नई दिल्ली : कोरोना महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान आम लोगों के साथ दिव्यांगजनों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के सेक्शन 38 के तहत निर्देशित किया गया है कि पात्र मानदंडों के अंतर्गत दिव्यांगजनों को अलग मानदंडों के अंदर चिन्हित करें. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत सभी पात्र दिव्यांगजनों को शामिल किया जाना है.
31 दिसंबर 2019 को विभिन्न राज्यों में पात्र दिव्यांग व्यक्तियों की संख्या-
आइए आकड़ों पर एक नजर डालते है कि देश में दिव्यांगों की संख्या कितनी है. नवीनतम उपलब्ध डेटा 2011 की जनगणना का है, जिसमें 2.68 करोड़ दिव्यांगजनों को शामिल किया गया है. इसे अनुबंध में देखा जा सकता है. राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मई 2O2O तक जारी किए गए दिव्यांग प्रमाणपत्रों की संख्या 1.66 करोड़ है.
शीर्ष पर 5 राज्यों का डेटा
राज्य का नाम | जनगणना 2011 के अनुसार दिव्यांगजनोंं की संख्या | राज्य सरकार द्वारा जारी प्रमाण पत्रों की संख्या |
उत्तर प्रदेश | 41,57,514 | 22,32,898 |
महाराष्ट्र | 29,63,392 | 16,11,628 |
बिहार | 23,31,009 | 14,34,134 |
पश्चिम बंगाल | 20,17,406 | 16,88,207 |
राजस्थान | 15,63,694 | 5,47,792 |
महामारी के दौरान दिव्यांगों के सामने आने वाले मुद्दे
दिल्ली स्थित एनजीओ नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एंप्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल (एनसीपीईडीपी) के एक सर्वेक्षण के अनुसार विकलांग (पीडब्ल्यूडी) वाले लगभग 73 प्रतिशत व्यक्तियों को साक्षात्कार में राशन और स्वास्थ्य सेवा की कमी जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.
कोरोना वायरस प्रेरित लॉकडाउन से माहौल चुनौतीपूर्ण
एनसीपीईडीपी के सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चला है कि दिव्यांगजन को विशेष चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
- 57 प्रतिशत ने कहा कि वे वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं.
- 13 प्रतिशत ने राशन तक पहुंचने में चुनौतियों की बात की.
- 9 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा सहायता की पहुंच में बाधाओं का सामना कर रहे हैं.
इसमें कहा गया है कि यदि केंद्र सरकार के दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) द्वारा जारी व्यापक दिव्यांगता समावेशी दिशानिर्देश को पूरे भारत में समान रूप से लागू किए जाए, तो इन और अन्य समान मुद्दों पर ध्यान दिया जा सकता है.