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चीन के मुकाबले दोगुनी दर से बढ़ रही है भारत की जनसंख्याः UN - UN report on India population

भारत में जनसंख्या विस्फोट लगातार बढ़ता जा रहा है.जनसंख्या बढ़ोतरी का यही हाल रहा तो यह दिन भी दूर नहीं जब हम चीन के रिकॉर्ड को तोड़कर टॉप पर पहुंच जाएंगे.

भारत की जनसंख्या
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Published : Apr 11, 2019, 11:54 AM IST

संयुक्त राष्ट्र: UN जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2019 के बीच भारत की जनसंख्या 1.2 की औसत वार्षिक दर से बढ़कर 1.36 अरब हो गई है, जो चीन की वार्षिक वृद्धि दर के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा है.

2019 में भारत की जनसंख्या 1.36 अरब पहुंच गयी है, जो 1994 में 94.22 करोड़ और 1969 में 54.15 करोड़ थी. विश्व की जनसंख्या 2019 में बढ़कर 771.5 करोड़ हो गई है, जो पिछले साल 763.3 करोड़ थीसंयुक्त राष्ट्र की सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ एजेंसी ने स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2019, रिपोर्ट में कहा कि 2010 और 2019 के बीच भारत की जनसंख्या औसतन 1.2 प्रतिशत बढ़ी है.

इसकी तुलना में, 2019 में चीन की आबादी 1.42 अरब पहुंच गई है, जो 1994 में 1.23 अरब और 1969 में 80.36 करोड़ थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010 और 2019 के बीच चीन की आबादी 0.5 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ी है.उसके अनुसार, भारत में 1969 में प्रति महिला कुल प्रजनन दर 5.6 थी, जो 1994 में 3.7 रह गई.

भारत ने जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में सुधार दर्ज किया है 1969 में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 47 वर्ष थी, जो 1994 में 60 वर्ष और 2019 में 69 वर्ष हो गई है. विश्व की औसत जीवन प्रत्याशा दर 72 साल है.

रिपोर्ट में 2019 में भारत की जनसंख्या के विवरण का एक ग्राफ दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि देश की 27-27 प्रतिशत आबादी 0-14 वर्ष और 10-24 वर्ष की आयु वर्ग में है, जबकि देश की 67 प्रतिशत जनसंख्या 15-64 आयु वर्ग की है। देश की छह प्रतिशत आबादी 65 वर्ष और उससे अधिक आयु की है.

भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार के संकेत देते हुये रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 1994 में प्रति 1,00,000 जन्मों में 488 मौतों से घटकर 2015 में प्रति 1,00,000 जन्मों में 174 मृत्यु तक आ गई.

यूएनएफपीए की निदेशक जेनेवा मोनिका फेरो ने कहा कि आंकड़े ‘चिंताजनक’’ है और दुनिया भर में करोड़ों महिलाओं के लिए सहमति और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के स्तर को बढ़ाना बेहद आवश्यक है.उन्होंने कहा, ‘मत भूलना कि इन संख्याओं में से प्रत्येक एक व्यक्ति है.

संयुक्त राष्ट्र: UN जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2019 के बीच भारत की जनसंख्या 1.2 की औसत वार्षिक दर से बढ़कर 1.36 अरब हो गई है, जो चीन की वार्षिक वृद्धि दर के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा है.

2019 में भारत की जनसंख्या 1.36 अरब पहुंच गयी है, जो 1994 में 94.22 करोड़ और 1969 में 54.15 करोड़ थी. विश्व की जनसंख्या 2019 में बढ़कर 771.5 करोड़ हो गई है, जो पिछले साल 763.3 करोड़ थीसंयुक्त राष्ट्र की सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ एजेंसी ने स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2019, रिपोर्ट में कहा कि 2010 और 2019 के बीच भारत की जनसंख्या औसतन 1.2 प्रतिशत बढ़ी है.

इसकी तुलना में, 2019 में चीन की आबादी 1.42 अरब पहुंच गई है, जो 1994 में 1.23 अरब और 1969 में 80.36 करोड़ थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010 और 2019 के बीच चीन की आबादी 0.5 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ी है.उसके अनुसार, भारत में 1969 में प्रति महिला कुल प्रजनन दर 5.6 थी, जो 1994 में 3.7 रह गई.

भारत ने जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में सुधार दर्ज किया है 1969 में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 47 वर्ष थी, जो 1994 में 60 वर्ष और 2019 में 69 वर्ष हो गई है. विश्व की औसत जीवन प्रत्याशा दर 72 साल है.

रिपोर्ट में 2019 में भारत की जनसंख्या के विवरण का एक ग्राफ दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि देश की 27-27 प्रतिशत आबादी 0-14 वर्ष और 10-24 वर्ष की आयु वर्ग में है, जबकि देश की 67 प्रतिशत जनसंख्या 15-64 आयु वर्ग की है। देश की छह प्रतिशत आबादी 65 वर्ष और उससे अधिक आयु की है.

भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार के संकेत देते हुये रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 1994 में प्रति 1,00,000 जन्मों में 488 मौतों से घटकर 2015 में प्रति 1,00,000 जन्मों में 174 मृत्यु तक आ गई.

यूएनएफपीए की निदेशक जेनेवा मोनिका फेरो ने कहा कि आंकड़े ‘चिंताजनक’’ है और दुनिया भर में करोड़ों महिलाओं के लिए सहमति और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के स्तर को बढ़ाना बेहद आवश्यक है.उन्होंने कहा, ‘मत भूलना कि इन संख्याओं में से प्रत्येक एक व्यक्ति है.

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चीन के मुकाबले दोगुनी दर से बढ़ रही है भारत की जनसंख्याः UN



 SUMMERY-

भारत की जनसंख्या हर साल 1.2 फीसदी की दर से बढ़ रही है. अगर यही वृद्धि दर कायम रही, तो बहुत जल्द ही हमारी आबादी चीन से ज्यादा हो जाएगी.



संयुक्त राष्ट्र: UN जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2019 के बीच भारत की जनसंख्या 1.2 की औसत वार्षिक दर से बढ़कर 1.36 अरब हो गई है, जो चीन की वार्षिक वृद्धि दर के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा है.

2019 में भारत की जनसंख्या 1.36 अरब पहुंच गयी है, जो 1994 में 94.22 करोड़ और 1969 में 54.15 करोड़ थी.

विश्व की जनसंख्या 2019 में बढ़कर 771.5 करोड़ हो गई है, जो पिछले साल 763.3 करोड़ थीसंयुक्त राष्ट्र की सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ एजेंसी ने स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2019, रिपोर्ट में कहा कि 2010 और 2019 के बीच भारत की जनसंख्या औसतन 1.2 प्रतिशत बढ़ी है.

इसकी तुलना में, 2019 में चीन की आबादी 1.42 अरब पहुंच गई है, जो 1994 में 1.23 अरब और 1969 में 80.36 करोड़ थी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010 और 2019 के बीच चीन की आबादी 0.5 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ी है.उसके अनुसार, भारत में 1969 में प्रति महिला कुल प्रजनन दर 5.6 थी, जो 1994 में 3.7 रह गई

भारत ने जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में सुधार दर्ज किया है. 1969 में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 47 वर्ष थी, जो 1994 में 60 वर्ष और 2019 में 69 वर्ष हो गई है. विश्व की औसत जीवन प्रत्याशा दर 72 साल है

रिपोर्ट में 2019 में भारत की जनसंख्या के विवरण का एक ग्राफ दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि देश की 27-27 प्रतिशत आबादी 0-14 वर्ष और 10-24 वर्ष की आयु वर्ग में है, जबकि देश की 67 प्रतिशत जनसंख्या 15-64 आयु वर्ग की है। देश की छह प्रतिशत आबादी 65 वर्ष और उससे अधिक आयु की है।

भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार के संकेत देते हुये रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 1994 में प्रति 1,00,000 जन्मों में 488 मौतों से घटकर 2015 में प्रति 1,00,000 जन्मों में 174 मृत्यु तक आ गई।

यूएनएफपीए की निदेशक जेनेवा मोनिका फेरो ने कहा कि आंकड़े ‘‘चिंताजनक’’ है और दुनिया भर में करोड़ों महिलाओं के लिए सहमति और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के स्तर को बढ़ाना बेहद आवश्यक है.उन्होंने कहा, मत भूलना कि इन संख्याओं में से प्रत्येक एक व्यक्ति है

 


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