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74वां स्वतंत्रता दिवस : अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रीट्रीट का आयोजन

अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रीट्रीट समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इस समारोह के दौरान भारत के जवान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा उतारते हैं. इस दौरान देशभर से आए जवान अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. जानें पूरा विवरण...

15 अगस्त की शाम अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रीट्रीट का आयोजन
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Published : Aug 15, 2020, 6:18 PM IST

Updated : Aug 15, 2020, 7:04 PM IST

अटारी : देश आज 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस मौके पर देशभर में जश्न का माहौल है. पंजाब के अटारी-वाघा सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान बीटिंग द रीट्रीट समारोह में शिरकत की. हालांकि कोरोना वायरस की वजह से यहां पर दर्शक नहीं आए हैं.

अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रीट्रीट का आयोजन
अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रीट्रीट का आयोजन
अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रीट्रीट का आयोजन

हर साल बीटिंग द रीट्रीट समारोह का आयोजन किया जाता है. इस समारोह के दौरान सूर्यास्त के समय राष्ट्रीय ध्वज को पूरे प्रोटोकॉल के साथ उतार लिया जाता है.

क्या है इस समारोह की कहानी
अटारी वाघा सीमा के अलावा बीटिंग द रिट्रीट समारोह का आयोजन गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद यानी क‍ि 29 जनवरी को होता है. ये समारोह राजपथ पर आयोजित होता है. राजपथ पर बीटिंग रीट्रीट समारोह को गणतंत्र दिवस के जश्न के समापन के रूप में मनाया जाता है. 29 जनवरी की शाम को विजय चौक पर आयोजित किए जाने वाले इस समारोह में भारतीय सेना अपनी ताकत और संस्कृति का प्रदर्शन करती है.

शाम में ही क्यों
यह समारोह सैनिकों की एक पुरानी परंपरा की याद दिलाता है. इसमें सैनिक दिन भर के युद्ध के बाद शाम के समय आराम करते थे. सैनिक अपने कैंप में लौटते थे और ढलते सूरज के साथ शाम के समय जश्‍न मनाते थे. इसके बाद वे फिर से युद्ध की तैयारी में जुट जाते थे. इस परंपरा के मुताबिक बीटिंग रिट्रीट का समय भी शाम में ही होता है.

दो मौकों पर रद्द हुए हैं कार्यक्रम
भारत में बीटिंग द रिट्रिट की शुरुआत सन 1950 से हुई. 1950 से 2018 के बीच गणतंत्र भारत में बीटिंग द रिट्रिट कार्यक्रम दो बार रद्द करना पड़ा है. पहली बार 26 जनवरी, 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण और दूसरी बार ऐसा 27 जनवरी, 2009 को देश के 8वें राष्ट्रपति वेंकटरमन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो जाने पर किया गया था.

अटारी : देश आज 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस मौके पर देशभर में जश्न का माहौल है. पंजाब के अटारी-वाघा सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान बीटिंग द रीट्रीट समारोह में शिरकत की. हालांकि कोरोना वायरस की वजह से यहां पर दर्शक नहीं आए हैं.

अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रीट्रीट का आयोजन
अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रीट्रीट का आयोजन
अटारी-वाघा सीमा पर बीटिंग द रीट्रीट का आयोजन

हर साल बीटिंग द रीट्रीट समारोह का आयोजन किया जाता है. इस समारोह के दौरान सूर्यास्त के समय राष्ट्रीय ध्वज को पूरे प्रोटोकॉल के साथ उतार लिया जाता है.

क्या है इस समारोह की कहानी
अटारी वाघा सीमा के अलावा बीटिंग द रिट्रीट समारोह का आयोजन गणतंत्र दिवस के तीन दिन बाद यानी क‍ि 29 जनवरी को होता है. ये समारोह राजपथ पर आयोजित होता है. राजपथ पर बीटिंग रीट्रीट समारोह को गणतंत्र दिवस के जश्न के समापन के रूप में मनाया जाता है. 29 जनवरी की शाम को विजय चौक पर आयोजित किए जाने वाले इस समारोह में भारतीय सेना अपनी ताकत और संस्कृति का प्रदर्शन करती है.

शाम में ही क्यों
यह समारोह सैनिकों की एक पुरानी परंपरा की याद दिलाता है. इसमें सैनिक दिन भर के युद्ध के बाद शाम के समय आराम करते थे. सैनिक अपने कैंप में लौटते थे और ढलते सूरज के साथ शाम के समय जश्‍न मनाते थे. इसके बाद वे फिर से युद्ध की तैयारी में जुट जाते थे. इस परंपरा के मुताबिक बीटिंग रिट्रीट का समय भी शाम में ही होता है.

दो मौकों पर रद्द हुए हैं कार्यक्रम
भारत में बीटिंग द रिट्रिट की शुरुआत सन 1950 से हुई. 1950 से 2018 के बीच गणतंत्र भारत में बीटिंग द रिट्रिट कार्यक्रम दो बार रद्द करना पड़ा है. पहली बार 26 जनवरी, 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण और दूसरी बार ऐसा 27 जनवरी, 2009 को देश के 8वें राष्ट्रपति वेंकटरमन का लंबी बीमारी के बाद निधन हो जाने पर किया गया था.

Last Updated : Aug 15, 2020, 7:04 PM IST
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