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दिल्ली हिंसा की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा, भारत ने बयानों को बताया 'गैर जिम्मेदाराना'

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Published : Feb 28, 2020, 10:18 AM IST

Updated : Mar 2, 2020, 8:16 PM IST

भारत ने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर धार्मिक आजादी पर एक अमेरिकी आयोग, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) तथा कुछ अमेरिकी सांसदों के बयानों को खारिज करते हुए कहा कि बयान तथ्यात्मक रूप से गलत, भ्रामक हैं तथा मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया जा रहा है.

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डिजाइन फोटो

नई दिल्ली : दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल हैं. मृतकों की संख्या में इजाफा हो रहा है. राजधानी के उत्तरी पूर्वी इलाकों में हुई हिंसा पर अंतरराष्ट्रीय संगठनों और प्रतिनिधियों ने चिंता जताई है इस हिंसा की निंदा की है. अमेरिका के विपक्षी डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान हुई हिंसा पर टिप्पणी करने से इनकार करने पर आलोचना की है.

भारत ने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर धार्मिक आजादी पर एक अमेरिकी आयोग, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) तथा कुछ अमेरिकी सांसदों के बयानों को खारिज करते हुए कहा कि बयान तथ्यात्मक रूप से गलत, भ्रामक हैं तथा मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया जा रहा है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार की यह प्रतिक्रिया एक दिन पहले अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) द्वारा दिल्ली में हिंसा पर 'गहरी चिंता' जताने पर आई. आयोग ने भारत सरकार से कहा कि वह लोगों की रक्षा करें, चाहे वे किसी भी धर्म के हों.

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों संबंधी अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ), ओआईसी और अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स सहित वहां के कुछ सांसदों ने दिल्ली में हिंसा पर चिंता जतायी है. डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के अलावा अन्य प्रभावशाली सीनेटरों ने भी घटनाक्रमों पर चिंता जताई.

बर्नी सेंडर्स
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सेंडर्स समेत कई प्रभावशाली अमेरिकी सांसदों ने दिल्ली में हिंसा पर चिंता जताई है. हिंसा के मुद्दे पर सैंडर्स ने बुधवार को ट्वीट किया, '20 करोड़ से अधिक मुसलमान भारत को अपना घर कहते हैं. व्यापक पैमाने पर मुस्लिम विरोधी भीड़ की हिंसा में कम से कम 27 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए. ट्रम्प ने यह कहकर जवाब दिया कि 'यह भारत का मामला है.' यह मानवाधिकारों पर नेतृत्व की नाकामी है.'

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बर्नी सेंडर्स का ट्वीट

एलियट एंगल
अमेरिकी सदन की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एलियट एंगल ने भी दिल्ली हिंसा की आलोचना की. उन्होंने कहा, 'वह पिछले कुछ दिनों से भारत में सांप्रदायिक हिंसा से होने वाली मौतों से काफी परेशान हैं. विरोध करने का अधिकार लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन शांतिपूर्ण रहना चाहिए और पुलिस को सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.

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एलियट एंगलकी प्रतिक्रिया

ऐलिस जी वेल्स
दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के राज्य विभाग की शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ऐलिस जी वेल्स ने एक ट्वीट में शांति की अपील की. उन्होंने कहा, 'नई दिल्ली में मृतकों और घायलों के परिजनों के प्रति हमारी संवेदानाएं. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शांति बनाए रखने की अपील का आह्वान करने के लिए कहते हैं और सभी पक्षों से शांति बनाए रखने, हिंसा से दूर रहने और शांतिपूर्ण सभा के अधिकार का सम्मान करने का आग्रह करते हैं.'

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ऐलिस जी वेल्स की प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने भारत के संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और दिल्ली में सांप्रदायिक हमलों के दौरान 'पुलिस निष्क्रियता' की खबरों पर गुरुवार को 'गंभीर चिंता' व्यक्त की तथा राजनीतिक नेताओं से हिंसा रोकने का आग्रह किया. जिनेवा में विश्वभर में मानवाधिकार घटनाक्रमों पर चल रहे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 43वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट ने जम्मू कश्मीर की स्थिति के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि भारत की संसद द्वारा पारित किया गया सीएए 'गंभीर चिंता' का विषय है.

यूएससीआईआरएफ
यूएससीआईआरएफ ने बुधवार को कहा था, 'दिल्ली में जारी हिंसा और मुस्लिमों, उनके घरों, दुकानों, धार्मिक स्थलों पर कथित हमले बेहद परेशान करने वाले हैं. किसी भी जिम्मेदार सरकार का अत्यावश्यक कर्तव्य है कि वे अपने नागरिकों की रक्षा करें और उन्हें शारीरिक सुरक्षा दें, चाहे वे किसी भी धर्म के हों.'

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यूएससीआईआरएफ की प्रतिक्रिया

यूएससीआईआरएफ के अध्यक्ष टोनी पर्किंस ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, 'हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह भीड़ हिंसा का शिकार बने मुसलमानों और अन्य समूहों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए गंभीर प्रयास करे.'

विदेश मंत्रालय ने बयानों को किया खारिज
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'हमने यूएससीआईआरएफ, मीडिया के कुछ धड़े और कुछ लोगों द्वारा दिल्ली में हिंसा की हालिया घटनाओं के बारे में उनके बयान देखे हैं. तथ्यात्मक रूप से ये गलत, भ्रामक हैं और मुद्दे का राजनीतिकरण करने के मकसद से दिए गए हैं.'

  • कुमार ने ओआईसी जैसे संगठनों से इस संवेदनशील समय गैरजिम्मेदाराना बयान नहीं देने का आग्रह किया.
  • कुमार ने कहा, 'ओआईसी की तरफ से आए बयान तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, भ्रामक हैं. विश्वास बहाली के लिए शांति कायम करने की कोशिश हो रही है.'
  • उन्होंने कहा, 'हम इन संगठनों से ऐसे संवेदनशील समय में गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी में नहीं पड़ने का अनुरोध करते हैं. '
  • कुमार ने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियां हिंसा रोकने और हालात सामान्य बनाने के लिए काम कर रही हैं.

ओआईसी
एक बयान में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने कहा कि वह भारत में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की निंदा करता है. हिंसा के कारण बेकसूर घायल हुए और उनकी जान गयी तथा तोड़फोड़ आगजनी से मस्जिदों और मुस्लिमों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया.

नई दिल्ली : दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल हैं. मृतकों की संख्या में इजाफा हो रहा है. राजधानी के उत्तरी पूर्वी इलाकों में हुई हिंसा पर अंतरराष्ट्रीय संगठनों और प्रतिनिधियों ने चिंता जताई है इस हिंसा की निंदा की है. अमेरिका के विपक्षी डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान हुई हिंसा पर टिप्पणी करने से इनकार करने पर आलोचना की है.

भारत ने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर धार्मिक आजादी पर एक अमेरिकी आयोग, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) तथा कुछ अमेरिकी सांसदों के बयानों को खारिज करते हुए कहा कि बयान तथ्यात्मक रूप से गलत, भ्रामक हैं तथा मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास किया जा रहा है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार की यह प्रतिक्रिया एक दिन पहले अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) द्वारा दिल्ली में हिंसा पर 'गहरी चिंता' जताने पर आई. आयोग ने भारत सरकार से कहा कि वह लोगों की रक्षा करें, चाहे वे किसी भी धर्म के हों.

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों संबंधी अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ), ओआईसी और अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सैंडर्स सहित वहां के कुछ सांसदों ने दिल्ली में हिंसा पर चिंता जतायी है. डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के अलावा अन्य प्रभावशाली सीनेटरों ने भी घटनाक्रमों पर चिंता जताई.

बर्नी सेंडर्स
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बर्नी सेंडर्स समेत कई प्रभावशाली अमेरिकी सांसदों ने दिल्ली में हिंसा पर चिंता जताई है. हिंसा के मुद्दे पर सैंडर्स ने बुधवार को ट्वीट किया, '20 करोड़ से अधिक मुसलमान भारत को अपना घर कहते हैं. व्यापक पैमाने पर मुस्लिम विरोधी भीड़ की हिंसा में कम से कम 27 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए. ट्रम्प ने यह कहकर जवाब दिया कि 'यह भारत का मामला है.' यह मानवाधिकारों पर नेतृत्व की नाकामी है.'

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बर्नी सेंडर्स का ट्वीट

एलियट एंगल
अमेरिकी सदन की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एलियट एंगल ने भी दिल्ली हिंसा की आलोचना की. उन्होंने कहा, 'वह पिछले कुछ दिनों से भारत में सांप्रदायिक हिंसा से होने वाली मौतों से काफी परेशान हैं. विरोध करने का अधिकार लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन शांतिपूर्ण रहना चाहिए और पुलिस को सभी की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.

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एलियट एंगलकी प्रतिक्रिया

ऐलिस जी वेल्स
दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के राज्य विभाग की शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ऐलिस जी वेल्स ने एक ट्वीट में शांति की अपील की. उन्होंने कहा, 'नई दिल्ली में मृतकों और घायलों के परिजनों के प्रति हमारी संवेदानाएं. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शांति बनाए रखने की अपील का आह्वान करने के लिए कहते हैं और सभी पक्षों से शांति बनाए रखने, हिंसा से दूर रहने और शांतिपूर्ण सभा के अधिकार का सम्मान करने का आग्रह करते हैं.'

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ऐलिस जी वेल्स की प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने भारत के संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और दिल्ली में सांप्रदायिक हमलों के दौरान 'पुलिस निष्क्रियता' की खबरों पर गुरुवार को 'गंभीर चिंता' व्यक्त की तथा राजनीतिक नेताओं से हिंसा रोकने का आग्रह किया. जिनेवा में विश्वभर में मानवाधिकार घटनाक्रमों पर चल रहे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 43वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट ने जम्मू कश्मीर की स्थिति के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि भारत की संसद द्वारा पारित किया गया सीएए 'गंभीर चिंता' का विषय है.

यूएससीआईआरएफ
यूएससीआईआरएफ ने बुधवार को कहा था, 'दिल्ली में जारी हिंसा और मुस्लिमों, उनके घरों, दुकानों, धार्मिक स्थलों पर कथित हमले बेहद परेशान करने वाले हैं. किसी भी जिम्मेदार सरकार का अत्यावश्यक कर्तव्य है कि वे अपने नागरिकों की रक्षा करें और उन्हें शारीरिक सुरक्षा दें, चाहे वे किसी भी धर्म के हों.'

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यूएससीआईआरएफ की प्रतिक्रिया

यूएससीआईआरएफ के अध्यक्ष टोनी पर्किंस ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, 'हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह भीड़ हिंसा का शिकार बने मुसलमानों और अन्य समूहों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए गंभीर प्रयास करे.'

विदेश मंत्रालय ने बयानों को किया खारिज
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'हमने यूएससीआईआरएफ, मीडिया के कुछ धड़े और कुछ लोगों द्वारा दिल्ली में हिंसा की हालिया घटनाओं के बारे में उनके बयान देखे हैं. तथ्यात्मक रूप से ये गलत, भ्रामक हैं और मुद्दे का राजनीतिकरण करने के मकसद से दिए गए हैं.'

  • कुमार ने ओआईसी जैसे संगठनों से इस संवेदनशील समय गैरजिम्मेदाराना बयान नहीं देने का आग्रह किया.
  • कुमार ने कहा, 'ओआईसी की तरफ से आए बयान तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, भ्रामक हैं. विश्वास बहाली के लिए शांति कायम करने की कोशिश हो रही है.'
  • उन्होंने कहा, 'हम इन संगठनों से ऐसे संवेदनशील समय में गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी में नहीं पड़ने का अनुरोध करते हैं. '
  • कुमार ने कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियां हिंसा रोकने और हालात सामान्य बनाने के लिए काम कर रही हैं.

ओआईसी
एक बयान में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने कहा कि वह भारत में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की निंदा करता है. हिंसा के कारण बेकसूर घायल हुए और उनकी जान गयी तथा तोड़फोड़ आगजनी से मस्जिदों और मुस्लिमों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया.

Last Updated : Mar 2, 2020, 8:16 PM IST

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