ETV Bharat / bharat

मेक इन इंडिया से बढ़ेगा स्वदेशी दवा उद्योग, सरकार कर रही विचार

author img

By

Published : Jun 25, 2020, 12:27 AM IST

Updated : Jun 25, 2020, 10:32 AM IST

मेक इन इंडिया के तहत केंद्र सरकार भारत में दवा निर्माण उद्योग विकसित करने का सोच रही है, ताकि चीन से आयात कम हो सके और भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिले.

मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन
मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन

हैदराबादः मेक इन इंडिया पहल के आह्वान के बीच केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत चीन से एक्टिव फार्मस्यूटिकल्स इनग्रींडियंट्स की खरीद को कम करने के लिए सरकार देश में दवा निर्माण उद्योग विकसित करने का सोच रही है, ताकि दवा निर्माण के लिए जिस भी इनग्रीडियंट्स की जरूरत हो वो देश में उपलब्ध हो जाए. चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच भारत की आत्म निर्भरता को बढ़ावा देने के लिए यह एक सकारात्मक पहल है.

फार्मास्युटिकल्स विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ड्रग पार्क में कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनाने के लिए राज्य सरकारें 100 करोड़ रुपये तक सहायता प्रदान करेगी. फार्मास्युटिकल्स विभाग ने एक योजना तैयार की है,जिसका नाम है 'असिस्टेंस टू बल्क ड्रग इंडस्ट्री फॉर कॉमन फैसिलिटी सेंटर' इसके तहत किसी भी ड्रग पार्क में कॉमन फैसलिटी सेंटर बनाने के लिए 100 करोड़ का योगदान दिया जाएगा.

फार्मास्युटिकल्स विभाग ने इस योजना के तहत आंध्र प्रदेश शहरी प्रचार निगम लिमिटेड, तेलंगाना स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड और हिमाचल प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड को पहले ही सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.

विभाग ने कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) के विकास के लिए 2 साल की समय सीमा भी तय की है. सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि थोक दवाओं और दवाओं के इनग्रीडियंट्स का दो तिहाई हिस्सा चीन से आयात किया जाता है. ये आयात चीन से की गई आर्थिक संधि के आधार पर होता है.

वर्ष 2018-19 में भारत ने चीन से $ 2405.42 मिलियन मूल्य के 67.56 प्रतिशत दवा आयात किए. रसायन और उर्वरक मंत्रालय के एक दस्तावेज में कहा गया है," 2018-19 में थोक दवाओं और दवा इनग्रीडियंट्स का कुल आयात यूएस $ 3560.35 मिलियन था जिसमें से यूएस $ 2405.42 मिलियन का आयात चीन से किया गया था, जो कि 67.56 प्रतिशत है.

यह मार्च में संसद के अंतिम सत्र में रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने भी कहा था. भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य के मामले में 14 वां सबसे बड़ा उद्योग है.भारत ने 2018-19 में 14389 मिलियन अमेरिकी डॉलर की दवा का निर्यात किया था. देश ने 2018-19 में 3911 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के बल्क ड्रग्स / ड्रग इंटरमीडिएट का भी निर्यात किया.

पढ़ें- पर्वतीय युद्ध कौशल में भारतीय सेना सर्वश्रेष्ठ, चीनी भी करते हैं तारीफ

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कहा कि भारत ने 2018 में 12006.11 मेगा टन कच्चा माल और 2019 में 11230.50 मेगा टन कच्चे माल को देश में एंटी बायोटिक दवाओं के निर्माण के लिए आयात किया.

गौरतलब है कि देश में दवा सुरक्षा के मुद्दे को दूर करने के लिए दवा विभाग ने संयुक्त ड्रग कंट्रोलर (सीडीएससीओ) डॉ. ईश्वर रेड्डी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है और समिति की सिफारिशों के आधार पर विभाग ने राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA), ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) और राज्य सरकारों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं ताकि बाजार में किफायती कीमतों पर दवा उपलब्ध हो सके, कालाबाजारी पर लगाम लगाया जा सके, अवैध होर्डिंग्स न हो और देश में दवाओं की कमी न पैदा की जाए.

फार्मास्युटिकल्स विभाग ने डीजीएफटी को 13 एपीआई और इन एपीआई से बने ड्रग के निर्यात को कम करने के लिए लिखा है जिसमें पेरासिटामोल शामिल है. एनपीपीए ने राज्य के मुख्य सचिवों को ब्लैक मार्केटिंग को रोकने के लिए एपीआई और फॉर्मूलेशन की प्रस्तुतियों और उपलब्धता की बारीकी से निगरानी करने के लिए कहा है.

हैदराबादः मेक इन इंडिया पहल के आह्वान के बीच केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत चीन से एक्टिव फार्मस्यूटिकल्स इनग्रींडियंट्स की खरीद को कम करने के लिए सरकार देश में दवा निर्माण उद्योग विकसित करने का सोच रही है, ताकि दवा निर्माण के लिए जिस भी इनग्रीडियंट्स की जरूरत हो वो देश में उपलब्ध हो जाए. चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच भारत की आत्म निर्भरता को बढ़ावा देने के लिए यह एक सकारात्मक पहल है.

फार्मास्युटिकल्स विभाग के अधिकारियों ने कहा कि ड्रग पार्क में कॉमन फैसिलिटी सेंटर बनाने के लिए राज्य सरकारें 100 करोड़ रुपये तक सहायता प्रदान करेगी. फार्मास्युटिकल्स विभाग ने एक योजना तैयार की है,जिसका नाम है 'असिस्टेंस टू बल्क ड्रग इंडस्ट्री फॉर कॉमन फैसिलिटी सेंटर' इसके तहत किसी भी ड्रग पार्क में कॉमन फैसलिटी सेंटर बनाने के लिए 100 करोड़ का योगदान दिया जाएगा.

फार्मास्युटिकल्स विभाग ने इस योजना के तहत आंध्र प्रदेश शहरी प्रचार निगम लिमिटेड, तेलंगाना स्टेट इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड और हिमाचल प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड को पहले ही सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है.

विभाग ने कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) के विकास के लिए 2 साल की समय सीमा भी तय की है. सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि थोक दवाओं और दवाओं के इनग्रीडियंट्स का दो तिहाई हिस्सा चीन से आयात किया जाता है. ये आयात चीन से की गई आर्थिक संधि के आधार पर होता है.

वर्ष 2018-19 में भारत ने चीन से $ 2405.42 मिलियन मूल्य के 67.56 प्रतिशत दवा आयात किए. रसायन और उर्वरक मंत्रालय के एक दस्तावेज में कहा गया है," 2018-19 में थोक दवाओं और दवा इनग्रीडियंट्स का कुल आयात यूएस $ 3560.35 मिलियन था जिसमें से यूएस $ 2405.42 मिलियन का आयात चीन से किया गया था, जो कि 67.56 प्रतिशत है.

यह मार्च में संसद के अंतिम सत्र में रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने भी कहा था. भारतीय फार्मास्युटिकल उद्योग दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा और मूल्य के मामले में 14 वां सबसे बड़ा उद्योग है.भारत ने 2018-19 में 14389 मिलियन अमेरिकी डॉलर की दवा का निर्यात किया था. देश ने 2018-19 में 3911 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के बल्क ड्रग्स / ड्रग इंटरमीडिएट का भी निर्यात किया.

पढ़ें- पर्वतीय युद्ध कौशल में भारतीय सेना सर्वश्रेष्ठ, चीनी भी करते हैं तारीफ

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कहा कि भारत ने 2018 में 12006.11 मेगा टन कच्चा माल और 2019 में 11230.50 मेगा टन कच्चे माल को देश में एंटी बायोटिक दवाओं के निर्माण के लिए आयात किया.

गौरतलब है कि देश में दवा सुरक्षा के मुद्दे को दूर करने के लिए दवा विभाग ने संयुक्त ड्रग कंट्रोलर (सीडीएससीओ) डॉ. ईश्वर रेड्डी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है और समिति की सिफारिशों के आधार पर विभाग ने राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA), ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) और राज्य सरकारों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं ताकि बाजार में किफायती कीमतों पर दवा उपलब्ध हो सके, कालाबाजारी पर लगाम लगाया जा सके, अवैध होर्डिंग्स न हो और देश में दवाओं की कमी न पैदा की जाए.

फार्मास्युटिकल्स विभाग ने डीजीएफटी को 13 एपीआई और इन एपीआई से बने ड्रग के निर्यात को कम करने के लिए लिखा है जिसमें पेरासिटामोल शामिल है. एनपीपीए ने राज्य के मुख्य सचिवों को ब्लैक मार्केटिंग को रोकने के लिए एपीआई और फॉर्मूलेशन की प्रस्तुतियों और उपलब्धता की बारीकी से निगरानी करने के लिए कहा है.

Last Updated : Jun 25, 2020, 10:32 AM IST

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.