कानपुर: IIT कानपुर ने समिति गठित की है जो यह तय करेगी कि फैज अहमद की विवादित कविता हिंदू विरोधी है कि नहीं. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के डायरेक्टर अभय करंदीकर ने इस मामले की पड़ताल के लिए एक स्पेशल सेल का गठन किया है.
आईआईटी कानपुर में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने हिंदू विरोधी गीत गाया था. फैज अहमद की कविता 'हम देखेंगे लाजिम है, हम भी देखेंगे' पर काफी विवादित हो रही है.
आईआईटी कानपुर के छात्रों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में 17 दिसंबर को शांति मार्च निकाला था. मार्च के दौरान उन्होंने फैज की कविता गाई थी, जिसके बाद आईआईटी कानपुर में इसको लेकर कंट्रोवर्सी शुरू हो गई. आईआईटी कानपुर के फैकल्टी सदस्यों की शिकायत पर निदेशक ने समिति का गठन किया है. फैकल्टी के सदस्यों ने कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने यह हिंदू विरोधी गीत गाया था.
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समिति इसकी जांच करेगी कि छात्रों ने शहर में जुलूस के दिन क्या सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट की और क्या फैज की कविता हिंदू विरोधी है. समिति की रिपोर्ट के बाद आईआईटी कानपुर कठोर कार्रवाई करेगी.
-अभय करंदीकर, निदेशक, आईआईटी, कानपुर
यह कविता फैज ने 1979 में सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक के संदर्भ में लिखी थी और पाकिस्तान में सैन्य शासन के विरोध में लिखी थी. फैज अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण जाने जाते थे और इसी कारण वे कई साल तक जेल में रहे.