हैदराबाद : दुनियाभर में संपूर्ण स्वच्छता प्राप्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इन्ही प्रयासों में तेजी लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी.
इसके तहत, देश में सभी गांवों, ग्राम पंचायतों, जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण करके 2 अक्टूबर, 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक स्वयं को 'खुले में शौच से मुक्त' (ओडीएफ) घोषित किया.
खुले में शौच न करने की प्रथा को स्थाई बनाने के लिए योजन के दूसरे चरण ओडीएफ-प्लस की शुरुआत की गई थी. 'खुले में शौच से मुक्त' होने के कुछ माह बाद चीन के वुहान से एक महामारी पैदा हुई और उसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया.
कोरोन वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया, जिसमें सार्वजनिक शौचालय भी बंद हो गए. करीब नौ माह बाद चरणबद्ध तरीके से देश से लॉकडाउन हटाया गया, लेकिन महामारी के कारण लॉक हुए सार्वजनिक शौचालय नहीं खुल पाए.
ईटीवी भारत ने देश के कई शहरों में अनलॉक के बाद स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों का जायजा लिया. इससे पहले कि हम आपको जमीनी सच्चाई से अवगत कराएं, आइए एक बार सरकारी आंकड़े देख लेते हैं.
स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट के मुताबिक, अक्टूबर 2014 से लेकर अब तक 10,72,79,642 शौचालय बनाए गए हैं. देशभर के 6,03,177 गांव, 706 जिले, 35 राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश 'खुले में शौच से मुक्त' हैं.
हिमाचल प्रदेश : कहीं ताला, कहीं गंदगी
राज्य के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब में अधिकांश शौचालय शो-पीस बनकर रह गए हैं. तीन माह से सफाई नहीं होने की वजह से यहां पर खड़ा होना भी मुश्किल है. इसके अलावा कहीं पर शौचालय में ताले लगे हुए हैं और कहीं दरवाजा ही नहीं है. इस अव्यवस्था के कारण लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं.
बिहार : पटना अनलॉक-टॉयलेट लॉक
पटना नगर निगम के तमाम चौक-चौराहों पर आम लोगों के उपयोग के लिए निशुल्क शौचालय बनाए गए थे. कोरोना संक्रमण फैलने के बाद इन सार्वजनिक शौचालयों पर ताला लगा दिया गया था. वह ताला आज भी लटका हुआ है. अनलॉक के बाद जन-जीवन पटरी पर लौटा तो, लेकिन स्वच्छ भारत मिशन बेपटरी होता नजर आ रहा है. पड़ताल में ज्यादातर शौचालयों में ताला लटका मिला और जिनमें ताला नहीं था, उनकी स्थिति दयनीय थी. शहर के हाई कोर्ट, वीमेन्स कॉलेज, कारगिल चौक के पास बने शौचालयों का हाल भी लगभग ऐसा ही था.
हरियाणा : सफेद हाथी बने सार्वजनिक शौचालय
फरीदाबाद
फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की योजना है और अनलॉक होने के इतने दिन बाद भी सेक्टर-16 की अनाज मंडी में बने सार्वजनिक शौचालय के गेट पर ताला लगा मिला. यही हाल सेक्टर 21d में बने शौचालयों का भी था. सेक्टर-16 की अनाज मंडी में रोजाना हजारों लोग आते हैं. शौचालय में फैली अव्यवस्था को लेकर लोगों ने शिकायत भी की, लेकिन आज भी लोगों को खुले में शौच करने जाना पड़ रहा है.
गुरुग्राम
साइबर सिटी गुरुग्राम के व्यस्ततम चौराहे राजीव चौक पर बना शौचालय भी लॉकडाउन के बाद से बंद है. इसके अलावा ट्रांसपोर्ट नगर में बने शौचालय भी देखरेख के अभाव में खंडहर हो रहे हैं. यहां के लोगों ने भी शौचालयों पर लगे ताले को लेकर शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
पानीपत
पानीपत में स्थित एशिया की सबसे बड़ी मार्केट का भी हाल लगभग वैसा ही है. वहां भी सार्वजनिक शौचालयों पर ताला लगा हुआ है. यही नहीं जिले के बस अड्डे पर बने शौचालय में भी ताला लगा हुआ है. लोगों ने प्रशान से इन शौचालयों को खोलने की अपील की है.
महाराष्ट्र : दोहरी मार झेल रहे लोग
कोरोना वायरस से प्रकोप से महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है. देश के अन्य हिस्सों की तरह यहां भी सार्वजनिक शौचालयों को बंद कर दिया गया था. ईटीवी भारत की टीम ने अनलॉक बाद सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति को लेकर राज्य के नागपुर, कोल्हापुर और जलगांव में पड़ताल की.
नागपुर
यहां पर ज्यादातर सार्वजनिक शौचालयों में सफाई का नामो-निशान नहीं है. जिला प्रशासन ने लोगों से स्वछता की अपील तो कर दी, लेकिन खुद व्यवस्था को ठीक करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए शौचालय या तो बहुत गंदे हैं या उनपर ताला लगा हुआ है. वहीं कुछ को इस्तेमाल करने के लिए लोगों को शुल्क अदा करना पड़ता है. इसके बावजूद इनमें सफाई नहीं है. इस अव्यवस्था को लेकर लोगों में काफी आक्रोश है.
कोल्हापुर
जिले में शौचालयों के निर्माण में हुई कथित धांधली को लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच छड़पें भी हुई थीं.
जलगांव
ईटीवी भारत की पड़ताल में जलगांव के सार्वजनिक शौचालयों के बारे में जो तथ्य सामने आए, वह चौंकाने वाले थे. शहर में 5.5 लाख लोग रहते हैं, लेकिन नगर निगम के क्षेत्र में आने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और बाजारों में शौचालयों की व्यवस्था नहीं है. जो हैं वह बहुत ही ज्यादा गंदे हैं. नगर निगम की अनदेखी के कारण महिलाओं को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. यही स्थिति राजकीय उद्यानों और सरकारी कार्यालयों की भी है. इस अव्यवस्था को लेकर एक महिला ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि उन्हें मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं.
राजस्थान: कहीं बिजली-पानी नहीं तो कहीं सफाई व्यवस्था बेपटरी
राजस्थान की राजधानी जयपुर में सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों को आप गूगल पर ढूंढ सकते हैं. नगर निगम ने सभी शौचालयों को जियो टैग किया है. निगम प्रशासन के अनुसार, जयपुर ग्रेटर में 97 पब्लिक टॉयलेट और 36 कम्युनिटी टॉयलेट, जबकि जयपुर हेरीटेज क्षेत्र में 109 पब्लिक टॉयलेट और 21 कम्युनिटी टॉयलेट की व्यवस्था है. करीब 4 करोड़ की लागत से राजधानी में 50 जगहों पर स्मार्ट टॉयलेट भी लगाए गए हैं, लेकिन इन टॉयलेट का जायजा लेने पर पता लगा कि कहीं बिजली-पानी की, तो कहीं सफाई की समस्या है. यही नहीं कुछ शौचालयों में तो ताले लगे हुए हैं.
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