नई दिल्ली/लखनऊ : उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के कथित सामूहिक बलात्कार और उसकी मौत की घटना को लेकर सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. इसी बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने राज्य भर में कम से कम 21 प्राथमिकियां दर्ज की हैं. इनमें जातिगत संघर्ष भड़काने के प्रयास करने से लेकर देशद्रोह तक के आरोप लगाए गए हैं. इन मामलों पर भारत में पदस्थापित संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
नई दिल्ली में भारत में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ यौन अपराध की घटनाओं पर ध्यान आकर्षित करते हुए संयुक्त राष्ट्र की स्थाई समन्वयक रेनाटा डेसालिएन ने कहा कि हाथरस और बलरामपुर में हुई कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या की घटनाएं यह बताती हैं कि समाज के वंचित तबके के लोगों को लिंग आधारित हिंसा/अपराध का खतरा ज्यादा है.
उनके बयान के अनुसार, 'भारत में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ लगातार हो रही यौन हिंसा को लेकर संयुक्त राष्ट्र दुखी और चिंतित है.'
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वहीं विदेश मंत्रालय ने स्थाई समन्वयक रेनाटा डेसालिएन के बयान को 'अनावश्यक' करार देते हुए कहा, 'भारत में संयुक्त राष्ट्र की स्थाई समन्वयक को यह ज्ञात होना चाहिए कि सरकार ने इन मामलों को बहुत गंभीरता से लिया है.'
मंत्रालय ने कहा, 'चूंकि जांच प्रक्रिया जारी है, बाहरी एजेंसी की किसी भी गैरजरूरी टिप्पणी को नजरअंदाज करना ही बेहतर है.'
हाथरस से ही जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में लखनऊ में मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया राणा ने पुलिस पर आरोप लगाए हैं. सुमैया ने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें हाथरस घटना से जुड़े पोस्टर लगाने जाने से रोका और उन्हें घर में घंटों नजरबंद करके रखा. हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों से इंकार किया है.