हैदराबाद : भारत में कोरोना वायरस अपने पैर पसार चुका है. इस महामारी ने सामान्य जन जीवन के साथ-साथ हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी. यह खबर लॉकडाउन के 14वें दिन लिखी गई है.
लॉकडाउन के दौरान प्रभावित क्षेत्रों में भारत का खाद्य और पेय क्षेत्र भी है. यह क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 7,00,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करता है. नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) के अनुसार इस क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में कुल 4, 23,865 करोड़ रुपये का योगदान है.
एनआरएआई ने अनुमान लगाया है कि इस क्षेत्र में कार्यरत लोगों में से 20 प्रतिशत लोग नौकरी खो देंगे.
एनएचएआई के अध्यक्ष अनुराग कटियार ने बताया कि रेस्तरां उद्योग का सालाना कारोबार लगभग चार लाख करोड़ का है. उन्होंने कहा कि वह नहीं चाहते कि उनके कर्मचारी पीड़ित हों. उन्होंने कहा कि उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं.
लॉकडाउन से निबटने के लिए उन्होंने सरकार से कई मांगे की हैं, जैसे-
⦁ 12 महीनों के लिए जीएसटी, अग्रिम कर भुगतान, पीएफ, ईएसआईसी, सीमा शुल्क, राज्य उत्पाद शुल्क, शराब लाइसेंस नवीनीकरण, वैट जैसे वैधानिक कर न वसूले जाएं.
⦁ क्षेत्र में जीएसटी पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की तत्काल बहाली की जाए.
⦁ बेरोजगारी वेतन कवर दिया जाए.
⦁ उपयोगिताओं के लिए भुगतान न लिया जाए.
⦁ 12 महीने के लिए सभी प्रकार के ऋणों और सुविधाओं के पुनर्भुगतान के लिए अधिस्थगन और तीन महीने के लिए सावधि ऋण या कार्यशील पूंजी पर लगाए गए ब्याज का तत्काल निलंबन किया जाए.
इसके संभावित दीर्घकालिक प्रभाव यह हो सकते हैं कि लॉकडाउन के बाद डिलिवरी चार्ज बढ़ सकते हैं. इसके अलावा लोग घर पर खाना बनाकर खाना ज्यादा पसंद करेंगे. इससे होटलों को भरी नुकसान उठाना पड़ेगा.