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कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए इटली की गलतियों से सबक ले भारत

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Published : Apr 1, 2020, 8:02 PM IST

Updated : Apr 1, 2020, 9:14 PM IST

आज विश्वभर के कई देशों में इस बीमारी ने अपने पैर पसार लिए हैं. चीन से जन्मा यह वायरस आज भारत, पाकिस्तान, अमेरिका, स्पेन, इटली, ईरान, जापान, नेपाल, भूटान सहित दुनिया के 190 से ज्यादा देशों को जकड़ चुका है. इनमें सबसे ज्यादा बुरे हालात इटली के हैं. यहां अब तक सबसे अधिक मौतें हुई है, जहां 12,428 लोग मारे गए है. ऐसे में भारत को इटली से सबक लेने की जरूरत है कि वह उन गलतियों को न दोहराए, जिनकी वजह से आज इटली को इस दौर से गुजरना पड़ रहा है. पढ़ें हमारी खास पेशकश...

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कॉन्सेप्ट इमेज

हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. आज विश्वभर के कई देशों में इस बीमारी ने अपने पैर पसार लिए हैं. चीन से जन्मा यह वायरस आज भारत, पाकिस्तान, अमेरिका, स्पेन, इटली, ईरान, जापान, नेपाल, भूटान सहित दुनिया के 190 से ज्यादा देशों को जकड़ चुका है.

इटली में सबसे ज्यादा बुरे हालात
इनमें सबसे ज्यादा बुरे हालात इटली के हैं. यहां अब तक सबसे अधिक मौतें हुई है, जहां 12,428 लोग मारे गए है. इसके बाद स्पेन में 8,189 और फ्रांस में 3,523 लोगों की मौत हुई है.

इटली से दुनिया ले सकती है सबक
ऐसे में जिन देशों में इस बीमारी का प्रसार कम है, उन्हें इटली की उन गलतियों से सीख लेना चाहिए, जिसने वहां इस बीमारी को इस हद तक अपने पैर पसारने दिए. अगर हम ध्यान दें तो इटली में कोविड-19 का फैला प्रकोप दुनिया के बाकी देशों के लिए सबक साबित हो सकता है.

पूर्वाग्रहों पर पाना होगा
काबू इस समस्या से लड़ने के लिए सबसे पहले हमें अपने पूर्वाग्रहों पर काबू पाना होगा और हालातों की गंभीरता को समझना होगा.

कई दिनों तक नजर नहीं आते लक्षण
कोरोना वायरस ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण कई दिनों तक नजर नहीं आते लेकिन इसका वायरस शरीर के अंदर ही अंदर अपना घर बना लेता है. इटली में इस बीमारी की गंभीरता को न समझते हुए यहां के राजनीतिक नेताओं ने इसमें ढ़ील डाली, जो इसके प्रसार का कारण बना.

इन बातों का नहीं रखा गया ख्याल
शुरूआती चरण में देश में किसी तरह की इमरजेंसी या लॉकडाउन लागू नहीं किया गया. हद तो तब हो गई, जब यहां हाथ मिलाने जैसी बातों का भी ख्याल नहीं रखा गया.

छोटे से वायरस से बनी 'महामारी'
इसके बाद इस बीमारी की ओर ध्यान दिया गया. तब पता चला कि एक छोटे से वायरस से जन्मी यह बीमारी कितनी बड़ी महामारी बन गई है और असल में कितनी तेजी में इसने अपने पैर पसार लिए हैं.

इटली ने अपनाए यह उपाय
इसके बाद इटली को यह समझ आया कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए आधे-अधूरे उपाय करने से बचना चाहिए. बाद में देश ने कोरोना वायरस पर नियंत्रण पाने के लिए छोटी शुरूआत के साथ बड़े पैमाने पर पहुंचने की कोशिश की.

इटली की लक्षित रणनीति तैयार
इसके तहत इटली ने एक लक्षित रणनीति तैयार की और देश में सबसे ज्यादा संक्रमित जगहों को 'रेड जोन' घोषित करना शुरू किया और यहां सख्ती से लॉकडाउन का पालन कराया गया.

ये भी पढ़ें : विश्व में कोरोना : यूरोप में 30 हजार से ज्यादा मौतें, अमेरिका में आंकड़ा चार हजार के पार

हालात बने बद से बदतरइस प्रतिबंध को पूरे देश में बाद में लागू किया गया, जब चुनिंदा जगहों पर लगे लॉकडाउन ने देश के हालातों को और बद से बदतर बना दिया.

जनता का पलायन
हार्वर्ड के अनुसार, किसी-किसी जगह लॉकडाउन होने से लोग उन जगहों से गुजरना शुरू कर देते हैं, जहां कोई प्रतिबंध नहीं होता. और फिर वहां से वह इस वायरस का शिकार हो जाते हैं.

गौर करने वाली बात यह है कि जब उत्तरी इटली में बंद का एलान किया गया तो बड़ी संख्या में लोगों ने दक्षिणी इटली की ओर पलायन शुरू कर दिया. इस वजह से यह वायरस वहां भी पहुंच गया, जहां यह अब तक मौजूद नहीं था.

लोम्बार्डी और वेनेटो से लेना चाहिए सबक
इटली में पनपे इन हालातों से यह बात साबित होती है कि देश में सामाजिक दूरी न होने की वजह से ही इस बीमारी ने अपनी जड़ों को मजबूत बनाया.

लेकिन हमें इटली की उन जगहों से सीख लेना चाहिए, जहां कोरोना वायरस के प्रसार को फैलने से सफलतापूर्वक रोका गया. हमें देश की उन रणनीतियों से सबक ले सकते हैं, जो वहां के लोगों के लिए सही साबित हुईं हों.

दो अलग-अलग तरीकों के अलग-अलग नतीजे
ऐसे में इतालवी क्षेत्रों के दो पड़ोसी लोम्बार्डी (लोम्बार्डीया) और वेनेटो (वेनेतो) के अनुभव हमारे लिए काफी अहम हो सकते हैं, जिन्होंने कोरोना को हराने में दो अलग-अलग तरीके अपनाए और फिर उससे दो अलग-अलग नतीजे सामने आए.

वायरस को हराने में वेनेटो को मिली सफलता
जहां एक और इस वायरस को हराने में वेनेटो को सफलता हासिल हुई. वहीं लोम्बार्डी को इस महामारी के सामने घुटने टेकते हुए हारना पड़ा. परिणाम यह हुआ कि यहां इस बीमारी ने 35 हजार लोगों को अपनी चपेट में लिया और पांच हजार लोगों की जान ले ली. बता दें, लोम्बार्डी में कुल आबादी 10 मिलियन है.

वेनेटो में 300 से भी कम लोगों की मौत
वहीं, पांच मिलियन की आबादी वाले वेनेटो में सिर्फ सात हजार लोगों में इस बीमारी का संक्रमण फैला और 300 से भी कम लोगों की जान गई.

सबसे अहम बातें जिनकी ओर वेनेटो ने ध्यान देकर कोरोना को हराया :-

  1. व्यापक परीक्षण : कोई व्यक्ति चाहे संदिग्ध हो या न हो, उसका कोरोना टेस्ट जरूर कराया गया.
  2. प्रोएक्टिव ट्रेसिंग : कोविड-19 से पीड़ित मरीजों को अलग रखा गया. साथ ही उनके परिवार के सदस्यों की भी तुरंत जांच कराई गई. और अगर वह टेस्ट में नेगेटिव भी पाए गए, तब भी उन्हें स्वयं ही घर में रहने के लिए कहा गया.
  3. घरेलू सेवा और देखभाल : स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वालों ने कोविड-19 के संदिग्धों को घरेलू सेवाएं और देखभाल पर जोर दिया. जिससे की वह संदिग्ध के घर जाकर ही उसके नमूनों की जांच कर सके.
  4. चिकित्सा कर्मियों और अन्य कमजोर श्रमिकों की निगरानी : डॉक्टर, नर्स, नर्सिंग होम में देखभाल करने वाले, यहां तक की किराने की दुकान पर बैठा कैशियर और मेडिकल स्टोर के दुकानदार.. इन सबकी बारीकी से निगरानी की गई. जिससे कोरोना के प्रसार को पूरी तरह से रोका गया.

लोम्बार्डी की विफलता के कारण :-
लोम्बार्डी ने व्यापक परीक्षण, प्रोएक्टिव ट्रेसिंग, घरेलू देखभाल और चिकित्सा कर्मियों व अन्य कमजोर श्रमिकों की निगरानी जैसे उपायों पर कुछ खास ख्याल नहीं दिया. यहां अस्पतालों में भारी भीड़ जमा हो गई, जबकि वेनेटो ने खुद को ऐसे हालातों से बचाए रखा.

अब इटली और उसके पड़ोसी क्षेत्रों से अन्य देशों को सीख लेनी चाहिए कि वह खुद को कैसे इस महामारी से बचाकर दूर ले जाते हैं.

हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. आज विश्वभर के कई देशों में इस बीमारी ने अपने पैर पसार लिए हैं. चीन से जन्मा यह वायरस आज भारत, पाकिस्तान, अमेरिका, स्पेन, इटली, ईरान, जापान, नेपाल, भूटान सहित दुनिया के 190 से ज्यादा देशों को जकड़ चुका है.

इटली में सबसे ज्यादा बुरे हालात
इनमें सबसे ज्यादा बुरे हालात इटली के हैं. यहां अब तक सबसे अधिक मौतें हुई है, जहां 12,428 लोग मारे गए है. इसके बाद स्पेन में 8,189 और फ्रांस में 3,523 लोगों की मौत हुई है.

इटली से दुनिया ले सकती है सबक
ऐसे में जिन देशों में इस बीमारी का प्रसार कम है, उन्हें इटली की उन गलतियों से सीख लेना चाहिए, जिसने वहां इस बीमारी को इस हद तक अपने पैर पसारने दिए. अगर हम ध्यान दें तो इटली में कोविड-19 का फैला प्रकोप दुनिया के बाकी देशों के लिए सबक साबित हो सकता है.

पूर्वाग्रहों पर पाना होगा
काबू इस समस्या से लड़ने के लिए सबसे पहले हमें अपने पूर्वाग्रहों पर काबू पाना होगा और हालातों की गंभीरता को समझना होगा.

कई दिनों तक नजर नहीं आते लक्षण
कोरोना वायरस ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण कई दिनों तक नजर नहीं आते लेकिन इसका वायरस शरीर के अंदर ही अंदर अपना घर बना लेता है. इटली में इस बीमारी की गंभीरता को न समझते हुए यहां के राजनीतिक नेताओं ने इसमें ढ़ील डाली, जो इसके प्रसार का कारण बना.

इन बातों का नहीं रखा गया ख्याल
शुरूआती चरण में देश में किसी तरह की इमरजेंसी या लॉकडाउन लागू नहीं किया गया. हद तो तब हो गई, जब यहां हाथ मिलाने जैसी बातों का भी ख्याल नहीं रखा गया.

छोटे से वायरस से बनी 'महामारी'
इसके बाद इस बीमारी की ओर ध्यान दिया गया. तब पता चला कि एक छोटे से वायरस से जन्मी यह बीमारी कितनी बड़ी महामारी बन गई है और असल में कितनी तेजी में इसने अपने पैर पसार लिए हैं.

इटली ने अपनाए यह उपाय
इसके बाद इटली को यह समझ आया कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए आधे-अधूरे उपाय करने से बचना चाहिए. बाद में देश ने कोरोना वायरस पर नियंत्रण पाने के लिए छोटी शुरूआत के साथ बड़े पैमाने पर पहुंचने की कोशिश की.

इटली की लक्षित रणनीति तैयार
इसके तहत इटली ने एक लक्षित रणनीति तैयार की और देश में सबसे ज्यादा संक्रमित जगहों को 'रेड जोन' घोषित करना शुरू किया और यहां सख्ती से लॉकडाउन का पालन कराया गया.

ये भी पढ़ें : विश्व में कोरोना : यूरोप में 30 हजार से ज्यादा मौतें, अमेरिका में आंकड़ा चार हजार के पार

हालात बने बद से बदतरइस प्रतिबंध को पूरे देश में बाद में लागू किया गया, जब चुनिंदा जगहों पर लगे लॉकडाउन ने देश के हालातों को और बद से बदतर बना दिया.

जनता का पलायन
हार्वर्ड के अनुसार, किसी-किसी जगह लॉकडाउन होने से लोग उन जगहों से गुजरना शुरू कर देते हैं, जहां कोई प्रतिबंध नहीं होता. और फिर वहां से वह इस वायरस का शिकार हो जाते हैं.

गौर करने वाली बात यह है कि जब उत्तरी इटली में बंद का एलान किया गया तो बड़ी संख्या में लोगों ने दक्षिणी इटली की ओर पलायन शुरू कर दिया. इस वजह से यह वायरस वहां भी पहुंच गया, जहां यह अब तक मौजूद नहीं था.

लोम्बार्डी और वेनेटो से लेना चाहिए सबक
इटली में पनपे इन हालातों से यह बात साबित होती है कि देश में सामाजिक दूरी न होने की वजह से ही इस बीमारी ने अपनी जड़ों को मजबूत बनाया.

लेकिन हमें इटली की उन जगहों से सीख लेना चाहिए, जहां कोरोना वायरस के प्रसार को फैलने से सफलतापूर्वक रोका गया. हमें देश की उन रणनीतियों से सबक ले सकते हैं, जो वहां के लोगों के लिए सही साबित हुईं हों.

दो अलग-अलग तरीकों के अलग-अलग नतीजे
ऐसे में इतालवी क्षेत्रों के दो पड़ोसी लोम्बार्डी (लोम्बार्डीया) और वेनेटो (वेनेतो) के अनुभव हमारे लिए काफी अहम हो सकते हैं, जिन्होंने कोरोना को हराने में दो अलग-अलग तरीके अपनाए और फिर उससे दो अलग-अलग नतीजे सामने आए.

वायरस को हराने में वेनेटो को मिली सफलता
जहां एक और इस वायरस को हराने में वेनेटो को सफलता हासिल हुई. वहीं लोम्बार्डी को इस महामारी के सामने घुटने टेकते हुए हारना पड़ा. परिणाम यह हुआ कि यहां इस बीमारी ने 35 हजार लोगों को अपनी चपेट में लिया और पांच हजार लोगों की जान ले ली. बता दें, लोम्बार्डी में कुल आबादी 10 मिलियन है.

वेनेटो में 300 से भी कम लोगों की मौत
वहीं, पांच मिलियन की आबादी वाले वेनेटो में सिर्फ सात हजार लोगों में इस बीमारी का संक्रमण फैला और 300 से भी कम लोगों की जान गई.

सबसे अहम बातें जिनकी ओर वेनेटो ने ध्यान देकर कोरोना को हराया :-

  1. व्यापक परीक्षण : कोई व्यक्ति चाहे संदिग्ध हो या न हो, उसका कोरोना टेस्ट जरूर कराया गया.
  2. प्रोएक्टिव ट्रेसिंग : कोविड-19 से पीड़ित मरीजों को अलग रखा गया. साथ ही उनके परिवार के सदस्यों की भी तुरंत जांच कराई गई. और अगर वह टेस्ट में नेगेटिव भी पाए गए, तब भी उन्हें स्वयं ही घर में रहने के लिए कहा गया.
  3. घरेलू सेवा और देखभाल : स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने वालों ने कोविड-19 के संदिग्धों को घरेलू सेवाएं और देखभाल पर जोर दिया. जिससे की वह संदिग्ध के घर जाकर ही उसके नमूनों की जांच कर सके.
  4. चिकित्सा कर्मियों और अन्य कमजोर श्रमिकों की निगरानी : डॉक्टर, नर्स, नर्सिंग होम में देखभाल करने वाले, यहां तक की किराने की दुकान पर बैठा कैशियर और मेडिकल स्टोर के दुकानदार.. इन सबकी बारीकी से निगरानी की गई. जिससे कोरोना के प्रसार को पूरी तरह से रोका गया.

लोम्बार्डी की विफलता के कारण :-
लोम्बार्डी ने व्यापक परीक्षण, प्रोएक्टिव ट्रेसिंग, घरेलू देखभाल और चिकित्सा कर्मियों व अन्य कमजोर श्रमिकों की निगरानी जैसे उपायों पर कुछ खास ख्याल नहीं दिया. यहां अस्पतालों में भारी भीड़ जमा हो गई, जबकि वेनेटो ने खुद को ऐसे हालातों से बचाए रखा.

अब इटली और उसके पड़ोसी क्षेत्रों से अन्य देशों को सीख लेनी चाहिए कि वह खुद को कैसे इस महामारी से बचाकर दूर ले जाते हैं.

Last Updated : Apr 1, 2020, 9:14 PM IST
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