नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केन्द्र से कहा कि अभियोजकों को वे सभी लाभ दिये जाएं जिनकी दिल्ली सरकार ने उनके वेतनमान में संशोधन के संबंध में सिफारिश की हैं.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति ब्रजेश सेठी की पीठ ने कहा कि दिल्ली-केन्द्र सत्ता टकराव में उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट निर्देश को देखते हुए भारत सरकार के पास दिल्ली सरकार द्वारा की गई सिफारिशों को स्वीकार करके इसे पूरी तरह से लागू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार की सिफारिशों के अनुसार, अभियोजकों के वेतनमानों में संशोधन के संबंध में उसके द्वारा तीन सितंबर 2015 और एक फरवरी 2019 को पारित आदेशों को अब तक लागू नहीं किया गया है.
अदालत को जानकारी दी गई कि केन्द्र द्वारा गठित समिति ने कुछ खास पदों के संबंध में दिल्ली सरकार की सिफारिशों को स्वीकार किया है जबकि अन्य पर मतभेद हैं तथा समिति ने कुछ कटौती की सिफारिश की है. हालांकि, केन्द्र ने अब तक अंतिम फैसला नहीं किया है.
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पीठ ने कहा कि जहां तक सेवा शर्तों और अभियोजकों से जुड़े लाभों का सवाल है तो केन्द्र को दिल्ली सरकार द्वारा की गईं सिफारिशों को स्वीकार करना होगा और उपराज्यपाल को विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति करते वक्त मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना होता है.
अदालत ने केन्द्र और दिल्ली सरकार से सुनवाई की अगली तारीख से पहले इस संबंध में हलफनामे दायर करने को कहा.