है.


दुनिया भर के देश कोविड के खिलाफ विभिन्न दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं. रेमडेसिवीर भी एक बेहतर दवा थी.


डॉक्टर कोले ने कहा कि कोरोना के सभी दवाओं के परीक्षणों क रिपोर्ट जुलाई अंत तक आ जाएगी. और इसका वैक्सीन तैयार करने में लगभग 12 महीने का समय लगेगा.

पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के ​​परीक्षण को रोक दिया था लेकिन बाद में फिर से शुरू कर दिया.

पिछले सप्ताह जारी किए गए एक दिशानिर्देशों में भारत के शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (ICMR) ने कुछ शर्तों के साथ आपातकालीन आधार पर रेमेडिसविर, कोनवेलेसेंट प्लाज्मा, टोसीलिज़ुमाब और हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वाइन के उपयोग का समर्थन किया है.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने सुझाव दिया कि थोड़े ज्यादा गंभीर रूप से बीमार कोरोना रोगियों पर इन दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वाइन का उपयोग रोग के शुरुआती दौर में ही करना चाहिए ताकि अच्छे परिणाम आ सके.


आईसीएमआर ने कहा कि गंभीर रूप से बीमार रोगियों पर एचसीक्यू के इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए.

नई दिल्लीः विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फिर से एंटी मलेरिया दवाई हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के परीक्षण पर रोक लगा दी है. रोक लगाने के दो दिन बाद भारत ने ये फैसला किया है कि वो कम गंभीर रूप से बीमार कोरोना रोगियों के उपचार के लिए इस दवाई का इस्तेमाल करेगा.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने हाल ही में क्लीनिकल प्रबंधन की गाइडलाइन में हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के उपयोग करने के दिशानिर्देश भी जारी किए हैं.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि हम कोरोना के कम लक्षण दिखने वाले रोगियों और फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मचारियों के इलाज के लिए एचसीक्यू का उपयोग करते रहेंगे.

भारत हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करेगा
भारत हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल करेगा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के क्लिनिकल परीक्षण को रोकते हुए कहा कि कोरोना से मौतों को रोकने में ये दवा असरदार नहीं है. संगठन ने इसकी जगह डेक्सामेथासोन को चुना. जिसने रोगियों की मृत्यु दर को कम करने में प्रभावी परिणाम दिखाया है.

मेडयोर अस्पताल के आपातकालीन मेडिसिन के प्रमुख डॉ. तमोरिश कोले ने कहा कि डब्ल्यूएचओ कुछ अध्ययनों के आधार पर यह निर्णय लिया है लेकिन जहां तक ​​भारत का संबंध है हम Covid19 रोगियों के इलाज के लिए HCQ का उपयोग करेंगे.

उन्होंने कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन को प्राथमिकता दी है. डॉ. कोले ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन का अन्य परीक्षण दूसरे देशों में जारी है.


डेक्सामेथासोन का उल्लेख करते हुए डॉक्टर कोले ने कहा कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में डेक्सामेथासोन पर एक अध्ययन किया गया था लेकिन हमें इसकी क्षमता को समझने के लिए और अध्ययन की आवश्यकता है. डॉ. कोले ने यह भी कहा कि यह नई दवा नहीं है. यह एक पुनर्निर्मित दवा है और भारत में हम इसे इस्तेमाल करते हैं. यह बहुत सस्ती और आसानी से उपलब्ध होने वाली दवा है.


दुनिया भर के देश कोविड के खिलाफ विभिन्न दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं. रेमडेसिवीर भी एक बेहतर दवा थी.


डॉक्टर कोले ने कहा कि कोरोना के सभी दवाओं के परीक्षणों क रिपोर्ट जुलाई अंत तक आ जाएगी. और इसका वैक्सीन तैयार करने में लगभग 12 महीने का समय लगेगा.

पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन के ​​परीक्षण को रोक दिया था लेकिन बाद में फिर से शुरू कर दिया.

पिछले सप्ताह जारी किए गए एक दिशानिर्देशों में भारत के शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (ICMR) ने कुछ शर्तों के साथ आपातकालीन आधार पर रेमेडिसविर, कोनवेलेसेंट प्लाज्मा, टोसीलिज़ुमाब और हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वाइन के उपयोग का समर्थन किया है.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने सुझाव दिया कि थोड़े ज्यादा गंभीर रूप से बीमार कोरोना रोगियों पर इन दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन हाइड्रॉक्सी-क्लोरोक्वाइन का उपयोग रोग के शुरुआती दौर में ही करना चाहिए ताकि अच्छे परिणाम आ सके.


आईसीएमआर ने कहा कि गंभीर रूप से बीमार रोगियों पर एचसीक्यू के इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए.

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