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आईआईटी ने शुरू किए नए पाठ्यक्रम, रोजगार के बढ़ेंगे अवसर - आईआईटी ने शुरू किए नए पाठ्यक्रम

आईआईटी दिल्ली ने हाल ही में स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना की है. रोजगार के अधिक अवसरों के लिये कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), रोबोटिक्स और साइबर सुरक्षा पर अध्ययन और अनुसंधान के कार्यक्रम तैयार किए हैं.

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Published : Dec 23, 2020, 2:59 PM IST

हैदराबाद : केंद्रीय शिक्षण संस्थान नए पाठ्यक्रम शुरू करने के साथ-साथ आक्रामकता से नए विभाग और अनुसंधान केंद्र स्थापित कर रहे हैं. उन्होंने कोविड-19 संकट के बावजूद काम निपटाने की गति बढ़ा दी है. कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), रोबोटिक्स और साइबर सुरक्षा पर अध्ययन और अनुसंधान के कार्यक्रम तैयार किए गए हैं, जो रोजगार के बहुत अधिक अवसर पैदा करने के अलावा देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने अनुसंधान और विकास के लिए पर्याप्त पैसे आवंटित किए हैं. प्रोफेसरों ने बताया कि जो पुराने आईआईटी हैं, उन्होंने केवल नाम के लिए अनुसंधान करने के बजाय लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया है.

आईआईटी दिल्ली ने हाल ही में स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना की है. पीएचडी के लिए दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने की तिथि जल्द ही घोषित की जाएगी. स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी शुरू करने की योजना है. इस स्कूल को डीएसटी से 170 करोड़ रुपये की राशि मिली है. वर्ष 2019 में आईआईटी दिल्ली ने लोक नीति (पब्लिक पॉलिसी) पाठ्यक्रम शुरू किया है.

आईआईटी कानपुर ने पढ़ाई और ऊर्जा निरंतरता के लिए शोध और पढ़ाई के लिए सतत ऊर्जा अभियंत्रण विभाग यानी सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग विभाग की स्थापना की है. शिक्षा और अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए संस्थान ने अमेरिका के राइस यूनिवर्सिटी को साझीदार बनाया है. आईआईटी-कानपुर का दावा है कि वह अपने महत्वाकांक्षी संज्ञानात्मक विज्ञान विभाग के जरिए मानव मन और मस्तिष्क के ट्रांसडिसिप्लिनरी वैज्ञानिक अनुसंधान का पता लगाने वाला पहला आईआईटी है. आईआईटी खड़गपुर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब की स्थापना की है. संस्थान का मकसद मानव जीवन की बेहतरी के लिए एआई और एमएल अनुसंधान का उपयोग करना है.

पढ़ें: भारतीय गेमिंग उद्योग उड़ान भरने के लिए तैयार

सैमसंग ने आईआईटी जोधपुर में अपनी संवर्धित वास्तविकता यानी ऑगमेंटेड रियलिटी और आभासी वास्तविकता वर्चुअल रियलिटी (एआर-वीओर) इनोवेशन प्रयोगशाला का उद्घाटन किया. ये प्रयोगशाला छात्रों को नई तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण देंगे और उन्हें उद्योग-संबंधित हुनर सीखने व उन्हें नौकरी के लिए तैयार करने में मदद करेगी.

बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) ने केंद्र-राज्य साझेदारी के साथ एक एआई और रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (एआरटीपार्क) की स्थापना की है. नया पार्क एआई और रोबोटिक्स में प्रौद्योगिकी नवाचारों को बढ़ावा देगा, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, गतिशीलता, बुनियादी ढांचे, कृषि, खुदरा बाजार और साइबर सुरक्षा में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को निष्पादित करके सामाजिक प्रभाव की अगुआई करेगा.

कई आईआईटी ने पिछले कुछ महीनों में ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किए हैं. इसके अलावा, उन्होंने संयुक्त पीएचडी कार्यक्रमों के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. पहले शोध अकादमिक पत्रिकाओं और पत्रों तक सीमित था, लेकिन आईआईटी ने अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित किया, जो विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल कर सकता है.

महामारी के दौरान, आईआईटी सस्ते वेंटिलेटर और वायरस डिटेक्शन किट जैसे नवाचारों के साथ आए. इन प्रतिष्ठित संस्थानों ने एक तरह से महामारी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आईआईटी दिल्ली ने व्यावसायिक उपयोग के लिए कोविड-19 परीक्षण किट विकसित किया. इसमें 60 फीसद पीजी और पीएचडी के छात्र थे. आईआईटी दिल्ली के निदेशक रामगोपाल राव ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि वास्तव में हमारे पास परिसर में 3500 पीएचडी के छात्र हैं.

हैदराबाद : केंद्रीय शिक्षण संस्थान नए पाठ्यक्रम शुरू करने के साथ-साथ आक्रामकता से नए विभाग और अनुसंधान केंद्र स्थापित कर रहे हैं. उन्होंने कोविड-19 संकट के बावजूद काम निपटाने की गति बढ़ा दी है. कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), रोबोटिक्स और साइबर सुरक्षा पर अध्ययन और अनुसंधान के कार्यक्रम तैयार किए गए हैं, जो रोजगार के बहुत अधिक अवसर पैदा करने के अलावा देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने अनुसंधान और विकास के लिए पर्याप्त पैसे आवंटित किए हैं. प्रोफेसरों ने बताया कि जो पुराने आईआईटी हैं, उन्होंने केवल नाम के लिए अनुसंधान करने के बजाय लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित किया है.

आईआईटी दिल्ली ने हाल ही में स्कूल ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना की है. पीएचडी के लिए दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने की तिथि जल्द ही घोषित की जाएगी. स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी शुरू करने की योजना है. इस स्कूल को डीएसटी से 170 करोड़ रुपये की राशि मिली है. वर्ष 2019 में आईआईटी दिल्ली ने लोक नीति (पब्लिक पॉलिसी) पाठ्यक्रम शुरू किया है.

आईआईटी कानपुर ने पढ़ाई और ऊर्जा निरंतरता के लिए शोध और पढ़ाई के लिए सतत ऊर्जा अभियंत्रण विभाग यानी सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग विभाग की स्थापना की है. शिक्षा और अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए संस्थान ने अमेरिका के राइस यूनिवर्सिटी को साझीदार बनाया है. आईआईटी-कानपुर का दावा है कि वह अपने महत्वाकांक्षी संज्ञानात्मक विज्ञान विभाग के जरिए मानव मन और मस्तिष्क के ट्रांसडिसिप्लिनरी वैज्ञानिक अनुसंधान का पता लगाने वाला पहला आईआईटी है. आईआईटी खड़गपुर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब की स्थापना की है. संस्थान का मकसद मानव जीवन की बेहतरी के लिए एआई और एमएल अनुसंधान का उपयोग करना है.

पढ़ें: भारतीय गेमिंग उद्योग उड़ान भरने के लिए तैयार

सैमसंग ने आईआईटी जोधपुर में अपनी संवर्धित वास्तविकता यानी ऑगमेंटेड रियलिटी और आभासी वास्तविकता वर्चुअल रियलिटी (एआर-वीओर) इनोवेशन प्रयोगशाला का उद्घाटन किया. ये प्रयोगशाला छात्रों को नई तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण देंगे और उन्हें उद्योग-संबंधित हुनर सीखने व उन्हें नौकरी के लिए तैयार करने में मदद करेगी.

बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) ने केंद्र-राज्य साझेदारी के साथ एक एआई और रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क (एआरटीपार्क) की स्थापना की है. नया पार्क एआई और रोबोटिक्स में प्रौद्योगिकी नवाचारों को बढ़ावा देगा, जो स्वास्थ्य, शिक्षा, गतिशीलता, बुनियादी ढांचे, कृषि, खुदरा बाजार और साइबर सुरक्षा में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को निष्पादित करके सामाजिक प्रभाव की अगुआई करेगा.

कई आईआईटी ने पिछले कुछ महीनों में ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किए हैं. इसके अलावा, उन्होंने संयुक्त पीएचडी कार्यक्रमों के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. पहले शोध अकादमिक पत्रिकाओं और पत्रों तक सीमित था, लेकिन आईआईटी ने अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित किया, जो विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल कर सकता है.

महामारी के दौरान, आईआईटी सस्ते वेंटिलेटर और वायरस डिटेक्शन किट जैसे नवाचारों के साथ आए. इन प्रतिष्ठित संस्थानों ने एक तरह से महामारी को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आईआईटी दिल्ली ने व्यावसायिक उपयोग के लिए कोविड-19 परीक्षण किट विकसित किया. इसमें 60 फीसद पीजी और पीएचडी के छात्र थे. आईआईटी दिल्ली के निदेशक रामगोपाल राव ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि वास्तव में हमारे पास परिसर में 3500 पीएचडी के छात्र हैं.

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