नई दिल्ली : चीनी सेना पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध के समाधान को लेकर गंभीर नहीं है और भारतीय सेना द्वारा दिए गए जोरदार जवाब के कारण उसे अपनी गलत हरकतों के 'अप्रत्याशित' परिणाम का सामना करना पड़ रहा है. सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की.
सूत्रों ने बताया कि सैन्य वार्ता में गतिरोध उत्पन्न हो गया है क्योंकि भारतीय सेना जोर देकर कह रही है कि तीन महीने से अधिक पुराने सीमा गतिरोध को हल करने के लिए चीनी (पीएलए) को इस वर्ष अप्रैल की यथास्थिति को बहाल करना होगा.
सूत्रों ने बताया कि भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को स्पष्ट रूप से कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) में तब्दीली (शिफ्टिंग) उसे स्वीकार्य नहीं है.
उन्होंने बताया, 'भारतीय सेना के जोरदार जवाब के कारण पीएलए को अपनी गलत हरकतों के लिए अप्रत्याशित और अनपेक्षित परिणामों का सामना करना पड़ा है.'
एक अन्य सूत्र ने बताया कि चीनी पक्ष मुख्य बातों से ध्यान हटाते हुए इधर-उधर की रणनीति का सहारा ले रहा है और सीमा गतिरोध का हल खोजने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.
भारत और चीन ने गुरुवार को मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत, लंबित मुद्दों के जल्द निपटारे पर सहमति जताई थी. दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा संबंधी गतिरोध को लेकर ताजा राजनयिक वार्ता के बाद विदेश मंत्रालय ने यह बात कही थी.
पिछले ढाई महीनों में भारत और चीन के बीच सैन्य और राजनयिक स्तरीय कई दौर की वार्ता हुयी है लेकिन पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद के समाधान के लिए कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है.
गुरुवार को भी दोनों पक्षों के बीच राजनयिक वार्ता का एक और दौर हुआ जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत और चीन ने मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत लंबित मुद्दों को 'शीघ्र आधार' पर निपटाने पर सहमति जतायी है.
सूत्रों ने बताया कि हालांकि बैठक में कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं निकल सका.
पांच जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी द्वारा सीमा विवाद सुलझाने के रास्तों की तलाश के लिए करीब दो घंटे तक टेलीफोन पर बातचीत हुई थी. डोभाल और वांग सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं.
इसके बाद से छह जुलाई को सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया की शुरूआत हुई थी.
सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना गलवान घाटी और संघर्ष के कुछ स्थानों से पीछे हटी है लेकिन पेंगांग सो, देपसांग ओर कुछ अन्य क्षेत्रों में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है.
कोर कमांडर स्तर की वार्ता के पांच दौर में भारतीय पक्ष ने जल्द से जल्द चीनी सैनिकों के पूरी तरह से पीछे हटने और पूर्वी लद्दाख के सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पहले की यथास्थिति तत्काल बहाल करने पर जोर दिया है.
दोनों पक्षों के राजनयिक और सैन्य वार्ता में लगे होने के बीच भारतीय सेना सर्दियों के महीनों में पूर्वी लद्दाख में सभी प्रमुख क्षेत्रों में सैनिकों की अपनी मौजूदा ताकत बनाए रखने के लिए विस्तृत तैयारी कर रही है.
गौरतलब है कि 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़पों के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया. हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे. चीनी सैनिक भी हताहत हुए लेकिन उसने इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी.
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार चीन की तरफ हताहतों की संख्या 35 है.