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चीन की सेना ने पांच भारतीय शिकारियों का किया अपहरण - मैकमोहन रेखा

अरुणाचल प्रदेश में मैकमोहन रेखा के पास से चीनी सैनिकों ने पांच भारतीय शिकारियों को अगवा कर लिया है. क्षेत्र के सांसद तापिर गाओ ने इसकी पुष्टि की है. वहीं, अगवा किए गए लोगों के परिजनों ने सरकार और भारतीय सेना से मदद की गुहार लगई है. इस पूरे घटनाक्रम पर पढ़ें हमारे वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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भारतीयों का अपहरण
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Published : Sep 5, 2020, 1:45 PM IST

Updated : Sep 5, 2020, 1:59 PM IST

नई दिल्ली : चीनी सैनिकों ने गुरुवार (तीन सितंबर) को अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जिले के नाचो गांव के पांच शिकारियों को अगवा कर लिया है. यह सभी शस्त्र से लैस थे और टैगिन जनजाति से आते हैं. इस क्षेत्र के सांसद ने ईटीवी भारत को इस बात की जानकारी दी है.

सांसद तापिर गाओ ने फोन पर कहा, 'शिकारियों की टीम में छह लोग थे. चीनी सैनिक पांच को पकड़ कर ले गए, जबकि एक शिकारी भागने में सफल रहा. मैंने नाचो में उनके परिजनों और रिश्तेदारों से बात की और उन्होंने गुरुवार की घटना की पुष्टि की है.'

इस घटना से भारत और चीन के बीच चार महीने से अधिक समय से चल रहे सैन्य तनाव में इजाफा होने की आशंका है, क्योंकि शुक्रवार रात मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच हुई कूटनीतिक वार्ता के बावजूद गतिरोध कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं.

पांचों शिकारियों को नाचो गांव से उत्तर की ओर जाने वाले रेजांगला दर्रा से पकड़ा गया, जो मैकमोहन रेखा (एमएल) पर स्थित है, यह चीन और अरुणाचल प्रदेश के बीच की वास्तविक सीमा है.

राज्य में चीनी घुसपैठ के बारे में मुखर होकर बोलने वाले गाओ ने कहा कि चिंता की बात यह है कि चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश के अंदर आ सकते हैं.

चीन मैकमोहन रेखा को मान्यता नहीं देता है और अरुणाचल प्रदेश को अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है और इस क्षेत्र को 'दक्षिणी तिब्बत' बताता है.

घने जंगलों और ऊंची पहाड़ियों वाले, अपर सुबनसिरी जिले में कोई सड़क नहीं है और न ही यहां संचार की कोई सुविधा है. मैकमोहन रेखा तक पहुंचने के लिए भारतीय सेना के जवानों को दुर्गम इलाकों में लंबी पैदल यात्रा करनी पड़ती है.

इस मौसम में स्थानीय लोग प्रसिद्ध हिमालयी सफेद बेलदार 'कस्तूरी मृग' का शिकार करते हैं, जो अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में 2,500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पाए जाते हैं.

इस मौसम में नर हिरण अपने पेट से कस्तूरी नामक पदार्थ का स्राव करता है. दुनिया भर में इसकी बहुत अधिक मांग है. भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में 'कस्तूरी' की कीमत बहुत ज्यादा होती है. 'कस्तूरी' का इस्तेमाल महंगे इत्र और दवाओं में किया जाता है.

यह हिरण लुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल हैं, स्थानीय लोग फिर भी 'कस्तूरी' के लिए हिरण का शिकार करते हैं, जिसे बिचौलियों के जरिए बेचा जाता है.

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सांसद निनॉन्ग एरिंग ने भी चीनी सेना द्वारा पांच भारतीयों का अपहरण किए जाने की जानकारी दी है. उन्होंने ट्वीट कर पांच लोगों के नाम भी बताए, जो इस प्रकार हैं- प्रसाद रिंगलिंग, तनु बकर, नगरी डिरी, डोंटू इबिया और टोच सिगकम.

प्रकाश रिंगलिंग (ट्विटर हैंडल @Prakash Ringling) ने खुद को प्रसाद रिंगलिंग का भाई बताया है. प्रकाश ने सरकार और भारतीय सेना ने अगवा किए गए पांचों लड़कों की रिहाई के लिए मदद मांगी है.

नई दिल्ली : चीनी सैनिकों ने गुरुवार (तीन सितंबर) को अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जिले के नाचो गांव के पांच शिकारियों को अगवा कर लिया है. यह सभी शस्त्र से लैस थे और टैगिन जनजाति से आते हैं. इस क्षेत्र के सांसद ने ईटीवी भारत को इस बात की जानकारी दी है.

सांसद तापिर गाओ ने फोन पर कहा, 'शिकारियों की टीम में छह लोग थे. चीनी सैनिक पांच को पकड़ कर ले गए, जबकि एक शिकारी भागने में सफल रहा. मैंने नाचो में उनके परिजनों और रिश्तेदारों से बात की और उन्होंने गुरुवार की घटना की पुष्टि की है.'

इस घटना से भारत और चीन के बीच चार महीने से अधिक समय से चल रहे सैन्य तनाव में इजाफा होने की आशंका है, क्योंकि शुक्रवार रात मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से इतर दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच हुई कूटनीतिक वार्ता के बावजूद गतिरोध कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं.

पांचों शिकारियों को नाचो गांव से उत्तर की ओर जाने वाले रेजांगला दर्रा से पकड़ा गया, जो मैकमोहन रेखा (एमएल) पर स्थित है, यह चीन और अरुणाचल प्रदेश के बीच की वास्तविक सीमा है.

राज्य में चीनी घुसपैठ के बारे में मुखर होकर बोलने वाले गाओ ने कहा कि चिंता की बात यह है कि चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश के अंदर आ सकते हैं.

चीन मैकमोहन रेखा को मान्यता नहीं देता है और अरुणाचल प्रदेश को अपने क्षेत्र के रूप में दावा करता है और इस क्षेत्र को 'दक्षिणी तिब्बत' बताता है.

घने जंगलों और ऊंची पहाड़ियों वाले, अपर सुबनसिरी जिले में कोई सड़क नहीं है और न ही यहां संचार की कोई सुविधा है. मैकमोहन रेखा तक पहुंचने के लिए भारतीय सेना के जवानों को दुर्गम इलाकों में लंबी पैदल यात्रा करनी पड़ती है.

इस मौसम में स्थानीय लोग प्रसिद्ध हिमालयी सफेद बेलदार 'कस्तूरी मृग' का शिकार करते हैं, जो अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में 2,500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर पाए जाते हैं.

इस मौसम में नर हिरण अपने पेट से कस्तूरी नामक पदार्थ का स्राव करता है. दुनिया भर में इसकी बहुत अधिक मांग है. भारतीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में 'कस्तूरी' की कीमत बहुत ज्यादा होती है. 'कस्तूरी' का इस्तेमाल महंगे इत्र और दवाओं में किया जाता है.

यह हिरण लुप्तप्राय प्रजातियों में शामिल हैं, स्थानीय लोग फिर भी 'कस्तूरी' के लिए हिरण का शिकार करते हैं, जिसे बिचौलियों के जरिए बेचा जाता है.

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सांसद निनॉन्ग एरिंग ने भी चीनी सेना द्वारा पांच भारतीयों का अपहरण किए जाने की जानकारी दी है. उन्होंने ट्वीट कर पांच लोगों के नाम भी बताए, जो इस प्रकार हैं- प्रसाद रिंगलिंग, तनु बकर, नगरी डिरी, डोंटू इबिया और टोच सिगकम.

प्रकाश रिंगलिंग (ट्विटर हैंडल @Prakash Ringling) ने खुद को प्रसाद रिंगलिंग का भाई बताया है. प्रकाश ने सरकार और भारतीय सेना ने अगवा किए गए पांचों लड़कों की रिहाई के लिए मदद मांगी है.

Last Updated : Sep 5, 2020, 1:59 PM IST
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