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आयकर विभाग की टीम ने कानपुर, गोरखपुर समेत 16 जगहों पर मारे छापे - आयकर विभाग की टीम

आयकर विभाग की टीम ने उत्तर प्रदेश में पशु आहार बनाने वाली कंपनी से जुड़े 16 ठिकानों पर छापे मारे. नोए़डा, कानपुर, गोरखपुर समेत दिल्ली में यह कार्रवाई हुई.

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Published : Nov 20, 2020, 4:51 PM IST

नई दिल्ली : आयकर विभाग की टीम ने दिल्ली, नोएडा, कानपुर, गोरखपुर, लुधियाना समेत 16 जगहों पर छापे मारे. पशु आहार बनाने वाली उत्तर प्रदेश की एक बड़ी कंपनी से जुड़े मामले में यह कार्रवाई 18 नवंबर से चल रही है.

समूह के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि इसने रुपये से अधिक की आवास प्रविष्टियां ली हैं. दिल्ली की कुछ शेल कंपनियों से गैर-वास्तविक असुरक्षित ऋण के रूप में 100 करोड़ रुपये लिए हैं. कार्रवाई के दौरान पता चला कि जिन शेल कंपनियों से ऋण लिया गया था, वे केवल कागज पर मौजूद हैं और उनका कोई वास्तविक व्यवसाय और साख नहीं है. इन शेल कंपनियों के निदेशक डमी, गैर-फाइलर और बिना किसी साधन के व्यक्ति हैं.

टैक्सी चालक है कंपनी का एक निदेशक
कार्रवाई में सामने आया कि इन कंपनियों के निदेशकों में से एक टैक्सी चालक है, जिसके 11 बैंक खाते हैं, जिसमें काफी धन है. इन शेल कंपनियों से असुरक्षित ऋण के रूप में 21 करोड़ रुपये से अधिक की आवास प्रविष्टियां फर्जी हैं. जांच के दौरान पाया गया कि इन शेल कंपनियों में से एक समूह की चिट फंड कंपनी है. जो चिट फंड अधिनियम, 1982 के प्रावधानों का उल्लंघन है.

52 लाख के जेवर और 1.30 करोड़ रुपये नकदी मिली
समूह के मुख्य व्यक्तियों के आवासों के निर्माण में बेहिसाब निवेश किया गया है, इसकी जांच की जा रही है. अभी तक करीब 52 लाख रुपये के जेवर जब्त किए जा चुके हैं. करीब 1.30 करोड़ रुपये नकद मिले हैं, ये कैसी रकम है इसकी जांच की जा रही है. सात लॉकर का पता चला है.

पढ़ें- जीएसटी बिल घोटाला : मास्टरमाइंड समेत 36 लोग गिरफ्तार

नई दिल्ली : आयकर विभाग की टीम ने दिल्ली, नोएडा, कानपुर, गोरखपुर, लुधियाना समेत 16 जगहों पर छापे मारे. पशु आहार बनाने वाली उत्तर प्रदेश की एक बड़ी कंपनी से जुड़े मामले में यह कार्रवाई 18 नवंबर से चल रही है.

समूह के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि इसने रुपये से अधिक की आवास प्रविष्टियां ली हैं. दिल्ली की कुछ शेल कंपनियों से गैर-वास्तविक असुरक्षित ऋण के रूप में 100 करोड़ रुपये लिए हैं. कार्रवाई के दौरान पता चला कि जिन शेल कंपनियों से ऋण लिया गया था, वे केवल कागज पर मौजूद हैं और उनका कोई वास्तविक व्यवसाय और साख नहीं है. इन शेल कंपनियों के निदेशक डमी, गैर-फाइलर और बिना किसी साधन के व्यक्ति हैं.

टैक्सी चालक है कंपनी का एक निदेशक
कार्रवाई में सामने आया कि इन कंपनियों के निदेशकों में से एक टैक्सी चालक है, जिसके 11 बैंक खाते हैं, जिसमें काफी धन है. इन शेल कंपनियों से असुरक्षित ऋण के रूप में 21 करोड़ रुपये से अधिक की आवास प्रविष्टियां फर्जी हैं. जांच के दौरान पाया गया कि इन शेल कंपनियों में से एक समूह की चिट फंड कंपनी है. जो चिट फंड अधिनियम, 1982 के प्रावधानों का उल्लंघन है.

52 लाख के जेवर और 1.30 करोड़ रुपये नकदी मिली
समूह के मुख्य व्यक्तियों के आवासों के निर्माण में बेहिसाब निवेश किया गया है, इसकी जांच की जा रही है. अभी तक करीब 52 लाख रुपये के जेवर जब्त किए जा चुके हैं. करीब 1.30 करोड़ रुपये नकद मिले हैं, ये कैसी रकम है इसकी जांच की जा रही है. सात लॉकर का पता चला है.

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