नई दिल्लीः भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश में जल संकट को देखते हुए कृषि क्षेत्र में जल संचय को बढ़ावा देने की बात कही है. इसके साथ ही जल शक्ति मंत्रालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिल कर जल शक्ति अभियान के तहत जल संचय के प्रति किसानों को जागरूप करने की मुहिम शुरुआत की है.
दिल्ली के पूसा में मीडिया से बातचीत करते हुए आईसीएआर के महानिदेशक त्रिलोचन मोहपात्रा ने बताया कि 1950-51 में कुल 5177 क्यूबिक मीटर पानी प्रति व्यक्ति मौजूद था, जो साल 2014 में घट कर 1508 क्यूबिक मीटर रह गया है और 2025 तक ये स्तर 1465 क्यूबिक मीटर रह जाएगा,जबकि 2050 में ये घट कर 1150 क्यूबिक मीटर रहने का अनुमान है.
उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो भारत में पानी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी. इसके साथ ही देश को पानी समस्या से ग्रसित देश घोषित कर दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि आज देश में जमीन के अंदर और बारिश से मिलने वाले पानी का 85% हिस्सा कृषि में उपयोग होता है जबकि देश के कुल खेतीहर जमीन का केवल 48% ही सिंचित है और बाकी हिस्से में किसान केवल बारिश के पानी पर ही निर्भर है.
देश में आने वाले बड़े जल संकट से बचने के लिये जल शक्ति मंत्रालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिल कर जल शक्ति अभियान के तहत जल संचय के प्रति किसानों को जागरूप करने की मुहिम शुरू की है.
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त्रिलोचन मोहापात्रा ने बताया कि आज देश में सबसे ज्यादा सूक्ष्म सीचाई को बढ़ावा देने की जरूरत है और कहा कि सूक्ष्म सीचाई से खेती में फसल के उत्पाद पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है, बल्कि जितना पानी सीचाई के लिये जरूरी है उतना ही पानी खेत में लगता है.
आज देश में कुल 90 लाख हेक्टेयर जमीन ही सूक्ष्म सीचाई से सिंचित किए जाते है, लेकिन आईसीएआर ने इसे अगले पांच साल में बढ़ा कर दुगना करने का लक्ष्य रखा है.
इसके साथ ही आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने शोध के जरिये ऐसी कई तकनीक विकसित कर ली है. जिससे कम से कम पानी में भी फसल से बेहतर उत्पाद निकाला जा सकता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने भी 'मोर क्रॉप पर ड्रॉप' का नारा दिया है जिसका उद्देश्य कम से कम पानी की लागत में ज्यादा से ज्यादा फसल उत्पादन किया जा सके.
आज देश भर में किसानों को जागरूक करने के लिये अभियान चलाए जा रहे हैं और बहुत जरूरी है कि समय रहते आने वाले संकट को रोकने की कोशिश की जाए.